पाठ 30
ग्यारह और बारह अध्याय में, दूत दानिय्येल को वह बातें प्रकट करता है जो यूनानी राज्य के राज्य के समय घटेंगी। वे देश के बड़े हिस्से में राज्य करेंगे, और इस्राएल का देश उनके शासन के नीचे होगा। दानिय्येल ने यह स्वप्न तब देखा जब मादी-फ़ारसी साम्राज्य पर राज्य कर रहे थे। दूत ने दानिय्येल को बताया कि उनके तीन और राजा राज्य करेंगे, परंतु यूनान उठेगा और एक बहुत शक्तिशाली शासक पर जीत हासिल करेगा। इतिहास में ऐसा ही हुआ। यूनानी शासक, सिकंदर महान ने सभी यूनानी देशों को भारत तक जीत लिया था। फिर दूत बताता है कि, उसके मरने के बाद, देश सिकंदर के पुत्रों के पास जाने के बजाय कई टुकड़ों में बट जाएगा। यह सच्च भी था। सिकंदर महान के दो पुत्र थे, परंतु वे दोनों मारे गए थे। यूनान का राज्य चार भागों में टूट गया था। उनमें से दो भाग इस्राएल के लिए महत्वपूर्ण थे क्योंकि वे इस बात को लेकर लड़ते थे कि कौन उस देश पर शासन करेगा जिसमें इस्राएल है। सिकंदर की सेना का एक सेनापति जिसका नाम टॉलेमी था, सिकंदर के राज्य के दक्षिणी भाग के ऊपर शासन करता था (जिसे अब हम मिस्र कहते हैं) I एक और सेनापति जिसका नाम सेलयूसिद था, उसने सिकंदर के राज्य के उत्तरी क्षेत्र में, और इस्राएल के कुछ क्षेत्र में शासन किया था। ये दोनों सेनापति और वे जो उनके पीछे चलते थे, देश को हासिल करने के लिए लड़ते थे। अक्सर इस्राएल इस लड़ाई के बीच फंस जाता था। दानिय्येल ग्यारह इस युद्ध के विषय में कई विवरण देता है। दिलचस्प बात यह है कि, परमेश्वर की भविष्यवाणियों के कारण, दानिय्येल को इतिहास में हर घटना के विषय में सही पता था।
एक विशेष कारण था कि परमेश्वर इस्राएल के लोगों को चाहता था कि वे इतिहास के इस भाग को पहले से जान लें। वह विस्तार से विवरण देता है क्योंकि वह जानता था कि यहूदियों पर यूनानियों के सत्ते में रहने से बहुत बड़ा क्लेश आने वाला था। दूत ने समझाया कि उत्तरी राज्य में से, एक भयंकर शासक निकलेगा जो अति पवित्र परमेश्वर के मंदिर को अपवित्र करेगा। वह एक घृणित, या एक भयानक, एक दुष्ट मूर्ति को, मंदिर के अंदर स्थापित करेगा। जीवते परमेश्वर का मंदिर उजाड़ हो जाएगा क्योंकि यह दुष्ट व्यक्ति प्रभु के लिए सारी आराधना और बलिदान को नहीं होने देगा। दूत ने समझाया कि इस बुरे समय के दौरान, इस्राएल के लोग कई लोगों को परमेश्वर का रास्ता सिखाएंगे। परंतु यह भी है कि कई यहूदी तलवार के द्वारा मारे जाएंगे, जलाये और जेल में डाल दिए जाएंगे। परमेश्वर पहले से जानता था कि यह सब होगा, परंतु वह यह भी जानता था कि ये भयंकर बातों से उन संतों के ऊपर भारी प्रभाव पड़ेगा जो उससे दूर नहीं हुए। दूत ने समझाया कि संतों की वफ़ादारी और बहादुरी जो इस बुरे समय में प्रभु से दूर नहीं हुए थे, उनके निरंतर कष्ट के द्वारा शुद्ध किये जाएंगे। वह ऐसा था मानो वे प्रभु के सामने पूरी तरह से साफ़ और सिद्ध किये जाएंगे, चाहे कुछ भी क्यों ना हो, वे परमेश्वर की आँखों में, उसके प्रति उनके प्रेम और भक्ति के कारण, सुंदर बनेंगे।
ये बातें जो दूत दानिय्येल को यूनान के राज्य के विषय में बताता है वह इतिहास में सच होता है। 167 में, अंटिओकस ने अपना आतंक का शासनकाल चलाया। हज़ारों यहूदी मारे गए थे। उसने यूनानी देवता की मूर्ति को जिसका नाम जीयस था, सबसे पवित्र परमेश्वर के मंदिर में स्थापित किया और उसे अपवित्र कर दिया। लेकिन परमेश्वर की योजनाएं विजय रहीं। यहूदी लोगों के, जिन पापों के वे भागी थे, इस उग्र अनुभव के द्वारा उनके पाप साफ़ हो सके। जो जीवते परमेश्वर के सच्चे भक्त थे वे वफादार रहे, और वे जो वास्तव में विश्वास नहीं करते थे उन्हें उनके झूठ और धोखे को दिखाया गया और वे जो वफादार हैं उनसे अलग किये गए।
फिर भी दूत से मिला स्वप्न अंटिओकस IV के साथ समाप्त नहीं हुआ। वह कई यीशु के शत्रुओं में से एक था जो इतिहास में आएगा। लेकिन कई विश्वास करते हैं कि ग्यारह अध्याय, छत्तीस पद से आगे, दूत एक महान यीशु के शत्रु के विषय में बताता है जो अंतिम समय में आएगा। वह सात अध्याय में दिया छोटा सींग है। वह भयानक विनाश के समय को लेकर आएगा। दूत बताता है कि वह बहुतों को पूरी तरह नष्ट करेगा। उसकी भयानक शक्ति पूरे संसार में फ़ैल जाएगी। लेकिन मीकाएल दूत, जो स्वर्ग का राजकुमार है जिसका विशेष काम है, इस्राएल के लोग जो दानिय्येल के लोग हैं, उन्हें बचाना, युद्ध के लिए उठ खड़ा होगा। वह समय संकट का सबसे भयानक समय होगा। दूत ने कहा कि वह समय इतिहास का सबसे बुरा समय होगा जिसे दुनिया ने अशांति के कारण कभी नहीं देखा होगा। लेकिन वह यह भी कहता है कि परमेश्वर के लोग जिनके नाम जीवन की पुस्तक में लिखे गए हैं, छुटकारा पाएँगे। वह कितना सुंदर होगा। दूत ऐसा कहता है, "उस समय तेरे लोगों में से हर वह व्यक्ति जिसका नाम, जीवन की पुस्तक में लिखा मिलेगा, बच जायेगा। धरती के वे असंख्य लोग जो मर चुके हैं और जिन्हें दफ़नाया जा चुका है, उठ खड़े होंगे और उनमें से कुछ अन्नत जीवन जीने के लिए उठ जायेंगे। किन्तु कुछ इसलिये जागेंगे कि उन्हें कभी नहीं समाप्त होने वाली लज्जा और घृणा प्राप्त होगी। आकाश की भव्यता के समान बुद्धिमान पुरूष चमक उठेंगे। ऐसे बुद्धिमान पुरूष जिन्होंने दूसरों को अच्छे जीवन की राह दिखाई थी, अनन्त काल के लिये तारों के समान चमकने लगेंगे।’" वाह !
दूत दानिय्येल को उन बातों के निर्देश देता है जो उसे इस नयी जानकारी के साथ करना है। "'... दानिय्येल,'" वह कहता है, "''तुझे यह पुस्तक बन्द कर देनी चाहिये। तुझे अंत समय तक इस रहस्य को छिपाकर रखना है।'" इसका अर्थ यह नहीं था कि स्वप्न को सील कर दिया जाएगा और बंद कर दिया जाएगा ताकि कोई उसे पढ़ ना सके। इसका अर्थ यह है कि जो बातें दानिय्येल को दिखाई गयीं उन्हें सील कर दिया गया ताकि कोई भी उसमे ना तो जोड़ सके या ले जा सके। परमेश्वर चाहता था कि इस्राएल के लोग (और हमारे लिए भी !) वही सीखें जो दानिय्येल ने लिखा था, वह नहीं चाहता था कि कभी भी कोई परिवर्तन किया जाये। परमेश्वर ने दानिय्येल को जो बताया था वह आज भी सत्य है, और हमारे लिए अभी भी आवश्यक है कि हम उन बातों के विषय में सीखें जिनके बारे में परमेश्वर ने बताया कि घटने वाली हैं और इसलिए हम तैयार रहें। हमारे समय में भी यीशु के विरोधी होंगे जो हमें प्रभु यीशु से अलग करने की कोशिश करेंगे, और एक भयानक यीशु का विरोधी आने को है। परमेश्वर चाहता है कि विश्वासी उन दिनों दानिय्येल के स्वप्न का एक शुद्ध संस्करण रखें ताकि वे इस बात को समझें कि उस भयानक दिन में भी, परमेश्वर नियंत्रण में है और जब कष्ट का समय समाप्त हो जाएगा, वह उन्हें तारों की समान चमकाएगा।
जब वह भविष्यवाणी जो दानिय्येल को दी गयी थी समाप्त होने जा रही थी, उसने स्वयं को दजला नदी पर दोबारा देखा। उनके साथ दो अन्य लोग भी थे, नदी के दोनों ओर। उनमें से उस व्यक्ति से पूछा जो सफ़ेद वस्त्र में था ( वह जिसकी जलती हुई ऑंखें और सन का कपड़ा था), "'इन आश्चर्यपूर्ण बातों को समाप्त होने में अभी कितना समय लगेगा?” दूत उस भयानक कष्ट के विषय में सोच रहा था जो विश्वासियों पर आएगा। वह पूछ रहा था कि जिस समय से यीशु के शत्रु ने अपने बुरे काम शुरू किये थे, कब तक यह समय बीतेगा (मिलर, दानिय्येल, 322) I सन का कपड़ा पहने व्यक्ति ने कहा कि वह एक समय, कई समय, और आधा समय तक होगा। यही समय दानिय्येल सात में दिया गया था। "एक समय" एक वर्ष को दर्शाता है, "कई समय" दो वर्षों को, और "आधा समय" आधे वर्ष का प्रतीक है। इन सब को जोड़िये और वह साढ़े तीन वर्ष बनता है। दानिय्येल 9:27 में, हमें बताया गया है कि वह 1,260 दिन बनते हैं, साढ़े तीन वर्ष बनता है यदि प्रति माह तीस दिन का है। परमेश्वर इस उत्पीड़न के समय को होने देगा, लेकिन अग्रिम में सीमित कर दिया है। वह आगे कहता है, "'"'जब पवित्र जन की शक्ति टूट जायेगी और फिर ये सभी बाते अंतिम रूप से समाप्त हो जाएँगी।”" पवित्र लोग यहूदी हैं, और जब वे यीशु के शत्रु द्वारा हराये जाएंगे, जब वे अंत में प्रभु को पुकारेंगे और यीशु को मसीह मानेंगे, यह भयानक समय समाप्त हो जाएगा (मिलर, दानिय्येल, 323) I
दानिय्येल ने यह सब सुना लेकिन वह पूरी तौर से समझ नहीं पाया। उसने पूछा, "' हे महोदय, इन सभी बातों के सच निकलने के बाद क्या होगा?”
"उसने उत्तर दिया, 'दानिय्येल, तू अपना जीवन जीए जा। यह संदेश गुप्त है जब तक अंत समय नहीं आयेगा, यह गुप्त ही बना रहेगा।बहुत से लोगों को शुद्ध किया जायेगा। वह लोग स्वयं अपने आप को स्वच्छ करेंगे किन्तु दुष्ट लोग, दुष्ट ही बने रहेंगे और वे दुष्ट लोग इन बातों को नहीं समझेंगे किन्तु बुद्धिमान इन बातों को समझ जायेंगे।'" वह कुछ बातों के विषय में बताता है, और वह दानिय्येल से उन बातों के विषय में कहता है जो वह करने जा रहा है। "'’जहाँ तक तेरी बात है, जा और अंत समय तक अपना जीवन जी। तुझे तेरा विश्राम प्राप्त होगा और अंत में तू अपना भाग प्राप्त करने के लिये मृत्यु से फिर उठ खड़ा होगा।'" वाह। वह दानिय्येल से कहता है कि वह तब तक चलता रहे जब तक वहआराम करता है, जिसका अर्थ है उसका मरना। लेकिन परमेश्वर के इस वफादार व्यक्ति के लिए एकविरासत है, और अंतिम दिनों में, इन कहानियों के पार, वह अपने उद्धारकर्ता और मसीह के साथ उठेगा।