पाठ 28

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दानिय्येल एक और स्वप्न के विषय में बताता है जो एक दूत के साथ था I यह महान स्वप्न राजा साइरस के राजा बनने के तीसरे वर्ष में हुआ I जब तक दानिय्येल को यह स्वप्न आया, साइरस ने इस्राएलियों को वापस यरूशलेम लौटने की अनुमति दे दी थी (मिलर, दानिय्येल, 276)I दानिय्येल लगभग पचासी वर्ष का हो गया था I वह सत्तर वर्ष से भी अधिक वर्षों तक बाबेल में निर्वासन में था, और उसने पूरे समय अपने प्रभु की सेवा वफ़ादारी से की थी I फिर भी बहुत से परीक्षण थे I दानिय्येल के जीवन का लगभग यही समय था जब उसे शेरों के मांद में फेंक दिया था I राजा साइरस का दूसरा नाम दारा था, और वही था जो दानिय्येल के लिए चिंतित था की कहीं उसे खा ना लें !

यह कहानी हमारी पिछली कहानी के दो वर्षों पहले की थी, जब दानिय्येल प्रार्थना कर रहा था कि परमेश्वर यहूदियों को वापस यरूशलेम में ले आए I परमेश्वर ने दानिय्येल की प्रार्थनाओं को सुना, और कुछ इसरायली वापस आ रहे थे I फिर भी दानिय्येल अपने लोगों के भविष्य के लिए चिंतित था, इसलिए वह उनके लिए प्रार्थना करता रहा I वह और समझना चाहता था I 

दानिय्येल लिखता है ताकि वह एक भविष्यवाणी के विषय में बता सके जो एक महान युद्ध के विषय में उसे दी गयी थी I दानिय्येल ने हफ़्ते में तीन दिन परमेश्वर से उपवास और प्रार्थना करने के लिए ठहराए थे I उसने विलाप के साथ परमेश्वर को पुकारा I दानिय्येल के साथ जो बाद में हुआ वह इतना भव्य है कि उसने निश्चित किया कि वह वो सब कुछ लिखेगा जो वास्तव में हुआ था I

उसकी प्रार्थना के अंत में, वह दजला नदी के किनारे खड़ा था I उसने ऊपर देखा और एक मनुष्य को अपने ऊपर देखा I उसके कोई भी मित्र जो उसके साथ थे उस मनुष्य को नहीं पाए, परन्तु उसकी उपस्थिति की सामर्थ से वे डर गए, और वे सब भाग गए I दानिय्येल ने आदर के साथ उस तेजस्वी जन को देखा I वह उसे इस

प्रकार वर्णन करता है, “...वहाँ खड़े—खड़े जब मैंने ऊपर की ओर देखा तो वहाँ मैंने एक पुरूष को अपने सामने खड़ा पाया। उसने सन के कपड़े पहने हुए थे। उसकी कमर में शुद्ध सोने की बनी हुई कमर बांध थी।  उसका शरीर चमचमाते पत्थर के जैसी थी। उसका मुख बिजली के समान उज्जवल था! उसकी बाहें और उसके पैर चमकदार पीतल से झिलमिला रहे थे! उसकी आवाज़ इतनी ऊँची थी जैसे लोगों की भीड़ की आवाज़ होती है I” वाह I यह भयावह जन कौन था ? वह इतना लुभावनी था कि जब दानिय्येल उसे देख रहा था, वह बेहोश होने लगा I वह मृत्यु की तरह सफ़ेद हो गया और उसकी सब ताकत समाप्त हो गयी I वह मुंह के बल गिरा और बेहोश हो गया I

 बाइबिल में अन्य समय का वर्णन है जब एक संत ने एक ऐसा शक्तिशाली जन का स्वप्न देखा कि वे भूमि पर बेहोश हो कर गिर जाते हैं I पुराने नियम में, यशायाह जब परमेश्वर के सिंहासन के कमरे में लाया गया और उसकी उपस्थिति को देखा, तो वह भूमि पर गिर गया I (यशायाह 6 देखिये)I नए नियम में, यूहन्ना प्रेरित ने जब यीशु को स्वर्ग की महिमा में देखा तो वह भूमि पर गिर गया I उसने यीशु का वर्णन इस प्रकार किया की उसकी ऑंखें ऐसी थीं जो आग के समान जल रही थीं और उसकी वाणी बहते पानी की तरह I प्रकाशितवाक्य 1 देखिये)I क्या यह उसी की तरह नहीं लगता है जिस प्रकार दानिय्येल अपने स्वप्न में आए उस व्यक्ति का वर्णन करता है ? (मिलर, दानिय्येल, 282-282) I बहुत लोग यह मानते हैं कि जिस व्यक्ति को दानिय्येल ने देखा वह यीशु अपने स्वर्गीय महिमा में था I अन्य लोग मानते हैं कि वह एक दूत था I चाहे जो भी हो, हम जानते हैं कि वह परमेश्वर की ओर आया दूत था, और यह कि जो उसने कहा वह परमेश्वर का सच्च था (हल्टबर्ग, क्लास नोट्स, 11/03/08)I

एक हाथ ने दानिय्येल को छुआ और उसकी सहायता की कि वह अपने हाथों और घुटनों पर खड़ा हो सके I वह एक दूत था परमेश्वर के सन्देश को लेकर आया था I उसने कहा, “’दानिय्येल, तू परमेश्वर का बहुत प्यारा है। जो शब्द मैं तुझसे कहूँ उस पर तू सावधानी के साथ विचार कर। खड़ा हो। मुझे तेरे पास भेजा गया है।‘” दानिय्येल जब सुन रहा था, वह कांप रहा था, परन्तु जैसे दूत ने उसे आज्ञा दी थी वह खड़ा हो गया I तब दूत ने उससे कहा कि किस प्रकार परमेश्वर उस समय से दानिय्येल की प्रार्थना को सुन लिया था जिस समय से दानिय्येल प्रार्थना करने लगा था I जैसे ही दानिय्येल ने अपने को नम्र किया और परमेश्वर की ओर देखने लगा, परमेश्वर सुन रहा था I परमेश्वर ने एक दूत को उसकी प्रार्थनाओं के उत्तर में उसके पास भेजा I फ़िर५ भी दूत को उसके पास पहुँचने में तीन हफ़्ते लग गए I क्यों ? दूत ने बताया कि जिस समय वह जा रहा था, फारस का राजकुमार उसके विरुद्ध युद्ध करने खड़ा हुआ ताकि वह जा ना सके I राजकुमार दूत को दानिय्येल के पास जाने से रोक रहा था I परन्तु यह राजकुमार कौन था ?

फारस का राजकुमार एक शक्तिशाली दानव दूत और परमेश्वर का शत्रु था I उसे फारस में दुष्ट काम करने के लिए अधिकार दिया गया था I वह परमेश्वर के स्वर्गीय दूतों से  और कोई भी मनुष्य जो इस्राएल के पवित्र परमेश्वर के प्रति वफ़ादार था, घृणा करता था I उसने दूत को दानिय्येल के पास जाने से रोकने के लिए भयानकता से युद्ध किया I यह युद्ध इक्कीस दिन तक चला I वह इतना भयंकर था कि दूत को सहायता मांगनी पड़ी I मीकाएल दूत उसकी सहायता के लिए आया I दूत ने समझाया कि मीकाएल परमेश्वर के स्वर्गीय दूतों के दल का एक मुख्य राजकुमार था I परमेश्वर ने शायद मीकाएल को चुना क्योंकि वह इस्राएल के देश को बचाने के लिए नियुक्त किया गया था, और दानिय्येल इसी के लिए प्रार्थना कर रहा था (मिलर, दानिय्येल, 284)I मीकाएल की सहायता से, दूत दानिय्येल के पास परमेश्वर में सन्देश को लेकर पहुँच पाया I

इसकी कल्पना कीजिये !

दानिय्येल जब इस शक्तिशाली योद्धा दूत की बातों को सुन रहा था, उसने भूमि की ओर अपना मुंह झुका लिया था I वह बोल नहीं पाया I तब किसी ने जो मनुष्य के समान था उसने उसके मुंह को छुआ और दानिय्येल फिर से बोलने लगा I दानिय्येल ने कहा, “’मैंने दर्शन में जो देखा था, मैं उससे व्याकुल और भयभीत हूँ। मैं अपने को असहाय समझ रहा हूँ। मेरी शक्ति जाती रही है। मुझसे तो सांस भी नहीं लिया जा रहा है।‘” वही जो मनुष्य जैसा लगता था दानिय्येल को छुआ, और दानिय्येल को उससे और शक्ति मिली I उसने कहा, “’डर मत। परमेश्वर तुझे बहुत प्रेम करता है। तुझे शांति प्राप्त हो। अब तू सुदृढ़ हो जा! सुदृढ़ हो जा!’”

दानिय्येल ने कहा, ““प्रभु! आपने तो मुझे शक्ति दे दी है। अब आप बाल सकते हैं।”

दूत आगे जो कहता वह बहुत दिलचस्प है I उसने कहा, “’क्या तू जानता है, मैं तेरे पास क्यों आया हूँ फारस के युवराज से युद्ध करने के लिये मुझे फिर वापस जाना है। मेरे चले जाने के बाद यूनान का युवराज यहाँ आयेगा। परन्तु पहले तुम को सबसे पहले यह बताना है कि सत्य की पुस्तक में क्या लिखा है।“

दूत ने दानिय्येल को बताया कि वह और नहीं ठहर सकता था I उसे फारस के राजकुमार के विरुद्ध परमेश्वर का युद्ध लड़ने के लिए वापस जाना होगा I एक युद्ध हो रहा था, और उसे वहाँ लड़ने के लिए जाना था ! यह युद्ध दो सौ वर्षों तक चलेगा, जब तक यूनान फारस पर जीत हासिल नहीं कर लेता है I परन्तु उसके जाने से पहले, दूत दानिय्येल को परमेश्वर की ओर से वह सन्देश देगा जो इस्राएल के लिए उसकी योजनाओं के विषय में हैं I

दूत आगे कहता है, “’ उन बुरे राजकुमारों के विरोध में मीकाएल स्वर्गदूत के अलावा मेरे साथ कोई नहीं खड़ा होता। मादी राजा दारा के शासन काल के पहले वर्ष, उसे सहारा देने और उसे सशक्त बनाने को मैं उठ खड़ा हुआ।‘” क्या यह दिलचस्प नहीं है ? शक्तिशाली दूत मीकाएल इस दूत को, दानिय्येल के पास जाने की लड़ाई में  उसे सहारा देने के लिए आया I फिर भी दो वर्ष पहले, यह दूत मीकाएल की सहायता करने के लिए खड़ा हुआ I ये दूत वो शक्तिशाली योद्धा हैं जो शैतान की अंधकार की शक्तियों के विरुद्ध उन स्थानों में लड़ते हैं जिन्हें हम नहीं देख सकते I वे दुष्ट की शैतानी शक्तियों के विरुद्ध एक महान युद्ध में हैं I वे परमेश्वर के कार्यों के भाग हैं जो देशों में हो रहे हैं, और वे हमारे बड़े संरक्षक हैं I दानिय्येल जानता था कि उनके साथ किस प्रकार लड़ना है I वह स्वर्गीय स्थानों की लड़ाई को नहीं देख सकता था, परन्तु पृथ्वी पर जो हो रहा है वह उसे देख सकता था I एक धार्मिक जीवन जी कर और परमेश्वर की इच्छा जानने के लिए प्रार्थना करके, दानिय्येल उस परमेश्वर का योद्धा था जो स्वर्ग में अत्यधिक सम्मानित था I