पाठ 79 तूफ़ान को शांत करना

"इफिसियों का अरतिमिस महान है।" इफिसुस के लोग उस महान रंगशाला में चिल्ला रहे थे वे यीशु मसीह के नाम के विरूद्ध विद्रोह में अपनी देवी अरतिमिस के नाम को ले रहे थे। जब इफिसुस के लोग मसीह पर विश्वास करने लगे तब अरतिमिस की मूर्तियों की बिक्री बहुत कम हो गई। बहुत कम लोग उसकी पूजा करने लगे, उन्होंने उसके भयानक मंदिर या उसकी वेश्याओं के पास जाना छोड़ दिया था। उन्होंने उसके धर्म के राक्षसी प्रभाव से स्वतंत्रता प्राप्त कर ली थी। परन्तु जो लोग अभी भी उसकी पूजा कर रहे थे, वे उसके सच्चे सेवक बने हुए थे। उन्होंने पौलुस और यीशु के अनुयायियों के विरुद्ध एक बड़ा उपद्रव शुरू कर दिया था। पौलुस छिपा रहा, परन्तु उसके मित्र गायस और अरिस्टार्कस भीड़ के साथ रंगशाला में थे, और उनके प्राण खतरे में थे।

सिकंदर नामक एक व्यक्ति को भीड़ को चुप कराने के लिए सामने धकेल दिया गया, लेकिन जब भीड़ को मालूम हुआ कि वह यहूदी था तो वे और ज़ोर से चिल्लाने लगे। वे बार-बार चिल्लाते रहे, "इफिसस का अरतिमिस महान है"। रंगशाला में भीड़ पूरे दो घंटों तक चिल्लाती और क्रोधित रही। यह एक खुला रंगशाला था, और उनकी आवाज़ पूरे शहर में गूंज रही थी। पूरा शहर शोर और भय से भर गया था। उन हज़ारों लोगों के चिल्लाहट की कल्पना कीजिये। उन विश्वासी इफिसुस के लोगों की कल्पना कीजिये जो क्रोध के विरुद्ध अपने घरों में छिपे हुए थे। उनकी प्रार्थना की कल्पना कीजिये! गयुस और अरिस्तर्खुस के साथ क्या होगा? पौलुस के साथ क्या होगा यदि वह अपने भाइयों की नहीं सुनेगा?

अंततः शहर का एक मुंशी भीड़ को शांत करने में कामयाब रहा। उसने कहा, " इफिसुस के लोगों क्या संसार में कोई ऐसा व्यक्ति है जो यह नहीं जानता कि इफिसुस नगर महान देवी अतरिमिस और स्वर्ग से गिरी हुई पवित्र शिला का संरक्षक है? क्योंकि इन बातों से इन्कार नहीं किया जा सकता। इसलिए तुम्हें शांत रहना चाहिए और बिना विचारे कुछ नहीं करना चाहिए। तुम इन लोगों को पकड़ कर यहाँ लाये हो यद्यपि उन्होंने न तो कोई मन्दिर लूटा है और न ही हमारी देवी का अपमान किया है। फिर भी देमेवियस और उसके साथी कारीगरों को किसी के विरुद्ध कोई शिकायत है तो अदालतें खुली हैं और वहाँ राज्यपाल हैं। वहाँ आपस में एक दूसरे पर वे अभियोग चला सकते हैं।

"किन्तु यदि तुम इससे कुछ अधिक जानना चाहते हो तो उसका फैसला नियमित सभा में किया जायेगा। जो कुछ है उसके अनुसार हमें इस बात का डर है कि आज के उपद्रवों का दोष कहीं हमारे सिर न मढ़ दिया जाये। इस दंगे के लिये हमारे पास कोई भी हेतु नहीं है जिससे हम इसे उचित ठहरा सके। " उसने यह कहकर उन्हें विदा किया। आश्चर्यजनक रूप से, भीड़ शांति से चली गई यह पागलपन अंततः समाप्त हो गया। पौलुस ने अपने मसीही भाइयों को लेन के लिए भेजा। उसने कुछ शब्द मसीह में प्रोत्साहित करने के लिए कहे, और फिर प्रस्थान करने के लिए तैयार हुआ। वह पहले से ही मकिदुनिया जाने की योजना बना चुका था, और वह अब समय आ गया था। उसने अलविदा कहा और उस यात्रा के लिए तैयार हो गया जिसे परमेश्वर ने उसके लिए योजना बनाई थी। उसने कई उन कलीसियाओं की पुनरीक्षण की, जिनकी शुरुआत परमेश्वर ने पौलुस के सुसमाचार सुनाने के माध्यम से की थी।

हमें नहीं मालूम कि पौलुस ने इस समय के दौरान कितनी लम्बी यात्रा की, लेकिन यह काफी समय से होगा। अंत में वह यूनान के लिए निकल पड़ा और तीन महीने तक वहां रहा। अधिकतर लोग सोचते हैं कि वह उस कलीसिया के साथ कुरिन्युस में रहा जिसने उसे बहुत सताया था। इस अपरिपक्व कलीसिया को यीशु में बढ़ना सिखाना होगा यह वह समय है जब पौलुस ने रोमियों की पुस्तक लिखी थी। वह वहां कभी नहीं गया था, लेकिन वह वहां किसी दिन जाना चाहता था। रोम दुनिया का सबसे बड़ा शहर था। रोम की कलीसिया कठिन परिस्थिति से गुज़र रही थी, और इसलिए उसने पवित्रशास्त्र के उच्च तथ्यों को समझाते हुए एक लंबा पत्र. लिखा। यह एक अद्भुत किताब है। उसने उन्हें यह भी बताया कि उसे उनके पास आने की उम्मीद है!

जब पौलुस कुरिन्थुम में था, यहूदियों ने पौलुस के विरुद्ध साजिश रची। वह सीरिया जाने की योजना बना रहा था, लेकिन इन नई समस्याओं के कारण उसे अपनी योजनाओं को बदलना पड़ा। उसने मकिदुनिया वापस जाने का निर्णय लिया । इस बार पौलुस अकेला नहीं था। मसीही भाइयों का एक समूह उनके साथ यात्रा पर गया था।

पौलुस के साथ यात्रा करने वाले पुरुष उसके मिशनरी काम के वर्षों के लिए सम्मान हैं। वे कई अलग-अलग क्षेत्रों से थे जहां पौलुस ने पहली बार सुसमाचार का प्रचार किया था। बिरीया का मोम विमलुनीकियों के अतिसुंग और दिरवे का गियुस, लुना से तीमुथियुस और आसिया के तुखिकुस और त्रुफिमुस थे पौलुस उनके लिए एक आध्यात्मिक पिता के समान था। उसके प्रति उनकी वफादारी उसके नेतृत्व के बारे में बहुत कुछ कहती है। इन सभी पुरुषों ने पौलुस के सामने त्रोआस में उससे मिलने की एक साथ यात्रा करने की योजना बनाई। पौलुस और लूका फिलिप्पी में अपने प्रिय मित्रों से मिलने जा रहे थे। फसह के पर्व के बाद, पौलुस फिलिप्पी के बंदरगाह से लूका के साथ पांच दिनों तक जहाज़ से त्रोआस अपने मित्रों तक पहुंचे। इस समूह ने अपने मसीही भाइयों और बहनों के साथ सात दिन बिताए कल्पना कीजिए कि उन्होंने परमेश्वर के विषय में कैसी अद्भुत चर्चा की होगी।

रविवार को, वे सभी परमेश्वर के भोज के लिए इकट्ठे हुए। पौलुस ने एक संदेश दिया, और यह लंबे समय तक चला। उसे अगले दिन जाना था, और उसके पास उन्हने बताने के लिए बहुत सारी बातें थीं। उसके भीतर उनके लिए मसीह का प्रेम था! वह उनके साथ मध्यरात्रि तक बात करता रहा। पौलुस के साथ कमरा बहुत लोगों से भरा हुआ था। यह तीसरी मंजिल पर था। कमरा दीपक की ज्योति से उज्वल था, लेकिन इसके कारण कमरा बहुत गर्म हो गया था।

यूतुखुस नामक जवान, खिड़की पर बैठ कर सुन रहा था। वह थका हुआ था। वह इतना थका हुआ था कि वह उस खिड़की पर बैठे हुए सो गया। जितना वह गहरी नींद में सोता गया उसके शरीर को उतना ही शिथिल होता गया। इससे पहले कि कोई उसे रोक सके, वह फिसल कर खिड़की से बाहर नीचे गिर गया! वह इतना नीचा गिरा कि वह गिरते ही मर गया। सारे विश्वासी नीचे उसे देखने के लिए कि वह ठीक है या नहीं परन्तु उन्होंने अपने भाई को मृत पाया। पौलुस बाहर उत्तर कर उनके पास गया और उस मृत जवान से लिपट गया। "घबराओ मत क्योंकि उसके प्राण अभी उसी में हैं। " पौलुस ने यूतखुस को जीवित कर दिया था!

पौलुस ऊपर गया, और उन्होंने मिलकर रोटी तोड़ी। तब पौलुस पौ फटने तक उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए उनसे बातें करता रहा। सुबह हो गई, और इसलिए उसे जाना पड़ा। तुम अपने घर जीवित होकर लौट गया। पौलुस को अलविदा करते हुए सभी दुखी थे परन्तु उन्हें राहत मिली कि परमेश्वर ने यूतुबुस के जीवन को बचाया था।