पाठ 22 : शेम से अब्राम तक
हम जब आदम और नूह के बीच के समय को देखते हैं, तब से मनुष्य कि दस पीढ़ियां इस पृथ्वी पर बढ़ीं। वे इतने कठोर और दुष्ट हो गए थे की परमेश्वर को उनके प्रदूषित पाप से पृथ्वी को धोना पड़ा। नूह के बेटों के माध्यम से परमेश्वर ने फिर से सब मानव जाति कि शुरुआत की। दो साल बाद जब जल प्रलय का पानी नीचे चला गया, शेम, जो परमेश्वर के महान आशीर्वाद का पुत्र था, उसे और उसकी पत्नी का एक बच्चा हुआ जिसका नाम अर्पक्षद था। जब वह बड़ा हुआ, तो उसके भी एक बेटा था, और उसके बेटे के बेटे भी हुए। यह दस पीढ़ियों तक चलता रहा। अब बाइबल नूह के बाद दसवीं पीढ़ी में पैदा हुए किसी एक का वर्णन करती है। उस व्यक्ति के बारे में इतना खास क्या हो सकता है?
लेकिन पहले हमें यह पूछना है; क्या कुछ बदला है? क्या विद्रोह जारी रहा? इन दस पीढ़ियों में, क्या लोग उतने ही दुष्ट बने रहे जैसे की जल प्रलय के समय में थे?
हम पहले से ही उत्तर जानते हैं, है की नहीं? हमने राष्ट्रों की तालिका से और बेबल की ईमारत कि कहानी से बहुत कुछ सीखा। मानवता दुष्टता से परमेश्वर को अस्वीकार करेगा। परमेश्वर क्या करने जा रहे थे?
परमेश्वर ने पहले से ही जल प्रलय को दोबारा ना भेजने का वादा किया था। उस समय,परमेश्वर ने एक सिद्ध व्यक्ति जिसका नाम नूह है, उसे इस पृथ्वी किदुष्टता को मिटाने के लिए और उद्धार को लाने के लिए भेजा था। अब परमेश्वर एक नई बात करने जा रहा था। वो एक और व्यक्ति को खड़ा करने जा रहे थे जो विश्वास में सिद्ध था। केवल यही व्यक्ति परमेश्वर द्वारा बहुत भिन्न तरीके से इस्तेमाल किया जाएगा। परमेश्वर ने पूर्व में, नूह के परिवार के माध्यम से कुल विलुप्त होने से मानव जाति को बचाया।पृथ्वी जल प्रलय के कारण सब दुष्टता से साफ़ हो गयी थी। अब, परमेश्वर एक ऐसी मानव जाती को उत्पन्न करेगा जो अपने पापों की क्षमा के लिए उसके पास निरंतर आती रहेगी। परमेश्वर किउनकी खोज पृथ्वी पर एक विशुद्ध स्थान को उत्पन्न करेगी ताकि परमेश्वर किपवित्र उपस्थिति अपने उच्च स्थान में उनके बीच में स्थापित हो सके। वह उनका परमेश्वर हो और वे उसके लोग होंगे।
इस देश कि पीढ़ियां एक ही व्यक्ति के द्वारा आएंगी। वह पहला व्यक्ति होगा जो पापों के उस समाधान को जो परमेश्वर चाहते हैं, ले कर आएगा। क्यूंकि आप देखिये, पाप के समाधान में, पाप और मृत्यु और भीषण अभिशाप कि समस्या पूरी तरह से समाप्त कि जाएंगी। एक दिन, मनुष्य को एक नया दिल दिया जाएगा। वे परमेश्वर से उसी प्रकार प्रेम कर सकेंगे और उसकी पवित्रता में चल सकेंगे जिस प्रकार अदन कि वाटिका में था।
यह सब बहुत रोमांचक है, लेकिन हम बहुत तेज़ी से आगे जा रहे हैं। उस कहानी का अंत हो गया है, और मानव जाति अभी तक वहां नहीं है। समय के अंत तक, उन अद्भुत बातों का आना अभी शेष है। हम बड़े आनन्द के साथ उनका इंतजार कर रहे हैं!
नूह की दसवी पीढ़ी के पश्चात, पाप के समाधान के लिए परमेश्वर के पास एक बहुत अद्भुत योजना, आरम्भ हो गयी थी। (आपको याद हो, बाइबल में, दस नंबर कुछ पूर्ण और पूरा होने का प्रतीकहै) परमेश्वर एक महान विश्वासी मनुष्य को उत्पन्न करने वाला था। इस मनुष्य से एक शक्तिशाली नए काम कि शुरुआत होगी। उसका जीवन इतना महत्वपूर्ण है की कुछ समय के लिए बाइबिल सभी मानवता और महान राष्ट्रों कि कहानी को बंद कर के इस एक व्यक्ति कि छोटी सी दुनिया पर केंद्रित करती है। हम उसकी कहानी सुनने जा रहे हैं और हमें बहुत कुछ सीखना है। हम इस व्यक्ति को प्रेम दिखा सकते हैं क्यूंकि वह उन सब के लिए एक महान आध्यात्मिक पिता जो परमेश्वर पर विश्वास करते हैं।
शेम की दसवीं पीढ़ी के बेटे तेरह नाम के एक व्यक्ति द्वारा इस संसार में आये। उसके तीन बेटे थे जिनके नाम थे, अब्राम, नाहोर, और हारान। जब वे बड़े हो गए, तब एक भयानक त्रासदी परिवार में हुई।हारान की मृत्यु हो गई। उसके एक बेटा और एक बेटी थी, और अब वे दोनों आलोचनीय थे। परिवार अब क्या करेगा? हारान की बेटी कि देखभाल करने के लिए सबसे अच्छा तरीका था की उसके लिए एक पति को खोजा जाये। उन दिनों में, दुनिया बर्बर और असभ्य थी, और एक महिला के लिए अकेले होना बहुत खतरनाक था। इसलिए परिवार ने फैसला किया कि हारान कि बेटी, मिल्का, नाहोर
से शादी करेगी। वह उसका पति और उसका संरक्षण भी होगा। तेरह और अब्राम हारान के पुत्र की देखभाल करेंगे।
अब्राम ने सराय नामक महिला से शादी की, जिसका अर्थ है "राजकुमारी।" अब्राम की पत्नी बहुत सुन्दर थी और वे एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। लेकिन पिछले कुछ वर्षों में, उन्होंने एक भयानक दु: ख को सहन करना सीख लिया था। सराय बंजर थी। उसके बच्चे नहीं हो सकते थे। यह उसके लिए कितना भयानक दुःख होगा किवह अपने पति को एक बच्चा भी एक महान उपहार की तरह नहीं दे सकती। अब्राम के लिए उसकी पत्नी को बाहों में एक बच्चे के बिना सालों साल इस प्रकार देखना कितना कठिन होगा। फलवन्त होने कि आशीष क्यूँ परमेश्वर ने उनसे वंचित रखी? उन्हें प्रत्येक को परमेश्वर के ऊपर उसके अनुग्रह और शांति के लिए निर्भर करना होगा। उन्हें उस पर आशा रखनी होगी।
तेरह ने निर्णय लिया कि, उनके निवास्थान शहर, उर, को छोड़ कर कनान की भूमि को स्थानांतरित करना होगा। उसके बेटे और उनकी पत्नियां उसके साथ चल दीं। लेकिन रास्ते में हरान नामक जगह में वे रुक गए और वहां बस गए। यह एक लंबी यात्रा थी। उन्होंने साढ़े पांच सौ मील की यात्रा की थी! अभी तक वे कनान देश तक नहीं पहुंच पाए थे। वे अपने लक्ष्य तक पहुँच नहीं पाये। कई साल तक आधे रास्ते तक पहुँचने के बाद, तेरह की मृत्यु हो गई। अब्राम के लिए अंधकार के दिन होंगे। हरान में अपनी बंजर पत्नी के साथ, अब्राम अपने पिता पर दुःख मना रहा था और अपने भाई के बेटे की देखभाल कर रहा था। और फिर भी वह उस नियति देश, कनान से मीलों दूर था।
परमेश्वर कि कहानी पर अध्ययन।
आपको इस खंड में कोई ऐसी बात पसंद आई? क्या कोई ऐसी बात जो आपको पसंद नहीं आई? अब्राम के जीवन में ऐसी कौन सी समस्याएं थीं?
क्या परमेश्वर ने आकर उसके लिए सब कुछ ठीक कर दिया था? परमेश्वर ने क्या किया?
क्या आप परमेश्वर के दिये किसी भी वादे को याद कर सकते हैं?
मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना।
कहानी में कोई ऐसा चरित्र है जो आपको अपनी याद दिलाता है? क्या आप समझा सकते हैं क्यूँ?
क्या आप ऐसे किसी को जानते हैं जो सराय की तरह भयानक निराशा से गुज़र रहा हो? क्या कोई है जिसने अपने घर से बहुत दूर सफ़र किया हो? उसके लिए क्या मुश्किल रहा होगा?
परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर।
यीशु ने कहा,"धन्य हैं वे जो दयालु हैं" यदि किसी को चोट पहुंची हो या एक कठिन समय से गुजर रहा हो, तो हमें भी यीशु की तरह उन्हें दया दिखानी चाहिए। क्या आप किसी एक व्यक्ति के बारे में सोच सकते हैं जिसे आप दया दिखा सकते हैं? कोई एक विशिष्ट तरीका बताइये जिससे आप उन्हें यीशु के प्रेम को दिखा सकें। कुछ सुझाव हैं:
-आप उनके लिए एक तस्वीर खींच सकते हैं
-आप उनके लिए एक कार्ड लिख सकते हैं
-यदि एक परिवार का सदस्य या करीबी दोस्त है, तो आप उन्हें गले लगा सकते हैं
-आप उनकी मुश्किलातों को सुन सकते हैं
-आप उनके लिए प्रार्थना कर सकते हैं
-आप अपने प्रेम को दिखाने के लिए उनके लिए भोजन बना सकते हैं या एक उपहार दे सकते हैं
-आप उनकी सहायता उन कामों में कर सकते हैं जो वे खुद नहीं कर पाते हों
यीशु ने कहा कि जो दूसरों को दया दिखाते हैं उन्हें परमेश्वर की दया का अद्भुत उपहार दिया जाएगा। जब आप दूसरों पर दया करते हैं तो यीशु देखता है जो आपको बहुतायत कि आशीष देगा!