राज्य में विद्रोह

आदम और हव्वा  पूरे आराम और खुशी से उस बगीचे में रहते थे। परमेश्वर , जो सब कुछ  पर प्रभु है, उनके पास हमेशा था। वह उस बगीचे में उन लोगों के साथ बात करते हुए साथ चलता था। वे परमेश्वर की उत्तम इच्छा  से बगीचे की देख रेख करते थे, और वहाँ कोई दुख या दर्द नहीं था।

काश मनुष्य केवल अपने प्रभु पर पूरी निर्भरता में रहना जारी रखता! काश वो इस सृष्टि के राजा की ओर विश्वास्योग्य रहता! बात असल में यह थी कि उस बगीचे में एक और प्राणी भी था। वह इतनी दुष्टता से भरा हुआ था कि वह खुद परमेश्वर से भी नफरत करता था! एक बार की बात थी कि वो एक सुंदर स्वर्गदूत था,लेकिन उसने परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया। ऐसे कैसे हो सकता है की कोई भी प्राणी, इतने  उच्च और पवित्र परमेश्वर से मुंह फेर ले? यह हम  समझ  नहीं सकते है, लेकिन यह सच है।

विद्रोह के इस स्वर्गदूत का नाम लूसिफ़ेर था। उसने स्वर्ग में एक तिहाई स्वर्गदूतों को परमेश्वर के खिलाफ विद्रोह करने  को उकसाया, और स्वर्ग में एक भयानक युद्ध हुआ। बाकी स्वर्गदूत परमेश्वर के प्रति वफादार बने रहे और लूसिफ़ेर की दुष्ट सेना के खिलाफ लड़े। परमेश्वर के पवित्र स्वर्गदूतों ने ये महान लड़ाई जीत ली है, और लूसिफ़ेर और उसके साथियों को स्वर्ग से बाहर डाल दिया गया। लेकिन उनका विद्रोह खत्म नहीं हुआ। लूसिफ़ेर, जो शैतान भी कहलाया जाता है, एक और हमला करने की ताक में था। और वो तरीका और क्या हो सकता था, पर  परमेश्वर के नए राज्य पर घुसपैठ करना?

शैतान के लिए केवल एक समस्या यह थी कि परमेश्वर इतना महान और बेहद शक्तिशाली है, कि वह उसे बल से नहीं हरा सकता था। उसे छिप के राज्य में उन कमजोरियों को ढूँढना होगा। हम जानते हैं कि यह एक मूर्ख, दुष्ट उम्मीद थी। परमेश्वर सब कुछ जानता है, और वह सब कुछ भी जानते है जो आगे होगा। शैतान को यह पता था कि परमेश्वर ने मनुष्य को अलग से विशेष बनाया है। मनुष्य का यह उच्च सम्मान था कि वो परमेश्वर की इस बनाई हुई दुनिया की देख रेख करे। परमेश्वर ने उन्हें अपनी रचना पर नेतृत्व करने का अधिकार दिया था। यह एक वास्तविक जिम्मेदारी थी, और वे इसे एक ही तरीके से पूरा कर सकते थे-  परमेश्वर के आदेशों का पालन करके। इस  पृथ्वी की आशीष और बहुतायत, मनुष्य के वफादार आज्ञाकारिता पर निर्भर थी। यदि शैतान इन मनुष्यों को नष्ट कर सकता था, वह जानता था कि वह परमेश्व के सीधे दिल पर वार कर रहा है। वह मानव जाति में परमेश्वर की छवि को कुचल कर, परमेश्वर की पूरी सृष्टि पर अभिशाप ला सकता था! तो उसने वहां आदमी और औरत के खिलाफ एक दुष्ट योजना बनाई।

जब शैतान आदम और हव्वा को नष्ट करने के लिए आया था, तो वह एक घिनौने रूप में नहीं आया। वह भेष में आया था। वह एक साँप के रूप में हव्वा के पास आया और उसे उस एक बात जो परमेश्वर  ने उन्हें नहीं करने को बोला था, राज़ी कर लिया। परमेश्वर ने उन्हें अपने उत्तम ज्ञान से उनकी रक्षा की थी, और शैतान ने उन्हें भरमाया कि परमेश्वर की उत्तम ज्ञान और आदेश गलत है। शैतान ने उनसे कहा कि वे अच्छे और बुरे के ज्ञान के पेड़ से खा सकते है, इसके बावजूद कि परमेश्वर ने उन्हें वो विशेष फल खाने से मना किया था। हव्वा ने परमेश्वर के बजाय शैतान पर विश्वास किया, और इस प्रकार पमेश्वर के खिलाफ विद्रोह किया। उसने पेड़ से फल ले लिया और उसे खा लिया, और फिर उसने उसे अपने पति को भी दिया। तबाही फैलना शुरू हो गई थी।

यह जानना मुश्किल कि पहली बार पाप वास्तव में कब हुआ। क्या यह तब हुआ जब हव्वा साँप की बाते सुनती रही, यह जानने के बाद भी कि वो परमेश्वर को झूठा बोल रहा था? क्या यह तब हुआ जब हव्वा ने उस फल को चाहत से देखा? या क्या यह तब हुआ जब उसने फल खाने का फैसला किया और फल को लेने के लिए हाथ बड़ाया? हव्वा कब अपने पवित्र परमेश्वर की ओर वफादारी से पाप में गिरी?

यह समझना मुश्किल है कि यह पाप कितना ज्यादा बड़ा था। परमेश्वर एक आदर्श राजा, एक उच्च और पवित्र प्रभु था जो लगातार और बहुतायत से अपनी बनाई हुई सृष्टि को आशीष दे रहा था और अपना महान प्यार उंडेल रहा था। परमेश्वर ने आदमी और औरत को अपने रचनात्मक काम में एक हिस्सा बना कर, उनको कल्पना से बाहर आदर और सम्मान दिया था। यह वो परमेश्वर है जो स्वर्ग में अपने शानदार सिंहासन पर बैठा है, और उसके चारो तरफ हजारों स्वर्गदूत पूरे आज्ञाकारिता और लगातार प्रशंसा से आराधना कर रहे है। वे उसकी स्तुति प्रशंसा करते है क्योंकि वह इसका हकदार है, और क्योंकि वह पूर्ण अच्छाई है; और जो वो करता है, वो पूरी तरह सही होती है। इन मनुष्यों को यह कितना अद्भुत सम्मान दिया गया था, और उसने इसे उठा कर फेंक दिया! उन्होंने परमेश्वर की आज्ञा को रद्दी जैसा समझा! हव्वा यह कैसे कर सकती थी? और आदम उसके साथ कैसे शामिल हो सकता था? वो उनसे इतना प्यार करने वाले परमेश्वर, और उनके बीच कैसे किसी चीज़ को आने दे सकते थे?

लेकिन उन्होंने ऐसा किया। और ऐसा करने में, वे खुद पर एक भयानक आभिशाप ले आए। उन्हें ऐसे बनाया गया था कि वे हरदम अपने सृष्टिकर्ता के साथ नजदीकी में रहे, पर मनुष्य ने अपना रास्ता अलग कर लिया। सिर्फ परमेश्वर अच्छाई का एकमात्र स्रोत है।बस एक ही बात रह जाती है - पाप और मृत्यु।

जब परमेश्वर ने आदम और हव्वा को पृथ्वी पर अधिकार दिया, तो वो ऐसा ही चाहता था। जब वे इस दुनिया में पाप और मृत्यु लाए,  तो यह सिर्फ खुद के ऊपर नहीं था। वे इसे अपने बच्चों पर भी लाए। वो उसे परमेश्वर के राज्य के दिल में लाए। परमेश्वर ने मनुष्य को अपनी रचना पर राज्य करने का अधिकार दिया, पर उनके पाप ने सब कुछ दूषित कर दिया। उस दिन के बाद से, हर जीवित प्राणी और जीव जंतु दुख झेल कर मर जाता है। यह तबाही बहुत बुरी  और भयंकर रूप ले चुकी थी। हम सोच भी नहीं सकते है कि उस दिन कितनी ज्यादा दुष्टता तेज़ गति से फैलने लगी। हर युद्ध, हर अकाल, हर क्रूर हत्या और हर घातक रोग, उस भयानक पल को वापस लाती है जब मानवता ने परमेश्वर का दुश्मन बनने को चुना।

शैतान एक शानदार जीत जीता था। जब पहले मनुष्य ने उसे अपनी वफादारी दी, तो उसने शैतान को अपने ऊपर हावी होने की महान शक्ति भी दी। जब तक यह अभिशाप बना रहता, तब तक वह परमेश्वर के प्रिय के खिलाफ युद्ध कर सकता था।

लेकिन परमेश्वर की एक योजना थी। वह इस दुनिय को बनाने से पहले जानते थे की ऐसा होगा, और उसके पास पहले से ही एक बचाव योजना थी। वह जानता था कि उसे मनुष्य को खुद अपने से बचाना था। वह जानता था कि वह उन्हें शैतान के अंधेर के राज्य से वापस ला के अपने ज्योति के राज्य में लाएगा। जैसे ही परमेश्वर ने आदम, हव्वा और साप को श्रापित किया, उसने अपनी आशीषों का भी वादा दिया। हालांकि हव्वा ने उसके खिलाफ विद्रोह किया था, परमेश्वर ने उसे वापस चुना और उसके और साप के बीच दुश्मनी डाल दी। तब परमेश्वर ने  वादा किया कि एक दिन हव्वा का  एक बेटा होगा और वह साप के सिर को कुचलेगा। वह शैतान के अंधेरे राज्य और अभिशाप की शक्तियों को हराएगा!

बाइबल की बाकी कहानी परमेश्वर के बचाव योजना की महान कहानी है। यह हमें बताती है कि परमेश्वर ने कैसे अपने उद्धार का काम हजारों साल पहले शुरू किया, वह अब क्या कर रहा है, और कैसे वह भविष्य में यह काम पूरा करने जा रहा है! परमेश्वर ने वादा किया था कि एक दिन आदम और हव्वा का बेटा, एक नया, अनन्त स्वर्ग और पृथ्वी लाएगा जो अभिशाप से पूरी तरह मुक्त होगा।

अकल्पनीय, महान और बेतहाशा अच्छाई की बात यह है कि हव्वा का यह बेटा, जो इस दुनिया को बचाएगा, वो और कोई नहीं परुन्तु परमेश्वर खुद होगा। किसी और के पास यह करने की शक्ति नहीं थी, तो परमेश्वर को खुद ही, उसके विरुद्ध बलवा करने वालो को बचाने के लिए आना था। यह योजना शुरुआत के पहले से बनाई गई थी। स्वर्ग के राजकुमार, परमेश्वर का सबसे प्रिय पुत्र, पृथ्वी के पापियों के लिए कीमत चुकाने को अपनी जान देने के लिए आना था। यह प्रभु यीशु मसीह है, और जो कोई उस पर विश्वास रखता है, बचाया जाएगा। वे हमेशा के लिए एक आदर्श राज्य में रहेगा, जहां वे परमेश्वर पर पूर्ण निर्भरता से रहने के लिए आज़ाद हो जाएँगे! उनके पाप की ओर गुलामी चली जाएगी। उनके पास परमेश्वर के अपनाए बच्चे होने की प्रतिष्ठा होगी, और वे हमेशा के लिए एक आदर्श स्वर्ग में रहेंगे जहां न कोई बुराई, उदासी, दर्द या मौत है। क्या आपको यह मन गड़ंत कहानी लगती है? क्या आपको यह कल्पना से बाहर लगती है? आप सही हैं। ऐसा ही है। पर यह तो भी सच है।

जो कहानी हम शुरू करने वाले है, वो बहुत ही रोमांचक है क्योंकि वो यह बताती है की कब परमेश्वर अपने महान बचाव योजना को पूरा करने को पृथ्वी पर आते है। लेकिन ऐसी कई चीजें है जो प्रभु ने मानव इतिहास में अपने बेटे को भेजने से पहले करी। अगर हम उन बातों का विस्तार में समझेंगे, तो हम और गहराई में उन बातें को समझेंगे जो यीशु ने कही और की। अगले कुछ कहानियों में  हम इन बातों को और अधिक जानेंगे।