पाठ 87 रोमी नागरिकता स्वर्ग के नागरिक की रक्षा करता है

जब रोमी सरदार ने देखा कि धोखाधड़ी की भीड़ का क्रोध और बढ़ता जा रहा था, तो उसने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वे पौलुस को बैरकों में से लाकर उसे कोड़े लगायें। सरदार यह जानना चाहता था कि पौलुस ने ऐसा क्या कहा जिससे यरूशलेम का पूरा शहर क्रोधित हो गया था। जब यहूदी किसी को कोड़े लगते थे, तो वे उसे 40 से अधिक बार नहीं मार सकते थे। यह परमेश्वर द्वारा पुराने नियम में वह एक कृपभरा नियम स्थापित किया गया था ताकि वह उसकी रक्षा कर सके जो दंडित होता है। यहूदी इस नियम के विषय में इतने सचेत थे कि वे केवल उनतालीस कोड़े लगवाते थे, कहीं ऐसा न हो कि वे वे एक या दो की गिनती से चूक गए हों । वे परमेश्वर को अपमानित नहीं करना चाहते थे।

रोमियों का ऐसा कोई नियम नहीं था। उनका दण्ड निर्दयी और क्रूर था। जब वे किसी को मारते थे, तो चाबुक का उपयोग करते थे। यह चमड़े का बना हुआ होता था जिसके दोनों सिरों में हड्डियाँ या धातु त्वचा को फाड़ने के लिए बंधे होते थे । यह किसी को अपमानित करने और यातना देने और उन्हें बोलने के लिए मजबूर करने का एक बहुत ही प्रभावी तरीका था। वे पौलुस से सच्चाई उगलवाना चाहते थे।

उन्होंने पौलुस को पकड़ा और उसे मारने के लिए बाहर खींच कर से गए। पौलुस ने उस सूबेदार की ओर देखा जो उसके पास खड़ा था और पूछा, "किसी रोमी नागरिक को, जो अपराधी न पाया गया हो, कोड़े लगाना क्या तुम्हारे लिये उचित है?" उस समय, रोमी नागरिक होना एक बहुत सम्मान की बात थी। इसका अर्थ है कि किसी भी उस बात से सुरक्षा पाना जो अपमान कर सकती है, जैसे कि मार या क्रूस पर चढ़ाया जाना (एनआईबीएसबी 1730)। इससे पहले कि एक रोमी नागरिक को दण्ड के रूप में पीटा जाये, एक न्यायाधीश के साथ अदालत में मुकदमा चलाया जाता था। इस बात का प्रमाण देना पड़ता था कि जो व्यक्ति दंडित हो रहा है वह इसके लायक है। पौलुस एक रोमी नागरिक था, और यदि रोमी सैनिक उसे बिना मुकदमे के मारता है, तो यह एक अपराध था। वे गंभीर मुसीबत में पड़ सकते थे।

सूबेदार को एहसास हुआ कि वह पौलुस को मारकर कानून तोड़ने वाला था। वह सरदार के पास वापरा गया और उसे बताया। तब सरदार स्वयं पौलुस के पास आया और उससे पूछा, "मुझे बता, क्या तू रोमी नागरिक है?" पौलुस ने कहा, "हाँ"

इस पर सेनापति ने उत्तर दिया, "इस नागरिकता को पाने में मुझे बहुत सा धन खर्च करना पड़ा है।

पौलुस ने कहा, "किन्तु मैं तो जन्मजात रोमी नागरिक है। "

रोम का नागरिक होना एक प्रतिष्ठा का प्रतीक था और इतनी सारी सुरक्षा थी कि लोग जो नागरिक नहीं थे, वे अपना पैसा बचाकर एक नागरिक बनने के लिए इतनी बड़ी कीमत का भुगतान करने के लिए तैयार थे। यह एक रोमी नागरिक होकर पैदा होने के तुल्य उतना अच्छा नहीं था

सरदार को एहसास हुआ कि पौलुस उससे कहीं ऊपर पद पर था। जब उन लोगों ने यह सुना जो पौलुस से पूछ-ताछ करना चाहते थे, तो वे जल्दी से वहां से चले गए । वे इसका हिस्सा बिलकुल नहीं बनना चाहते थे। सरदार भी डर गया था। उसने बिना किसी परीक्षण के पौलुस को जंजीरों से बांध दिया था। वह गंभीर मुसीबत में पड़ सकता था। अब, हम जानते हैं कि पौलुस के पास इससे और अधिक मूल्यवान नागरिकता थी। वह परमेश्वर का एक पुत्र था जो आत्मा द्वारा मोहरबंद किया गया था। वह स्वर्ग का नागरिक था। वह राजा का एक दूत था। यही कारण है कि उन्हें उसके प्रति दयालु होना चाहिए था। इसलिए उन्हें उसे सुनना चाहिए था। लेकिन वे रोम की उस नागरिकता को चाहते थे जो इस दुनिया की थी। पौलुस ने समझदारी के साथ स्वयं को अन्याय से बचाने के लिए इसका उपयोग किया ।