पाठ 69 : यूसुफ का अपने आप को प्रकट करना
जब यूसुफ ने अपने भाइयों को बताया कि वह वास्तव में कौन था, वे घबराहट के कारण कुछ नहीं बोल पाए। इतने सालों पहले, वह बिलकुल अकेला था, उन्होंने उसे एक सूखे कुण्ड में फेंक दिया था और एक ग़ुलाम बनने के लिए उसे बेच दिया था। और अब वह अपने पक्ष में मिले सारी दुनिया का सबसे शक्तिशाली साम्राज्य की तरह वहां खड़ा था। यूसुफ अब क्या करने जा रहा था?
''मेरे पास आओ,'' उसने कहा। वाह।
क्या अच्छाई है।
दया और कृपा कि यह कितनी एक लुभावनी और सुंदर तस्वीर है। जब वे उसके निकट आये तो उसने कहा;
"'मैं आप लोगों का भाई यूसुफ हूँ। मैं वहीं हूँ जिसे मिस्रियों के हाथ आप लोगों ने दास के रूप में बेचा था। अब परेशान न हों। आप लोग अपने किए हुए के लिए स्वयं भी पश्चाताप न करें। वह तो मेरे लिए परमेश्वर की योजना थी कि मैं यहाँ आऊँ। मैं यहाँ तुम लोगों का जीवन बचाने के लिए आया हूँ। यह भयंकर भूखमरी का समय दो वर्ष ही अभी बीता है और अभी पाँच वर्ष बिना पौधे रोपने या उपज के आएँगे। इसलिए परमेश्वर ने तुम लोगों से पहले मुझे यहाँ भेजा जिससे मैं इस देश में तुम लोगों को बचा सकूँ। यह आप लोगों का दोष नहीं था कि मैं यहाँ भेजा गया। वह परमेश्वर की योजना थी। परमेश्वर ने मुझे फ़िरौन के पिता सदृश बनाया। ताकि मैं उसके सारे घर और सारे मिस्र का शासक रहूँ। इसलिए जल्दी मेरे पिता के पास जाओ। मेरे पिता से कहो कि उसके पुत्र यूसुफ ने यह सन्देश भेजा है: ‘परमेश्वर ने मुझे पूरे मिस्र का शासक बनाया है। मेरे पास आइये। प्रतीक्षा न करें। अभी आएँ। आप मेरे निकट गोशेन प्रदेश में रहेंगे। आपका, आपके पुत्रों का, आपके सभी जानवरों एवं झुण्डों का यहाँ स्वागत है। भुखमरी के अगले पाँच वर्षों में मैं आपकी देखभाल करुँगा। इस प्रकार आपके और आपके परिवार की जो चीज़ें हैं उनसे आपको हाथ धोना नहीं पड़ेगा।'"
जैसे जैसे यूसुफ अपनी कहानी को दोहरा रहा था, वह विश्वास कि आँखों से समझाता जा रहा था। उसने परमेश्वर की अच्छाई पर विश्वास किया था। परमेश्वर शक्तिशाली और संप्रभु था, और यूसुफ के साथ जो कुछ भी हो रहा था वह अच्छे कारण के लिए हो रहा था। परमेश्वर ने यूसुफ को मिस्र में लाने के लिए उसके भाइयों कि घृणित ईर्ष्या का इस्तेमाल किया। जब भयानक अकाल पड़ा, यूसुफ परमेश्वर के परिवार को बचाने के लिए पहले से ही वहाँ था। परमेश्वर ने अपनी करुणा और आशीषों से उनकी बुरी योजनाओं को बदल दिया। कितना अद्भुत परमेश्वर है!
परमेश्वर कि कहानी को उसकी दृष्टिकोण से समझाने के बाद, यूसुफ ने अपने भाइयों को अपने घर लौटने को कहा। उसने उन्हें अपने पिता को जल्द वापस लाने को कहा। फिर वह बिन्यामीन के गले लग कर बहुत रोया। बिन्यामीन ने अपने भाई को गले लगाया, और बहुत देर तक, इतने सालोँ कि दूरियों को ख़त्म किया। युसूफ सभी भाइयों के पास जाकर उन्हें चूमते हुए रोया। परमेश्वर ने एक भयानक बुराई को अच्छाई के लिए इस्तेमाल किया, और अब वह उज्ज्वल और सुंदर अच्छाई क्षमा और सुलह ला रही थी।
जब यूसुफ ने अपने भाइयों को बताया कि वह कौन था, उसका रोना इतनी ऊंची आवाज़ में था किउसके सेवकों ने उसे सुन लिया। वे फिरौन के पास गए और उसे बताया की उसका प्रिया सेवक का अपने परिवार के साथ पुनर्मिलन हो रहा था। पूरे महल को इसके बारे में पता चल गया। मिस्र और राजा के अधिकारियों को उनके वफ़ादार यूसुफ के जीवन में ऐसे अद्भुत क्षण के बारे में सुनकर ख़ुशी हुई।
फिरौन ने युसूफ से कहा की उसके भाई गधों को ढो कर वापस कनान जाकर अपने परिवार के बाकी सदस्यों को वापस ले आएं। उन्हें राजा की ओर से एक व्यक्तिगत निमंत्रण मिला था! उसने उन्हें देश के सर्वश्रेष्ठ भूमि देने का वादा किया। यह उपहार बहुत भव्य था, लेकिन यह सही था। यूसुफ ने मिस्र के राष्ट्र को बचाया था, और यह फिरौन की उदारता थी। उसने उन्हें लंबी यात्रा से उनके प्रतिष्ठित, वृद्ध पिता और उनकी पत्नियों और बच्चों के लिए ढेर सारे अनाज के साथ भेज दिया।
यूसुफ ने हर एक भाई को एक एक जोड़ा सुन्दर वस्त्र दिया। किन्तु यूसुफ ने बिन्यामीन को पाँच जोड़े सुन्दर वस्त्र दिए और यूसुफ ने बिन्यामीन को तीन सौ चाँदी के सिक्के भी दिए। यूसुफ ने अपने पिता को भी भेंटें भेजीं। उसने मिस्र से बहुत सी अच्छी चीज़ों से भरी बोरियों से लदे दस गधों को भेजा और उसने अपने पिता के लिए अन्न, रोटी और अन्य भोजन से लदी हुई दस गदहियों को उनकी वापसी यात्रा के लिए भेजा। तब यूसुफ ने अपने भाईयों को जाने के लिए कहा। जब वे जाने को हुए थे यूसुफ ने उनसे कहा, “सीधे घर जाओ और रास्ते में लड़ना नहीं।” अपने भाइयों पर रोब जमाने में उसे कितनी ख़ुशी मिल रही होगी। उसे मारने के लिए एक समय वे आपस में कितना लड़े थे, लेकिन अब परमेश्वर ने उन्हें शांति के परिवार में परिवर्तित कर दिया था। वे पूरे राष्ट्र के लिए एक सिद्ध पूर्वक बन रहे थे जो सारी दुनिया के लिए आशीष का कारण होगा।
इस प्रकार भाईयों ने मिस्र को छोड़ा और कनान देश में अपने पिता के पास गए। भाईयों ने उससे कहा, “पिताजी यूसुफ अभी जीवित है और वह पूरे मिस्र देश का प्रशासक है।” याकूब इतना हैरान हुआ की वह उन पर विश्वास करने से इनकार कर रहा था। यह इतना सच था की विश्वास करना मुश्किल हो रहा था। यह आशीष उसकी कल्पना से भी बाहर थी। यह उम्मीदों से भी बढ़कर था। लेकिन उसके बेटे उसे सारा हाल बताते रहे और जो कुछ यूसुफ ने कहा था वह सब भी बताया। उन्होंने वह सारी वस्तुएँ दिखाईं जो वे मिस्र से लाये थे। याकूब को उन पर विश्वास होने लगा था। उस उज्ज्वल, सुंदर सच्चाई को सुनकर याकूब एक नए तरीके से फिर से जीवित हो गया। अंत में उसने कहा, "'अब मुझे विश्वास है कि मेरा पुत्र यूसुफ अभी जीवित है।" ऐसा लगा मानो युसूफ वापस जी उठा है, बस यह की अब वह पूरी दुनिया का शासक था।
याकूब, जो अब इस्राएल कहलाता था, उसने अपने घराने को पूरी तरह से तैयार किया और जाने की तैयारी की। उन्होंने अपना घर पीछे छोड़ा और बेर्शेबा की ओर यात्रा की। वहाँ इस्राएल ने अपने पिता इसहाक के परमेश्वर की उपासना बलि चढ़ाई। वह पूरे वाचा परिवार के साथ वादा के देश से बाहर यात्रा करने जा रहा था, और वह ऐसा करने के लिए वह निश्चित होना चाहता की यह परमेश्वर की ओर से ही था। मिस्र में यूसुफ के जीवन के बारे में सारी शानदार खबर के बावजूद, याकूब की वफ़ादारी परमेश्वर की इच्छा को पूरा करना था। वह परमेश्वर की अनुमति के बिना वादे के देश को छोड़ कर नहीं जाएगा।
उस रात परमेश्वर इस्राएल से सपने में बोला। परमेश्वर ने कहा, “याकूब, याकूब।”
और इस्राएल ने उत्तर दिया, “मैं यहाँ हूँ।”
तब यहोवा ने कहा, “मैं यहोवा हूँ तुम्हारे पिता का परमेश्वर। मिस्र जाने से न डरो। मिस्र में मैं तुम्हें महान राष्ट्र बनाऊँगा। मैं तुम्हारे साथ मिस्र चलूँगा और मैं तुम्हें फिर मिस्र से बाहर निकाल लाऊँगा। तुम मिस्र में मरोगे। किन्तु यूसुफ तुम्हारे साथ रहेगा। जब तुम मरोगे तो वह स्वयं अपने हाथों से तुम्हारी आँखें बन्द करेगा।”
परमेश्वर कितना वफ़ादार है! उसने याकूब के भय को शांत किया और उसे आश्वस्त किया की उसकी उपस्थिति और आशीर्वाद उसके परिवार के साथ हमेशा रहेगा। इब्राहीम, इसहाक, और याकूब के साथ उसकी वाचा खतरे में नहीं थी। परमेश्वर की कोमलता के बारे में सोचिये जब उसने याकूब को आश्वासन दिया की मरने से पहले उसका पुत्र युसूफ उसके साथ होगा। निश्चित रूप से यह एक महान और दयालू परमेश्वर था।
कितना महान कारवां याकूब का घर रहा होगा! सोचिये किस प्रकार उनके बीस गधे, ग्यारा भाई और उनकी पत्नियां, सब एक साथ यात्रा कर रहे होंगे! कल्पना कीजिये किस प्रकार उनकी महिलाएं और उनके बच्चों के साथ, उनकी इतनी सालों की जमा संपत्ति के साथ वे मिस्र की ओर यात्रा कर रहे थे। यह खानाबदोश परिवार प्राचीन दुनिया के सबसे शानदार शहर किओर जा रहे थे। वे रास्ते में क्या बात करते जा रहे होंगे? क्या वे उत्साहित थे? डर हुए थे? जिज्ञासु थे?
जब वे जा रहे थे, मालूम नहीं अगर याकूब अपने सभी बच्चों और पोतों के बारे में सोचता हुआ जा रहा होगा जो परमेश्वर ने उसे दिए थे। लिआ के चार पुत्रों में से, रूबेन भेड़ों की रखवाली करते हुए उन्हें सही रास्ते पर चला रहा था। शिमोन के छे पुत्र थे, हालांकि उनमें से एक कनानी स्त्री का पुत्र था। लेवी के तीन पुत्र, यहूदा के पाँच पुत्र थे, लेकिन दो कि दुष्टता के कारण मृत्यु हो गई थी। पेरेस के तीन बेटे थे। लिआ ने दीना को भी जन्म दिया था। लिआ के सभी बच्चों में से, याकूब जब मिस्र की यात्रा कर रहा था, उसके तैंतीस वंशज थे।
जिल्पा के पुत्रों में से, गाद के सात पुत्र थे, आशेर के चार बेटे और एक बेटी थी, और बरीआ के दो बेटे थे। उसके माध्यम से याकूब के सोलह सन्तान थे। राहेल से, याकूब को यूसुफ उत्पन्न हुआ और उसके अपने दो पुत्र मनश्शे और एप्रैम थे, और बिन्यामीन के दस पुत्र थे। याकूब के रहल द्वारा चौदह वंशज थे। बिल्हा से, परमेश्वर ने याकूब को सात वंशज दिए। दान का एक बेटा था और नप्ताली के चार बेटे थे।
परमेश्वर प्रत्येक इब्राहीम के वंशज को उसके नाम से जानता था। उसने वाचा के परिवार के प्रत्येक मूल्यवान सदस्य को गिन रखा था और उन्हें परमेश्वर के वचन में दर्ज कर दिया था।
बाइबिल इस बात को सुनिश्चित करती है की कारवां कि संख्या में पत्नियों को छोड़ छियासठ लोग थे। पर यदि यूसुफ और उसके परिवार को शामिल किया जाता, तब याकूब का परिवार सत्तर होता। पवित्र शास्त्र में सात एक महत्वपूर्ण संख्या है। यह परमात्मा की पूर्णता का प्रतीक है। दस पूर्ण होने का प्रतीक है। परमेश्वर ने याकूब के परिवार को इसी समय के लिए तैयार किया था, ताकि परमेश्वर का परिवार पूर्ण हो सके और उसकी इस नई योजना के लिए तैयार हो सके।
परमेश्वर कि कहानी पर ध्यान करना।
वाह। यूसुफ के उस उदारता से दिखाए अनुग्रह के बारे में सोचिये जो उसने अपने भाइयों पर दिखाया।उसकी माफ़ी की भयावहता के बारे में सोचिये! सोचिये कितना अच्छा लगा होगा जब उसने यह कहा,"मेरे पास आओ।" क्या आप उसकी आवाज़ में कोमलता महसूस कर सकते हैं? उसने उन्हें सही मायने में माफ़ कर दिया था! वह उन्हें प्रेम के साथ देखता था! यह गौरवशाली अनुग्रह परमेश्वर की उस यशस्वी तस्वीर को दिखाता है जिसके द्वारा वह हमारे साथ व्यवहार करता है। चाहे हमारे कितने भी भयानक पाप क्यूँ ना हो, परमेश्वर हम से कहता है "मेरे पास आओ।"
मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना।
जब यूसुफ ने अपने जीवन कि कहानी को देखा, तो वह मनुष्य के पास नियंत्रण करने कि शक्ति को नहीं समझ पाया। वह स्थितियों को नहीं समझ पा रहा था क्यूंकि वह सोचता था किवे दुर्घटनाएं हैं, या वे अच्छे और बुरे भाग्य हैं। युसूफ इस बात को समझता था किसब कुछ परमेश्वर के द्वारा ठहराया गया है, और वह आशीर्वाद देने जा रहा था। यूसुफ विश्वास कि आँखों से सब कुछ देख रहा था। आप देख सकते हैं कि उसके जीवन कि लंबी कहानी में यह कितना शक्तिशाली था? जब वह जेल की कोठरी में था तब यह इतना शक्तिशाली महसूस नहीं हुआ होगा, लेकिन जब वह परमेश्वर पर भरोसा कर रहा था, तो परमेश्वर उसके जीवन में कुछ शानदार कर रहे थे।
हमारे जीवित परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर।
अपने जीवन कि कहानी का निरीक्षण करें। क्या उसे अपनी उपलब्धियों के गर्व के साथ यह समझ में आया? क्या आप इसे आपका दुर्भाग्य समझते हैं? क्या आप ऐसा मानने लगे हैं की मनुष्य परमेश्वर से अधिक शक्तिशाली है? कुछ समय बैठ कर सोचें और विश्वास की आँखों के माध्यम से अपने जीवन की कल्पना कीजिये। उन सारी बातों को सोचिये जो कठिन और कष्ट की हैं। उन्हें अपने सारे पापों और कमज़ोरियों के साथ समेट लें। अपने आप को एक बुरी अवस्था में होने किकल्पना कीजिये। अब उन सब कि कलपना कीजिये, लेकिन अब आप परमेश्वर के अनुग्रह के सिंघासन के सामने हैं। उसके चेहरे का प्रकोप इतना तेजोमय है की आपकी आँखें उसके चेहरे को नहीं देख सकती। आप घिनौने पाप से प्रदूषित हैं। आप सारे पाप को उसके सिंहासन के नीचे रख दें, और मसीह कि ओर देखें। वह क्या कहेगा? वह आपके बदबूदार रूप के साथ क्या करेगा? वह कहता है, "मेरे पास आओ", "मेरे पास आओ, और मैं तुम्हें बर्फ़ से भी सफ़ेद करूंगा।" अब उस छवि में शांत हो जाएं। आत्मा को आपके भीतर काम करने दीजिये।