पाठ 88 पौलुस की ज्ञानपूर्ण व्याकुलता

सरदार को सोचना होगा कि पौलुस नामक इस व्यक्ति को कैसे संभाला जाए। वह एक रोमी नागरिक था जिसने यूनानी और एक यहूदी से बात की जो इब्रानी भाषा बोलते थे । और किसी तरह, उसने यरूशलेम के लोगों से इतनी आक्रामक बातें बोलीं कि पूरे शहर में एक अराजक दंगा फैल गया! इस उथल-पुथल के एक दिन बाद, उसने महासभा को आदेश दिया कि वे पौलुस से मिलें। यह पुरुषों का वही शक्तिशाली समूह है जिसने पिलातुस हाकिम से प्रभु यीशु को मारने के लिए कहा था। इन्हीं ने स्तिफनुस पर पथराव करके उसे मार डाला था। इन्हीं के कारण हेरोदेस राजा ने याकूब को मारा और पतरस को मारने की कोशिश की। वे ही थे जिन्होंने स्तिफनुस के शहीद होने के बाद विश्वासियों को शहर से भागने के लिए मजबूर किया था। उससे पहले पीलूस उनकी ओर से उनकी मदद कर रहा था। वे यहूदी धर्म के सबसे प्रभावशाली लोग थे, लेकिन सरदार के पास उन्हें यह आदेश देने का अधिकार रखता था कि पौलुस के आमने सामने निपटा जाये। इस वार, पौलुस ने, जो रोमी नागरिक था, कोई जंजीर नहीं पहनी थी।

यह स्मरण रखना महत्वपूर्ण है कि पौलुस इन पुरुषों में से बहुतों के साथ बड़ा हुआ था। यहूदी स्कूलों में से सबसे सम्मानित स्कूल से उसने एक रब्बी के रूप में उनके साथ प्रशिक्षण लिया था। वे उसके मित्र थे। जब वे स्तिफनुस को पत्थर मार रहे थे तब उसने उनके कपड़ों की रक्षा की थी। उसे दूर-दूर तक विश्वासियों पर सताव करने की अनुमति मिली थी। यदि प्रभु ने पौलुस को पकड़ा नहीं होता, तो शायद वह इन पुरुषों में से एक होता! रोमी सैनिक पौलुस को इन परिचित, क्रोधित चेहरों के सामने लेकर आए। पौलुस ने उनकी ओर देखा और कहा, "हे भाइयो, मैंने आज तक परमेश्वर के लिए बिलकुल सच्चे विवेक से जीवन बिताया है।"

इस पर महायाजक हनन्याह ने पौलुस के पास खड़े लोगों को आज्ञा दी कि वे उसके मुँह पर थप्पड़ मारें। तब पौलुस ने कहा, "हे चूना फिरी हुई भीत, परमेश्वर तुझे मरेगा। टू व्यवस्था के अनुसार मेरा न्याय करने को बैठा है, और फिर क्या व्यवस्था के विरुद्ध मुझे मरने की आज्ञा देता है?

पौलुस के पास खड़े लोगों ने कहा, "परमेश्वर के महायाजक का अपमान करने का साहस तुझे हुआ कैसे। " पौलुस ने उत्तर दिया, "मुझे तो पता ही नहीं कि यह महायाजक है। क्योंकि शासन में लिखा है, 'तुझे अपनी प्रजा के शासक के लिये बुरा बोल नहीं बोलना चाहिये।

यहाँ हम सोच सकते हैं कि पौलुस शायद इन लोगों को सुसमाचार का प्रचार करे। फिर भी उसने नहीं किया। बाइबिल हमें इसका कारण नहीं बताती है, लेकिन ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि उन्हें सुसमाचार सुनने के कई अवसर मिले थे। बार-बार उन्होंने अपने मसीहा पर विश्वास करने से इनकार किया! पौलुस ने उन्हें अपने परमेश्वर को अस्वीकार करने का एक और मौका नहीं दिया। इसके बजाय, उसने उन्हें भ्रमित कर दिया। वह बहुत चतुर था।

महासभा में शक्तिशाली पुरुष दो मुख्य समूह के थे सदूकी और फरीसी पौलुस एक फरीसी था। वह जानता था कि इन दोनों समूहों के एक दूसरे के साथ बड़ी असहमति थी। फरीसियों का मानना था कि मृत्यु के बाद जीवन था और दुनिया में स्वर्गदूत और आत्माएं थीं। सदूकी इनमें से किसी भी अलौकिक बात पर बिलकुल विश्वास नहीं करते थे। पौलुस ने उनके बीच लड़ाई शुरू करने के लिए इसका उपयोग किया! उसने कहा, "हे भाईयों, मैं फ़रीसी हूँ एक फ़रीसी का बेटा हूँ। मरने के बाद फिर से जी उठने के प्रति मेरी मान्यता के कारण मुझ पर अभियोग चलाया जा रहा है!"

बेशक, पौलुस यीशु और स्वर्ग में अनन्त जीवन के बारे में बात कर रहा था, जो उन्हें दिया गया है जो यीशु पर विश्वास करते हैं। लेकिन इन पुरुषों को इसकी परवाह नहीं थी, वे केवल एक-दूसरे के साथ लड़ाई कर रहे थे। इसके कारण दोनों समूहों के बीच एक बड़ा तर्क शुरू हो गया। अचानक, फरीसियों ने पौलुस को एक ऐसे व्यक्ति के रूप में देखा जो उनके पक्ष में था! " इस व्यक्ति में हम कोई खोट नहीं पाते हैं। यदि किसी आत्मा ने या किसी स्वर्गदूत ने इससे बातें की हैं तो इससे क्या ?"

बहम इतनी अधिक हिंसक हो गई कि सरदार को पौलुस के प्राणों की चिंता होने लगी। वह विवाद के बीच में फंस गया था! सो उसने सिपाहियों को आदेश दिया कि. वे नीचे जा कर पौलुस को उनसे अलग करके छावनी में ले जायें।

अगली रात, जब पौलुस सो रहा था, उसका प्रभु उसके पास आया और अपने विश्वासयोग्य मित्र से बोला, "हिम्मत रख, क्योंकि तूने जैसे दृढ़ता के साथ यरुशलेम में मेरी साक्षी दी है, वैसे ही रोम में भी तुझे मेरी साक्षी देनी है ।" सारी सृष्टि के परमेश्वर का स्वपन में आना कितनी उत्तम बात है। स्वर्ग की योजनाओं में शामिल होना कितना अद्भुत है। यह पौलुस के लिए कितनी अद्भुत बात है कि परमेश्वर ने इस महत्वपूर्ण संदेश को साहसपूर्वक प्रचार करने के लिए उस पर भरोसा किया।