कहानी १२: मरियम और एलिजाबेथ
लूका १ः३९-५६
जब स्वर्गदूत गैब्रियल मरियम के पास आया था, तो वह इस्राएल के उत्तर में रह रही थी - गलील के समुद्र से कुछ ही मील की दूरी पर, नासरत नाम के शहर में। जब उसको परमेश्वर के आश्चर्यजनक कार्य का एहसास हुआ जो वह उसके अन्दर करने जा रहा था, वह अपने शहर से दूर चली गई। वह अपनी चाची एलिजाबेथ को मिलने दक्षिण की ओर रवाना हुई, जो खुद भी अपने विशेष बच्चे के साथ गर्भवती थी। परमेश्वर इस परिवार के द्वारा, एक नए और शक्तिशाली तरीके से इस दुनिया में प्रवेश कर रहे थे!
एलिजाबेथ और जकर्याह, यहूदिया के एक पहाड़ी देश में रहते थे। जब मरियम आई और उसकी चाची ने उसकी आवाज सुनी, एलिजाबेथ के अंदर बच्चा कूद पड़ा! एलिजाबेथ ने परमेश्वर की आत्मा से परिपूर्ण होकर यह घोषणा की:और उस ने बड़े शब्द से पुकार कर कहा, तू स्त्रियों में धन्य है, और तेरे पेट का फल धन्य है।
और यह अनुग्रह मुझे कहां से हुआ, कि मेरे प्रभु की माता मेरे पास आई और देख ज्योंही तेरे नमस्कार का शब्द मेरे कानों में पड़ा, त्योंही बच्चा मेरे पेट में आनन्द से उछल पड़ा। और धन्य है, वह जिस ने विश्वास किया कि जो बातें प्रभु की ओर से उस से कही गई, वे पूरी होंगी। लूका १ः४२-४५
वाह! एलिजाबेथ का विश्वास मरियम की तरह शुद्ध था! उसने उस बच्चे को प्रभु माना! वो दोनों जकर्याह से, जो एक महान याजक था और जिसने परमेश्वर के दूत पर संदेह किया, कितनी अलग थी! जब यह दो महिलाओं ने उसके ही घर में एक साथ आनन्द मनाया, जकर्याह चुप रहा। वह अभी भी बोल नहीं सकता था!तब मरियम ने अपने दिल में आश्चर्य और भय के बारे में एक सुंदर कविता बोली:
तब मरियम ने कहा, मेरा प्राण प्रभु की बड़ाई करता है।
और मेरी आत्मा मेरे उद्धार करने वाले परमेश्वर से आनन्दित हुई। क्योंकि उस ने अपनी दासी की दीनता पर दृष्टि की है, इसलिथे देखो, अब से सब युग युग के लोग मुझे धन्य कहेंगे। क्योंकि उस शक्तिमान ने मेरे लिए बड़े बड़े काम किए हैं, और उसका नाम पवित्र है। और उस की दया उन पर, जो उस से डरते हैं, पीढ़ी से पीढ़ी तक बनी रहती है। उस ने अपना भुजबल दिखाया, और जो अपने आप को बड़ा समझते थे, उन्हें तित्तर-बित्तर किया। उस ने बलवानों को सिंहासनों से गिरा दिया; और दीनों को ऊंचा किया। उस ने भूखों को अच्छी वस्तुओं से तृप्त किया, और धनवानों को छूछे हाथ निकाल दिया। उस ने अपने सेवक इस्राएल को सम्भाल लिया। कि आपकी उस दया को स्क़रण करे, जो इब्राहीम और उसके वंश पर सदा रहेगी, जैसा उस ने हमारे बाप-दादों से किया था। लूका १ः४६-५६
जैसे मरियम ने मानवता के इतिहास में अपनी कीमती भूमिका के बारे में सोचा, वह जानती थी कि यह उसके लोगों के लिए परमेश्वर के वादों की पूर्ति थी। वह इस बात से आनंदित थी कि परमेश्वर ने उसके जैसे एक गरीब, दासी लड़की को इस दुनिया में उद्धारकर्ता लाने के लिए चुना। हम भी उसकी प्रसन्नता, अपने उद्धारकर्ता की माँ के साथ बाँट सकते है!मरियम एलिजाबेथ के साथ तीन और महीने रही। फिर वह घर नासरत लौटी, जहाँ यूसुफ़ और बाकि लोग जल्द ही यह जानेंगे कि मरियम का बच्चा होने वाला था।