पाठ 78 इफिस में उपद्रव
लगभग उसी समय पौलुस ने जब तीमुथियुस और इरास्तुस को कुरिन्य भेजा ताकि वे उसकी प्रतीक्षा करें और यरूशलेम जाने की योजना बनायें, इफिसुस में कलीसिया के लिए बड़ी परेशानियां शुरू हो गयीं। इफिसुस एक बड़ा शहर था जिसमें रोम की अरतिमिस नाम की देवी के लिए एक विशाल मंदिर बनाया गया था। यह शहर का गौरव था। लोग देवी की पूजा करने के लिए दुनियाभर से आए थे। सड़कों के किनारे सभी दुकानों में अरतिमिस देवी की छवि में बनाई गई मूर्तियाँ थीं परिदर्शक उन्हें खरीदते थे ताकि वे उन्हें अपने घरों में लेजाकर उनकी पूजा कर सकें देमेत्रियुस नामक एक व्यक्ति था जो उन लोगो में से जो अरतिमिस के लिए चांदी का मंदिर बनाते थे। वह क्रोधित था। इफिस में कई लोग यीशु के पीछे चलने लगे थे जिसके कारण उन्होंने अरतिमिस की पूजा करने के लिए उसकी बनाई गई छवियों और मंदिरों को खरीदना बंद कर दिया था! वाह! यह कितना एक अद्भुत चिन्ह है! यह दिखाता है कि कितने लोग मूर्तिपूजा और पाप के बंधन से मुक्त हो गए थे। परन्तु यह उन लोगों के लिए बुरी खबर थी जिन्होंने मूर्तियों और मंदिरों से पैसा बनाया था। वे पैसे को खो रहे थे। उन्हें इसे रोकना होगा।
देमेत्रियुग ने योजना बनाने के लिए मंदिर के सभी कारीगरों को इकट्ठा किया। " देखो लोगो, तुम जानते हो कि इस काम से हमें एक अच्छी आमदनी होती है। तुम देख सकते हो और सुन सकते हो कि इस पौलुस ने न केवल इफिसुस में बल्कि लगभग एशिया के समूचे क्षेत्र में लोगों को बहका फुसला कर बदल दिया है। वह कहता है कि मनुष्य के हाथों के बनाये हुए देवता सच्चे देवता नहीं है। इससे न केवल इस बात का भय है कि हमारा व्यवसाय बदनाम होगा बल्कि महान देवी अरतिमिस के मन्दिर की प्रतिष्ठा समाप्त हो जाने का भी डर है। और जिस देवी की उपासना समूचे एशिया और संसार द्वारा की जाती है, उसकी गरिमा चिन जाने का भी डर है। ।" (एनआईबी)।
अरतिमिस के भक्तों ने सुना कि देमेत्रियुस ने क्या कहा और बहुत क्रोधित हो गए।' इफ़िसियों की देवी अरतिमिस महान है।" उन्होंने एक राक्षसी भीड़ के रूप में बार बार यही चिल्लाते रहे। उनकी आवाजें इतनी क्रूर थी कि सड़कें हिल गयीं और पूरे शहर में एक विनाशकारी उथल-पुथल मच गई। उन्होंने पौलुस के दो मित्रों, गयुस और अरिस्तर्बुस को पकड़ लिया। वे सुसमाचार फैलाने में मदद करने के लिए मकिदुनिया से उसके साथ आए थे, और अब उनके जीवन खतरे में थे। भीड़ ने पौलुस के मित्रों को शहर के महान रंगशाला में जबरन खींच कर ले गए।
पौलुस जानता था कि क्या हो रहा था और रंगशाला में भाग जाना चाहता था। इफिमुस के लोगों से बात करने का यह एक और अवसर था। इस घृणित, क्रोधित भीड़ के बीच चेले खतरे में थे। उन्होंने पौलुस को जाने नहीं दिया, भले ही वह जाना चाहता था। पौलुस के कुछ मित्र थे जो इस क्षेत्र के उच्च और प्रभावशाली अधिकारी थे जब उन्हें एहसास हुआ कि पौलुस के जाने से क्या हो सकता है, वे डर गए थे। उन्होंने उसे सन्देश भेजा कि वह छिपा रहे। इफिस में इस दिन की कल्पना कीजिए। कल्पना कीजिए कि यह आपका शहर था, और लगभग सब क्रोधित होकर आपके मित्र का पीछा कर रहे हैं क्यूंकि उसने यीशु का सुसमाचार सुनाया था। कल्पना कीजिए कि हजारों लोगों के क्रोध के कारण पूरा शहर बंद कर दिया गया क्योंकि वे रंगशाला के लिए सड़कों पर उतर आए हैं। कल्पना कीजिए कि वे आपके दो मित्रों को अपने साथ ले गए हैं और आप नहीं जानते थे कि उनके साथ क्या होने जा रहा है। कल्पना कीजिए कि वे आसानी से आपका पीछा कर सकते हैं क्योंकि आप यीशु पर विश्वास करते हैं। कल्पना कीजिए कि शहर के सबसे शक्तिशाली लोग इस पागलपन को रोकने के तरीकों को ढूंड रहे हैं। ऐसा लग रहा था मानो पूरी दुनिया उस उन्मादी दिन पर उलट गई हो।