पाठ 70 : मिस्र में वाचा के परिवार का प्रवेश

याकूब और उसका घराना जब मिस्र की ओर यात्रा को निकले, उसने यहूदा को यूसुफ़ के पास पहले भेजा। परिवार की आवश्यकता थी कि कोई उन्हें गोशेन जाने के लिए दिशा-निर्देश करे और भव्य पुनर्मिलन के लिए तैयार करे। 

क्या परमेश्वर अद्भुत नहीं है? सबसे पहले उसने बिन्यामीन कि रक्षा करने के लिए उस बेटे को इस्तेमाल किया जिसने ग़ुलामी के लिए यूसुफ को बेचा था। और अब परमेश्वर यूसुफ के परिवार को वापस लाने वाले यहूदा को इस्तेमाल कर रहा था! जब परमेश्वर चंगाई देता है तो भरपूर रीती से देता है। 

जब यूसुफ को पता चला कि उसका परिवार आ गया है, तो वह इतना खुश हुआ की अपने सेवकों को उसके रथ को तैयार करने के लिए भी नहीं रुका। उसने उसे स्वयं तैयार किया और उन्हें मिलने निकल पड़ा। 

 

यह कितना एक शाही और गौरवशाली दृश्य रहा होगा जब उन्होंने यूसुफ को सोने के रथ में आते देखा होगा! यूसुफ जल्दी से अपने रथ से उतरा और अपने पिता के गले लगा। बीस सालों के बाद उन्होंने एक दूसरे को देखा था। यूसुफ ने अपने पिता को गले से लगाया और देर तक रोता रहा। इतने सालों के दुःख के वर्ष के आँसू राहत में बाहर बह कर आ रहे थे। 

 

 तब इस्राएल ने यूसुफ से कहा, “अब मैं शान्ति से मर सकता हूँ। मैंने तुम्हारा मुँह देख लिया और मैं जानता हूँ कि तुम अभी जीवित हो।” वास्तव में याकूब मरा नहीं। इस कहानी के बाद वह सत्रह साल और जीया। लेकिन अपने प्रिय पुत्र को देखकर फिर से उसका जीवन पूर्ण हो गया। जो परिवार कष्ट और विभाजन के कारण विकृत हो गया था, वह अब फिर से पूर्ण और एकत्रित हो गया था। 

 

यूसुफ ने अपने पिता से कहा था कि वह अपने परिवार के लिए फिरौन से बात करेगा। वे यह सुनिश्चित करना चाहता थे की वे जो कुछ भी करें वह राजा कि ख़ुशी में होकर होना चाहिए। वह फिरौन को बताना चाहता था की वे एक पशु चरवाहों का परिवार था। यदि परिवार के बाकी सदस्य बता देते हैं कि वे भी चरवाहे हैं, तो वह उन्हें गोशेन में बसा देगा। 

 

गोशेन मिस्र के जीवन के बाकी हिस्सों से अलग एक क्षेत्र था। यह एक अच्छी बात थी। यूसुफ मिस्र के तरीके जानता था। वह पोतीपर की पत्नी के शर्मनाक व्यवहार के कारण जेल में था और वह मिस्र के धर्म को अच्छी तरह से समझता था। मिस्र के जीवन के नैतिक गंदगी ने उनके परिवारों को भ्रष्ट कर दिया था और उनके बीच महान विनाश का कारण बना जिनके बीच प्रेम होना चाहिए था। ये इब्राहीम के परमेश्वर के तरीके नहीं थे। 

 

मिस्र के लोग बहुत ही परिष्कृत लोग थे। वे बहुत पढ़े लिखे और धनी थे। वे उन लोगों को नीचा देखते थे जो चरवाहे का काम करते थे और उन्हें नीचा और तुच्छ समझते थे। एक बार यदि मिस्रियों को यह मालूम हो जाये की युसूफ का परिवार भेड़ बकरियां चराते हैं, तो वे उन्हें त्याग सकते हैं।उनका असभ्यता का गुण मिस्र के संस्कृति की दुष्टता से वाचा के बच्चों कि रक्षा कर सकता है। कनान देश के समान मिलावट का खतरा नहीं होगा। परमेश्वर अपने लोगों को इस बेहद अलग मूर्ति पूजा करने वाले समाज के खतरे से अलग कर रहा था। ऐसा करने से वे परमेश्वर के प्रति वफ़ादार बने रहेंगे। 

 

तब फ़िरौन ने यूसुफ से कहा, “तुम्हारे पिता और तुम्हारे भाई तुम्हारे पास आए हैं। तुम मिस्र में कोई भी स्थान उनके रहने के लिए चुन सकते हो। अपने पिता और अपने भाईयों को सबसे अच्छी भूमि दो। उन्हें गोशेन प्रदेश में रहने दो और यदि ये कुशल चरवाहे हैं, तो वे मेरे जानवरों की भी देखभाल कर सकते हैं।” जो विश्वास युसूफ ने फरौन से जीता था वह उसके पूरे परिवार के लिए आशीष का कारण बन रहा था। 

 

यूसुफ फिरौन के सामने अपने पिता याकूब को लेकर आया। पुराने ज़माने में, जिन बुज़ुर्गों के भूरे बाल और झुर्रियां होती थीं, उन्हें महान और शक्तिशाली ज्ञान के पदाधिकारी के रूप में देखा जाता था। वे जानते थे कि वे अपने छोटों पर अपने सामर्थी आशीर्वाद को प्रदान कर सकते थे। चाहे फिरौन अधिक शक्तिशाली था, याकूब स्पष्ट रूप से उम्र में बड़ा था, और इसलिए याकूब ने राजा को आशीर्वाद दिया। फ़िरौन ने याकूब से उसकी उम्र पूछी। याकूब ने फ़िरौन से कहा, “बहुत से कष्टों के साथ मेरा छोटा जीवन रहा। मैं केवल एक सौ तीस वर्ष जीवन बिताया हूँ। मेरे पिता और उनके पिता मुझसे अधिक उम्र तक जीवित रहे।” तब याकूब ने फिरौन को आशीर्वाद दिया और उसकी मौजूदगी से बाहर चला गया। एक बार फिर, परमेश्वर ने राष्ट्रों को आशीर्वाद देने के लिए इब्राहिम के पुत्र को एक उल्लेखनीय स्थान में रख दिया। 

 

यूसुफ ने अपने प्रत्येक भाई को भूमि आवंटित करके पूरे परिवार को वहां बसा दिया। गोशेन राज्य का सबसे भव्य स्थान था। यह बाद में मिस्र के सबसे शक्तिशाली राजाओं में से एक के नाम पर "रामसेस," बुलाया जाएगा। उसने प्रत्येक परिवार को उनके बच्चों के अनुसार अनाज उपलब्ध कराया। यह कोई छोटा सा तोहफा नहीं था। पूरा क्षेत्र एक भयानक अकाल के बीच में था, और यूसुफ जानता था कियह और पांच साल तक रहेगा। 

 

यूसुफ राजा किसेवा करता रहा और सात वर्षों से जमा किये अनाज को बाँटता रहा। समय के साथ, मिस्र और कनान भर के लोगों के पास अनाज खरीदने के लिए पैसे समाप्त हो गए। फिर भी मिस्र के लोग अपनी आवश्यकताओं के लिए उसके पास आते रहे। उन्होंने कहा, "'हम लोगों का धन समाप्त हो गया। यदि हम लोग नहीं खाएँगे तो आपके देखते—देखते हम मर जायेंगे।'” यूसुफ ने उन्हें अपने पशुओं को लाने के लिए कहा। यूसुफ उनके पशुओं के बदले में अनाज बाँटने लगा। मिस्र का सारा धन फिरौन को दे दिया गया, और अब वह सभी जानवरों का स्वामित्व हो गया। एक वर्ष तक लोग अपने पशुओं को बेच कर अपने लिए भोजन उपलब्ध करा सके, लेकिन अगले साल वे यूसुफ को कुछ नहीं दे सके। अब उनके पास केवल उनकी ज़मीन और स्वयं के शरीर थे! सो यूसुफ ने प्रत्येक मिस्री से उसकी ज़मीन खरीदी और उन्हें खाने के लिए सारा अनाज दे दिया। अब सब कुछ फिरौन का हो गया था। 

 

प्रत्येक मिस्री वहां कि भूमि में काम करके फिरौन का दास हो गया था। यूसुफ ने उनसे कहा कि समय आने पर उन्हें फरौन को उगाये गए अनाज का पांचवा हिस्सा देना होगा, और बाकि वे अपने लिए रख सकते थे। अब जबकि वे फिरौन के दास हो गए थे, वे अपने परिवारों कि देखभाल के लिए उनकी फसलों का अधिकतर हिस्सा रख सकते थे। 

 

यूसुफ बुद्धिमानी और उदारता के साथ नेतृत्व करता था। जब लोगों ने उसकी योजना के बारे में सुना, तो उन्होंने आभारी होकर कहा, ''आपने हमारी जान बचाई है!'' मिस्र में कई वर्षों तक यह नियम बना रहा।यह सब फिरौन के स्वामित्व में हो गया, और देश में प्रत्येक व्यक्ति जो कुछ भी उगाता था, उसके पांचवें हिस्से का भुगतान करता था। 

 

याकूब सत्रा साल और जीया। वह एक उद्धारक के समान एक सम्मानित बुजुर्ग की तरह जीया। जब वह एक सौ सैंतालीस वर्ष का हुआ, वह जानता था की वह मरने वाला है, तो उसने युसूफ को कहला भेजा। उसने कहा, “यदि तुम मुझसे प्रेम करते हो तो तुम अपने हाथ मेरी जांघ के नीचे रख कर मुझे वचन दो। वचन दो कि तुम, जो मैं कहूँगा करोगे और तुम मेरे प्रति सच्चे रहोगे। जब मैं मरूँ तो मुझे मिस्र में मत दफनाना। उसी जगह मुझे दफनाना जिस जगह मेरे पूर्वज दफनाए गए हैं। मुझे मिस्र से बाहर ले जाना और मेरे परिवार के कब्रिस्तान में दफनाना।” 

 

यूसुफ अपने पिता के कहने के अनुसार सहमत हुआ। उसने कसम खाई कि एक दिन, याकूब की हड्डियां वादे के देश में लौटाई जाएंगी, जहां इब्राहीम और इसहाक को दफनाया गया था। जब याकूब ने यूसुफ के शपथ को सुना, तो उसने परमेश्वर की उपासना की।  

 

परमेश्वर कि कहानी पर ध्यान करना।  

उसके चुने हुए परिवार के दिलों में परमेश्वर कि सुंदर विजय के बारे में सोचिये। इसहाक और रिबका की जोड़तोड़ से लेकर, याकूब और राहेल और लिआ के बीच के प्यार की विकृतियों तक, और परमेश्वर के चुने हुए सेवकों के बेटों के बीच के लगाव तक, ऐसा लगता था मानो घृणा और दर्द की एक गहरी और स्थायी घाटी में परमेश्वर के वाचा के परिवार को लिए जा रहा है। कई सालों तक, ऐसा लगता था मानो यह शैतान के बीज के दुर्भावनापूर्ण स्वार्थ की तरह वे खुद को नीचे गिरा रहे हैं। परन्तु जिस प्रकार परमेश्वर ने अपने शक्तिशाली अनुग्रह से हव्वा के हृदय का परिवर्तन किया, परमेश्वर ने अपने वाचा के परिवार को छुटकारा दिलाया, और प्रेम और एकता में उन्हें बहाल किया। 

 

मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना।  

कई परिवारों में, घाव और मतभेद इतने गहरे हो जाते हैं कि ऐसा लगता है की सुलह की कोई उम्मीद नहीं है। शैतान के अंधकार के काम इतने गहरे हो जाते हैं की, ऐसा लगता है कि कुछ भी उसे ठीक नहीं कर पाएगा, या यहां तक ​​कि शायद परिवार ही चंगाई नहीं चाहते हैं। कभी-कभी दर्द इतना गहरा नहीं होता है, लेकिन समस्याओं के बारे में बात करना मुश्किल हो जाता है। हमें यह स्मरण रखना है कि हमें सुलह करने के लिए बुलाया गया है। लेकिन हमें यह समझना है की यह सब परमेश्वर के ठहराए हुए समय में ही होता है। सही समय आने से पहले यूसुफ लगभग बीस वर्षों के लिए चला गया था। परमेश्वर उसके भाइयों में गंभीरता से काम करने जा रहा था, इससे पहले कि वे सुलह करते। यूसुफ को कैसे मालूम हुआ कि सही समय आ गया था? खैर, सबसे पहले, परमेश्वर उन्हें उसके सामने लेकर आया। और फिर, यूसुफ ने जब उन्हें विश्वास को पुनर्निर्माण करने के लिए उन्हें अवसर दिया, तो उन्होंने उन अवसरों का सम्मान किया। उन्होंने दिखाया कि वे सही रिश्ते के लिए तैयार थे। जो दया और कृपा यूसुफ उन्हें दिखाना चाहता था, वे उसका सम्मान करने के लिए तैयार थे। ये परमेश्वर के पवित्र सत्य कि गहरी बातें हैं। प्रेम सबसे गहरा और महत्वपूर्ण है। इसके लिए बहुत प्रार्थना और गंभीरता कि आवश्यकता होती है। परमेश्वर कैसे चाहता है किआप प्रेम करें? 

 

हमारे जीवित परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर।  

परमेश्वर से मांगें कि वह आपको आपके परिवार या कलीसिया में उपस्थित घृणा, ईर्ष्या के मतभेद को दिखाए। उससे कहिये कि वह आपको प्रार्थना करना सिखाये। उससे मांगिये कि वह आपको दिखाए कि मिलन करने वाले के रूप में आपकी भूमिका यीशु के प्रेम और सामर्थ में क्या है। शायद वह आपको किसी ऐसी बात के लिए प्रार्थना करने को कहे जो बहुत वर्षों से चली आ रही है। शायद वह एक ही दिन में आपके भीतर कार्य करे। आपका उद्धारकर्ता आपको किसके लिए बुला रहा है?