पाठ 58 : याकूब का इष्ट बेटा

याकूब ने इब्राहीम और सारा से जुड़े परिवार से महिलाओं से विवाह किया था। उनकी उपासना और संस्कृति परमेश्वर के परिवार के उन लोगों के करीब थे। एसाव ने इब्राहम कि विरासत से महिलाओं से शादी नहीं की थी। कनानी महिलाओं से उसका विवाह उसके आसपास कनानी देशों से जुड़ा हुआ था। वे झूठी मूर्तियों की पूजा करते थे और इब्राहीम या परमेश्वर के दिखाए रास्ते पर नहीं चलते थे। एसाव का विवाह परमेश्वर कि वाचा के प्रति गहरे अवमानना को दर्शाता है। उसने वादे की भूमि से दूर जाकर इसे फिर से दर्शाया। 

 

एसाव एक बहुत बड़ी संपत्ति का व्यक्ति बन गया। यह इतनी अधिक बढ़ गयी कि याकूब और एसाव के लिए एक ही क्षेत्र में रहने के लिए जगह ही नहीं थी। भीड़ को रोकने के लिए वह वादे के देश में कहीं भी ठहर सकता था। एसाव ने पूरी तरह से क्षेत्र को छोड़ दिया था। एसाव पहाड़ी प्रदेश सेईर कि ओर अपनी सारी संपत्ति के साथ चला गया। फिर भी उसके विद्रोह के बावजूद, इब्राहीम के वंशज होते हुए, परमेश्वर उसे आशीर्वाद दे रहे थे। चाहे मनुष्य वफ़ादार ना हो, परमेश्वर हमेशा वफ़ादार होता है। वे एक महान राष्ट्र बन गए और एदोमी कहलाने लगे। वे सेईर के क्षेत्र की पहाड़ियों के किनारे बस गए। 

 

याकूब अपने पिता के देश में बसा रहा। वे परमेश्वर के वादे के देश, कनान, में थे। फिर भी उन्हें वह भूमि अभी तक प्राप्त नहीं हुई थी। वे अभी भी खानाबदोश थे, और अन्य शक्तिशाली राष्ट्र उस क्षेत्र पर शासन कर रहे थे। 

 

याकूब के बेटे परिवार के पशुओं कि देख भल कर रहे थे। एक दिन यूसुफ, राहेल का जेठा पुत्र, बिल्हा और जिल्पा के पुत्रों के साथ पशुओं को देख रहा था। वे उसके पालक भाई थे। कुछ ऐसा हुआ जिसे यूसुफ पसंद नहीं। बाइबिल इसके विषय में कोई वर्णन नहीं देती है, परन्तु वह अपने पिता के पास गया और उनकी शिकायत की। उसने उनके विषय में बताया। उसके पालक भाई उससे प्रसन्न नहीं हुए। 

 

लेकिन असली समस्या उससे भी बहतर थी। याकूब दूसरे बेटों से ज़्यादा यूसुफ से प्यार करता था। यूसुफ उसका ग्यारहवां पुत्र था, और याकूब इतने बूढ़ा होगया था की वह उसके बचपन का आनंद नहीं ले सकता था। और यह बेटा राहेल, से आया था।

 

याकूब ने अपने इष्ट बेटे के विशेष स्नेह को नहीं छुपाया। बल्कि वह उसे खुलकर के दिखाता था। उसने युसूफ के लिए एक आलीशान अंगरखा बनाया। प्रत्येक परिवार के सदस्य के पास जहां दो या तीन जोड़े होते थे, यह उपहार वास्तव में एक उल्लेखनीय था। यह एक शाही उपहार की तरह था। यह शायद यूसुफ के अन्य बेटों के लिए चिन्ह था की उसके चले जाने के बाद युसूफ ही पूरे परिवार का नेतृत्व करेगा। जब दूसरे बेटों ने वह शानदार उपहार देखा, वे एक भयानक ईर्ष्या से जलने लगे। 

 

क्यों याकूब ने अपने माता पिता से नहीं सीखा? क्यों उसे यह याद नहीं था कि किस प्रकार उसके पिता इसहाक के एसाव का पक्ष लेने से सब मुसीबत का कारण बन गया था? क्यों वह इस भयानक तरीके को अपने ही बेटों के साथ जारी रखने की अनुमति देगा? हम इसका जवाब नहीं जानते, लेकिन हम देखेंगे कि एक बार फिर इसका भयानक परिणाम भुगतना होगा। 

 

उन दिनों में जीने की कल्पना करने कि कोशिश कीजिये। याकूब के कबीले शत्रुतापूर्ण आक्रमणकारियों से एक दूसरे की रक्षा करने के लिए एक साथ तम्बुओं में वर्गीकृतरहते थे। लेकिन इसका मतलब यह था की वे केवल कपड़े और चमड़े कि दीवारों के साथ एक दूसरे के बहुत करीब थे की अपनी गोपनीयता की रक्षा कर सकें। 

 

वे एक दूसरे को कितनी अच्छी तरह जानते थे। परिवार किकी महान संपत्ति का प्रबंधन करने के लिए वे एक साथ काम करते थे। वे एक साथ क्षेत्र भर में साथ सफ़र कर रहे थे। प्रत्येक परिवार ने याकूब के आशीर्वाद कि बहुतायत से आशीर्वाद पाया। लेकिन वे क्लेश और परिवार कि कुंठाओं की जंजीर में जकड़े हुए थे। वे और कहीं नहीं जा सकते थे। 

 

यूसुफ के पालक भाई उससे नफरत करते थे क्यूंकि वह अपने पिता का पसंदीदा पुत्र था। वे यूसुफ से अच्छी तरह बात नहीं करते थे। यूसुफ को इसी कारण कितना अकेला महसूस होता होगा। दुख की बात है की कैसा एक परिवार याकूब ने अपने छोटे हार्दिकता के साथ बनाया! 

 

एक दिन, यूसुफ ने एक सपना देखा। उसने अपने भाइयों को इसके बारे में बता कर मूर्खता दिखाई, और वे उससे और अधिक घृणा करने लगे। यूसुफ ने अपने सपने को इसी तरह बताया: 

 

"'... हम सभी खेत में काम कर रहे थे। हम लोग गेहूँ को एक साथ गट्ठे बाँध रहे थे। मेरा गट्ठा खड़ा हुआ और तुम लोगों के गट्ठों ने मेरे गट्ठे के चारों ओर घेरा बनाया। तब तुम्हारे सभी गट्ठों ने मेरे गट्ठे को झुक कर प्रणाम किया।”

वाह! क्या सपना था! याकूब का यह चाहिता बेटा, अपने सभी भाइयों को बताता जा रहा था की उसके भाई उसके सपने में उसको दंडवत कर रहे हैं। उसके भाइयों ने इसे बहुत ज्यादा पसंद नहीं किया। वे समझ गए की सपने सच के साथ शक्तिशाली हो सकते हैं। वे यह मानते थे की अक्सर सपने भविष्य की तस्वीर होते हैं। उनकी आवाज़ में करवाहट होगी जब वे ऐसा कह रहे होंगे, "'क्या, तुम सोचते हो कि इसका अर्थ है कि तुम राजा बनोगे और हम लोगों पर शासन करोगे?” उसने दूसरे सपने के बारे में भी उन्हें बताया,…सूरज, चाँद और ग्यारह नक्षत्रों को अपने को प्रणाम करते देखा।” यूसुफ ने अपने पिता को भी इस सपने के बारे में बताया। किन्तु उसके पिता ने इसकी आलोचना की। उसके पिता ने कहा, “यह किस प्रकार का सपना है? क्या तुम्हें विश्वास है कि तुम्हारी माँ, तुम्हारे भाई और हम तुमको प्रणाम करेंगे?”

 

यूसुफ के भाइयों कि कड़वाहट और बढ़ती जा रही थी, लेकिन याकूब ने अपने मन में उन सपनों को रखा। शायद परमेश्वर का कोई उद्देश्य होगा।  

 

परमेश्वर कि कहानी पर ध्यान करना।  

जब परमेश्वर ने मानवता को बनाया, उसका उद्देश्य था कि वे उस वाटिका में उसके साथ एक सिद्ध और पवित्र संगती में रहे।वहां कुल, पूर्ण प्रेम होगा। कोई भी कभी भी अस्वीकृति या नुकसान का सामना नहीं करेगा। कल्पना कीजिए! परमेश्वर यही चाहता था, लेकिन शैतान ने परमेश्वर के विरुद्ध मानव जाति को आकर्षित करने के लिए विद्रोह कराया।  

 

मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना।  

हम जब याकूब के परिवार में कलह को देखते हैं, घृणा और डींग मारने और प्रतिस्पर्धा, ऐसा लगता है की परमेश्वर के परिवार में शैतान के अभिशाप के एक आक्रमण को देख रहे हैं। क्या यह दुश्मन किसी प्रकार से आपके परिवार पर हमला कर रहा है? परमेश्वर अपने बच्चों के लिए यह नहीं चाहते थे, यह आप के लिए क्या मतलब रखता है? 

 

परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर। 

मनुष्य अस्वीकृति के लिए नहीं बनाये गए थे। हम उसके शुद्ध, आभारी आज्ञाकारिता पर निर्भर होकर कुल स्वीकृति और प्यार के लिए बनाये गए थे! जब हम परिवार या दोस्तों या यहां तक ​​कि अजनबियों के द्वारा अस्वीकार किये जाते हैं, तो यह बहुत दर्दनाक हो सकता है। यह हमारे दिल में एक गहरा घाव पैदा कर सकता है! क्या आपके अतीत से अस्वीकृति का कोई घाव है? अपने आप को शांत करें और इस के माध्यम से सोचें। क्या आप उदासी या निराशा महसूस करते हैं यह सोच कर की आप अस्वीकार किये जा सकते हैं? क्या आप को लगता है की यदि आप सिद्ध नहीं हैं, तो आप अस्वीकार कर दिए जाएंगे? यदि आप चाहें, तो आप परमेश्वर के पास इन आशंकाओं या दर्दनाक यादों को ला सकते हैं।