सबक 23 : इब्राहीम की बुलाहट

अब्राम के जीवन कि हालत खस्ता थी। वह पचहत्तर वर्ष का था जब उसके पिता की मृत्यु हो गई थी। वह कनान से दूर हारान देश में रहता था जहाँ उसके पिता ने जाने कि आशा रखी थी। उसकी पत्नी अभी भी बांझ थी जिससे समाज द्वारा उसे बहुत शर्मिंदगी उठानी पड़ रही थी। फिर भी वे लूत, अब्राम के अनाथ भतीजे की देखभाल कि ज़िम्मेदारी उठा रहे थे। तब परमेश्वर उसके पास आये। परमेश्वर ने जो उससे कहा वह पूरे इतिहास में सबसे अर्थपूर्ण बात थी जो कभी कही गयी हो;

 

"'अपने देश और अपने लोगों को छोड़ दो।

अपने पिता के परिवार को छोड़ दो
और उस देश जाओ जिसे मै तुम्हें दिखाऊँगा।
मैं तुम्हें आशीर्वाद दूँगा।
मैं तुझसे एक महान राष्ट्र बनाऊँगा।
मैं तुम्हारे नाम को प्रसिद्ध करूँगा।
लोग तुम्हारे नाम का प्रयोग
दूसरों के कल्यान के लिए करेंगे।
मैं उन लोगों को आशीर्वाद दूँगा, जो तुम्हारा भला करेंगे।
किन्तु उनको दण्ड दूँगा जो तुम्हारा बुरा करेंगे।
पृथ्वी के सारे मनुष्यों को आशीर्वाद देने के लिए

मैं तुम्हारा उपयोग करूँगा।'”                                                  उत्पत्ति 12: 1-3 

 

वाह! इसे फिर से पढ़ें। परमेश्वर ने अब्राम को सब कुछ छोड़ने के लिए कहा। हारान में सब चीज़ों का परित्याग करके उसे एक अनजान देश में जाना था। लेकिन उस आज्ञाकारिता के साथ अपरिहार्य आशीषें भी मिलेंगी। परमेश्वर उसे कनान देश में ले जाएगा जो उसके भाग्य का देश था। और उसके विश्वास और आज्ञाकारिता के कारण, परमेश्वर ने वादा दिया की वह अब्राम के वंशज को एक शक्तिशाली राष्ट्र बनाएगा। 

 

यह वादा एक वाचा कहलाता था। यदि अब्राम आज्ञाकारी होता है तो परमेश्वर अपने पवित्र वाचा को उसके साथ कभी टूटने नहीं देगा। जब परमेश्वर बोलता है तो कुछ वास्तव में होता है। और ऐसे ही उसने सृष्टि का निर्माण भी किया। भविष्य में जो होना है वो भी परमेश्वर के शब्दों द्वारा हो जाता है। जिस प्रकार सूरज हर सुबह उगता है उसी प्रकार अब्राम निश्चिन्त हो सकता है कि परमेश्वर अपनी वाचा को पूरा करेंगे। कितनी अशिक्षित यह वाचा होगी। 

 

अब्राम शेम कि तरह होगा! वह पूरे समूह को एक पिता समान संभालेगा! परमेश्वर ने वादा किया कि उसके नाम को महान बनाएँगे। यदि कोई उसे चोट पहुँचाने की कोशिश करता है तो परमेश्वर उसे अभिशाप देंगे। परमेश्वर उसे सभी देशों के लिए एक आशीष का कारण बनाएँगे। यह कितना उज्ज्वल और अद्भुत आशा थी! लेकिन अब्राम को यह विश्वास करने के लिए चयन करना था। 

 

जब परमेश्वर ने कैन की रक्षा करने का वादा किया था, तो कैन ने ना विश्वास करने का चुनाव किया।उसने अपने चारों ओर एक किले का निर्माण किया। उसने अपने दम पर ऐसा किया। नूह के बच्चे जब पृथ्वी पर भटकने लगे, उन्हें पृथ्वी पर दूर दूर तक तितर बितर हो जाना चाहिए था। इसके बजाय, वे एक साथ रहने लगे। उन्हें लगा की परमेश्वर कि सहायता के बगैर वे अपने आप को सुरक्षित रख पाएंगे। परमेश्वर से हट के वे एक मंदिर का निर्माण करके अपने लिए एक बड़ा नाम कमाना चाहते थे। उन्होंने ऐसा अपने दम पर किया। 

 

अब अब्राम के पास यह मौका था उन्हें यह दिखाने का,कि वह किस पर अपना भरोसा रखता है। वह कैन के पीछे जा सकता था और अपना जीवन चला सकता था। या फिर वह परमेश्वर की राह पर चल सकता था। उसे एक सुरक्षा भरी जगह को छोड़ कर एक अज्ञात देश में अज्ञात लोगों के बीच में जाने का इतना भरोसा होना चाहिए। जहाँ उसके पूर्वजों ने उसकी रक्षा करने से इनकार कर दिया था वहां उसे परमेश्वर पर भरोसा करना होगा। अब्राम को परमेश्वर पर इतना भरोसा करना होगा कि वह तुच्छ चीज़ों से बहुत कुछ करने में सक्षम है। उसकी पत्नी के बच्चे होना एक असंभव बात थी, और एक राष्ट्र को बनाना तो दूर की बात थी। उसे एक चमत्कार के लिए अपने पूरे जीवन को दाव पर लगाना होगा। लेकिन अंत में, उसे एक सर्वोच्च सम्मान मिलेगा। उसे अपने ही नाम को महान नहीं बनाना पड़ेगा। परमेश्वर की ओर से उसको अपने सिद्ध विश्वास के लिए यह एक उपहार होगा। परमेश्वर पर भरोसा रखने के लिए उसे भरपूर आशीषों से पुरस्कृत किया जाएगा। ये आशीषें पूरी दुनिया के देशों पर उंडेल दी जाएंगी!

 

अब्राम क्या करेगा? अपने आप को परमेश्वर के दुश्मन का संतान दिखाने के लिए क्या वह औरों कि तरह विद्रोह करेगा जो उससे पहले करते थे? या फिर वह विश्वास में खड़े होकर परमेश्वर कि आशीषों को देखेगा?

 

अब्राम ने यह दिखा दिया कि वह एक चमत्कारिक विश्वासी था। यह बहुत आसान था। उसने वैसा ही किया जैसा परमेश्वर ने कहा था। बाइबिल इसे इस तरह से बताती है: "परमेश्वर के कहने के अनुसार अब्राम वहां से चला गया।" उसने सुना और आज्ञा मानी। 

 

बाबेल में लोगों के दर्द भरे प्रयास से अब्राम कि यात्रा कितनी भिन्न थी! जब अब्राम ने विश्वास में आगे कदम रखने का फैसला किया, तब मानव इतिहास कि दिशा ही बदल गयी। बाइबिल कि पहली पांच किताबें, तोहरा, परमेश्वर के इब्राहीम को दिए वादे के विषय में बताती हैं। वह अब्राम के द्वारा एक राष्ट्र को बनाएगा, और वह उन्हें वादे के देश में ले जाएगा। तोहरा को छोड़ बाकि की पुराने नियम की किताबें इब्राहीम के बच्चों के साथ परमेश्वर के रिश्ते के बारे में बताती हैं जब वे वादे के देश में पहुंच गए थे। वो सब परमेश्वर की सामर्थी और शुरुआती वादों से और अब्राम के विश्वास के पहले कदम से शुरू होता है। 

    

अब्राम का भतीजा लूत अब्राम और सारा के साथ गया और वे अपने साथ स्वामित्व सब ले आया। उनके सेवक भी उनके साथ में आ गए। उन्होंने सब कुछ परमेश्वर कि योजना के आगे रख दिया। वे कनान देश की ओर चले, और जब वे जा रहे थे, उस स्थान के बीचों बीच परमेश्वर अब्राम को प्रकट हुए। उन्होंने कहा, "'तुम्हारे संतानों को मैं इस भूमि को दे दूंगा।" जिस इंसान ने बच्चों के बिना इतने सालों बिताया हो उसके लिए यह कितना सुंदर वादा था। यह कितना अद्भुत वादा था यह देख कर की सभी दिशाओं में भूमि कितनी विस्तृत और विशाल थी जो परमेश्वर ने उसके लिए ठहराई थी। अब्राम ने जब उन पेड़ों को देखा और महान यरदन नदी, और कनान के पहाड़ों और घाटियों को देखा तो उसे कैसा लगा होगा? परमेश्वर ने जैसा कहा था, वह देश अब्राम के देश के समान सुन्दर था, चाहे वहां पहले से लोग बसे हुए थे। वह देश अब्राम का था और वही उसका निर्माता और मालिक भी था। और उसके पास योजना थी कि अब्राम कि वंशज उस देश को कैसे प्राप्त करेगी, लेकिन उसका समय अभी आया नहीं था। परमेश्वर की दोनों वाचा से बंधे वादे, एक बच्चे और भूमि के लिए, उन्हें पाने के लिए अब्राम को प्रतीक्षा करने के लिए बुलाया गया था। 

 

अब्राम ने परमेश्वर कि आज्ञा को माना और एक वेदी बनाई। एक बार फिर, अब्राम ने दुनिया के अन्य लोगों और राष्ट्रों से अपने आप को भिन्न दिखाया। जहाँ वे अपने स्वयं कि महिमा के लिए बड़े पैमाने पर शहरों और साम्राज्यों का निर्माण कर रहे थे, अब्राम ने वो देश छोड़ कर एक खानाबदोश का जीवन व्यतीत किया। जहां दुनिया के लोग झूठे देवताओं की मूर्तियों और मंदिरों का निर्माण कर रहे थे, वहीं अब्राम ने वफ़ादारी के साथ जीवित परमेश्वर के लिए एक वेदी बनाई। जिस प्रकार नूह ने अपनी धार्मिकता और वफ़ादारी को दिखाया वैसे ही अब्राम ने दिखाया कि वो ऐसा मनुष्य था जिस पर परमेश्वर भरोसा कर सकते थे। परमेश्वर के राष्ट्र का पिता बनने के लिए वह सही साबित हो रहा था। 

 

बेथल के पास एक नगर में पूरे परिवार ने सफ़र किया जहां इब्राहीम ने परमेश्वर के लिए एक और वेदी बनाई। इन वेदियों को परमेश्वर के लिए बनाने का अर्थ था कि उस देश को परमेश्वर के लिए माँगना।कनानी जो वहां के स्थानीय लोग थे, वे प्रेताविष्ट मूर्तियों की पूजा करते थे। वे इन झूठे देवताओं और पापी जीवन से भूमि को प्रदूषित कर देते थे। लेकिन अब्राम संसार में परमेश्वर के प्रति अपनी उपासना को अधिनियम के रूप में लाया था। वह धार्मिक धोखे के खिलाफ खड़ा हुआ और यह घोषित किया की वह शैतान की मूर्तियों के भय और सामर्थ से नहीं डरता है। प्रत्येक वेदी अब्राम के विश्वास को यह दर्शाती थी कि एक दिन उसके वंशज वहाँ शासन करेंगे। और प्रत्येक चरण में, अब्राम निर्भरता और प्रशंसा में परमेश्वर कि ओर बढ़ता चला गया।  

 

परमेश्वर कि कहानी पर अध्ययन।  

जो वाचा परमेश्वर ने अब्राहम के साथ बांधी थी वह इतनी महत्वपूर्ण क्यूँ थी? 

क्यों यह करने के लिए कठिन था?

परमेश्वर के पराक्रमी हाथ में विश्वास करना अब्राम के लिए किस प्रकार आवश्यकता होगा? 

 

मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना। 

क्या कभी आपको या आपके परिवार में किसी को विश्वास में साहस दिखाना पड़ा है? उसके विषय में कहानी बताइये! 

इब्राहीम को बाइबल में विश्वास का नमूना ठहराया गया है। यह उसके परमेश्वर पर उस साहसी विश्वास के विषय में बताती है जो उसने सबसे पहले दिखाया था। आपको क्या लगता है कि परमेश्वर हमें क्या सिखाना मांगता है जिस प्रकार से हम जी रहे हैं?

 

परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर।

एक परिवार के रूप में या अपने आप सोचिये की ऐसी कौन सी बातें हैं जिनसे आपको डर या दुःख होता है। हमारी भावनाएं हमें सिखाती हैं की वास्तव में हम किस पर विश्वास करते हैं। ऐसे विश्वासी लोग होना ज़रूरी हैं जिनके साथ हम बात कर सकते हैं। हमें एक दूसरे के लिए प्रार्थना करना ज़रूरी है। 

यहाँ कुछ सवाल हैं अपने दिल को खोजने के लिए:

क्या आपको इस बात का डर है कि आपके माता पिता को कुछ हो जाएगा? 

क्या आप इस बात से चिंतित है कि आप स्कूल में अच्छा कर पाएंगे की नहीं?  

क्या आप इस बात से क्रोधित हैं कि परमेश्वर ने आपको वो सब कुछ नहीं दिया जो दूसरों के पास है?

 

क्या आप इस बात से चिंतित हैं की जब आप बड़े होंगे तो क्या होगा? 

यदि आप चाहें तो, एक परिवार के रूप में ईमानदारी से इन बातों पर चर्चा कीजिये। प्रत्येक व्यक्ति वही कहे जो वह बताना चाहता है।  

 

आपके परिवार में किसी एक डर या चिंता के विषय के बारे में यदि कोई सदस्य खुल कर और ईमानदारी से अपने भय या कोई चिंता करने वाली बात को बताता है तो यह बहुत महत्वपूर्ण है की उसका मज़ाक ना उड़ाया जाये या उसे चोट ना पहुंचाई जाये। परमेश्वर उस बात से नाराज़ होता है। परिवारों को एक दूसरे किरक्षा करनी चाहिए और ना किदूसरे को चोट पहुँचाना। जो प्रेम परमेश्वर हमें दिखाता है वैसा ही प्रेम हमें एक दूसरे को दिखाना चाहिए। सबसे अच्छा तरीका है किएक दूसरे के लिए प्रार्थना करें!