पाठ 43 : रिबका के योद्धा पुत्र

अब्राहम कि प्रिया पत्नी सारा की मृत्यु हो चुकी थी। उसने उसे इसहाक दिया जो परमेश्वर के वादे का पुत्र था, और इसहाक के माध्यम से, परमेश्वर एक पुरोहित राष्ट्र बनाने के लिए इब्राहिम के साथ बनाये वाचा को रखेगा। इब्राहिम ने फिर से विवाह किया और उसका नाम कतूरा था। उसने इब्राहिम को छे बेटे दिए। फिर भी परमेश्वर ने यह स्पष्ट किया की इसहाक को उस राष्ट्र का पिता बनने का अधिकार दिया जाएगा। इब्राहीम के पास जो कुछ था उसने पीछे छोड़ा, यहां तक की अपनी ज़मीन भी। इब्राहीम अपने बेटों से बहुत प्रेम करता था और उन्हें भरपूर तोहफ़े दिए। फिर उसने उन्हें दूर पूर्व की ओर भेज दिया।उन पुत्रों की अपनी संतान हुई, और उनके संतानों के और संतान हुए, तत्पश्चात, राष्ट्रों के पूरे जनजातियां इब्राहीम के माध्यम से उसके संतान से आया। परमेश्वर ने निश्चित रूप से इब्राहीम को बहुत सी जातियों का पिता बनाने का अपना वचन रखा!

 

इब्राहीम एक सौ पचहत्तर वर्ष कि उम्र तक जीवित रहा। 

बाइबिल कहती है:

 

"उसने लम्बा भरपूर जीवन बिताया और फिर वह अपने पुरखों के साथ दफनाया गया।"

 

उस समय तक, इब्राहीम वादे के देश में एक सौ साल तक रहा। वह एक शक्तिशाली जनजाति महान अगुवा बन गया था। उसकी मौत कि खबर सुनकर पूरे क्षेत्र में इस पराक्रमी, धर्मी राजकुमार के लिए शोक व्यक्त किया गया होगा। उसकी ताकत और माननीय चरित्र पूरे क्षेत्र के लिए सुरक्षा और शांति को लाया था, और उसकी अच्छाई को सब जानते थे। 

 

इब्राहीम के सम्मानित बेटे, इसहाक और इश्माएल ने उसके शरीर को उस गुफ़ा में दफ़ना दिया जहां सारा को दफ़नाया था। कई सालों पहले, इब्राहिम ने अपनी प्रिय पत्नी को दफनाने के लिए हित्तियों से उसे एक बड़ी कीमत देकर खरीदा था। अब उसके बेटों ने अपने महान पिता की मौत पर एकजुट, उसके बगल में उसे दफ़ना दिया। और इब्राहीम की मौत के बाद, परमेश्वर ने इसहाक को आशीर्वाद दिया। 

 

अब, हम जानते हैं कि इब्राहीम के पहला बेटा, इश्माएल, सारा कि दासी हाजिरा से आया था। वह मिस्र कि रहने वाली थी। उसके बेटे को परमेश्वर ने एक पुरोहित राष्ट्र के रूप में विकसित होने के लिए नहीं चुना था। फिर भी, परमेश्वर दयालु है, और उसने हाजिरा को वादा किया था की इश्माएल भी एक महान राष्ट्र का पिता होगा। कौतूहलपूर्वक, उसने यह भी वादा किया की इश्माएल का वंशज जंगी और शत्रुतापूर्ण होगा। 

 

जो परमेश्वर ने कहा वह हमेशा कि तरह सच हुआ। इश्माएल के कई बेटे थे। उनके भी कई बच्चे हुए, और उनके बच्चों से बारह गोत्रों का देश बना। इश्माएल एक सौ सैंतीस साल तक रहा, और फिर वह भी मर गया। इश्माएल का वंशज वादे के देश से दूर, मिस्र देश की सीमा के पास बस गया। और जैसा कि परमेश्वर ने कहा, वे एक विरोधी समूह था जो पूरे इतिहास में किसी भी अपने पड़ोसी के साथ मिल कर नहीं रह सकता था। यदि इब्राहीम के पहलौठे ऐसे थे, तो क्या वादा का पुत्र कैसा होगा? क्या वह भी लड़ाकू होगा? क्या उसके अंदर भी परमेश्वर के दुश्मनों जैसा हिंसक, भ्रामक स्वभाव होगा, या उसके अंदर हव्वा के जैसा पछतावा करने के पश्चात परिवर्तन की खूबसूरती होगी? क्या इसहाक अपने पिता की तरह परमेश्वर पर निर्भरता में जीना सीखेगा?

 

इसहाक जब चालीस वर्ष का था तब रिबका और इसहाक का विवाह हुआ। समय बीतता गया जब इसहाक अपने पिता से मिली विरासत का निरीक्षण करता जा रहा था। विवाह के बीस साल बाद, रिबका के कोई संतान नहीं थी। जो सबक परमेश्वर ने इब्राहीम और सारा को सिखाया था उन्होंने उसके प्रति बुद्धिमानी दिखाई। इस भयानक उदासी को हल करने के लिए उन्होंने रिबका कि दासियों या किसी और की ओर नहीं देखा। इसहाक अपनी पत्नी के लिए गुहार करने के लिए सीधा परमेश्वर के पास गया। उसकी पहली प्रतिक्रिया परमेश्वर कि ओर ताकना था। अपने सही समय में, परमेश्वर ने इसहाक की प्रार्थना सुनी, और रिबका गर्भवती हुई। आप समझ सकते हैं कि वे इतने लंबे इंतजार के बाद कितने खुश हुए होंगे?

 

इब्राहीम और सारा के समान, इतना लम्बा इंतज़ार करना बहुत कठिन और कष्टदायक रहा होगा, लेकिन कई मायनों में, यह बहुत विशेष भी था। इस गर्भावस्था के बारे में उन्होंने बहुत साल आशा रखते हुए और प्रार्थना करते हुए, सोचा और उम्मीद की होगी। सभी बच्चे परमेश्वर की ओर से एक अनमोल उपहार होते हैं, पर चूँकि उन्होंने प्रतीक्षा की, इसहाक और रिबका जानते थेकियह गर्भावस्था उनकी प्रार्थना का उत्तर है। परमेश्वर उस वाचा का सम्मान करेंगे जिसे उन्होंने इब्राहीम के साथ बांधी थी। 

 

यह कोई साधारण गर्भावस्था नहीं थी। जुड़वे बच्चे होने वाले थे! रिबका के अंदर दो बच्चे थे, और वह वास्तव में महसूस कर सकती थी। वे हमेशा एक दूसरे से लड़ते रहते थे! बेचारी रिबका, उसके लिए यह कितना असुविधाजनक रहा होगा जिस समय एक छोटा युद्ध उसके पेट के अंदर चल रहा होगा! रिबका ने यहोवा से प्रार्थना की और बोली, “मेरे साथ ऐसा क्यों हो रहा है?'" वह उनके हिलने डुलने से चिंतित थी। क्या यदि वह उन दोनों को खो दे? क्या यदि उनका लड़ना एक गर्भपात का कारण हो जाये? सो जिस तरह इसहाक ने अपनी पत्नी के लिए परमेश्वर से प्रार्थना कि रिबका परमेश्वर के पास गयी और उसके सामने रोई यह जानने के लिए की यह सब क्या हो रहा है। इसहाक और रिबका दोनों अपने जीवन को परमेश्वर के सामने लेकर जाते थे। वे उस पर पूरी तरह से निर्भर थे। और वह जवाब देने के लिए वफादार था। 

 

परमेश्वर ने उससे कहा, 

तुम्हारे गर्भ में दो राष्ट्र हैं।

दो परिवारों के राजा तुम से पैदा होंगे
और वे बँट जाएंगे।
एक पुत्र दूसरे से बलवान होगा।

बड़ा पुत्र छोटे पुत्र की सेवा करेगा।”

(उत्पत्ति 25:23) 

 

वैसे, यह अजीब लगता है। इसका क्या अर्थ था कि दो राष्ट्र वास्तव में रिबका के गर्भ में रह रहे थे? क्या यह संभव है? नहीं, बिल्कुल नहीं। लेकिन भीतर में दो बालक थे जो एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे थे। एक दिन, वे दुनिया में जन्म लेंगे। वे बलवंत पुरुष होंगे, और उनके स्वयं के परिवार होंगे। जो परमेश्वर सब कुछ जानता है, वह रिबका के बेटों के भविष्य को भी जानता था। उन्होंने उनके भविष्य को रूपांकित किया था! रिबका के बेटों के प्रत्येक वंशज महान राष्ट्र बनेंगे। 

 

अब, परमेश्वर सब कुछ जानते हैं। वह वो सब कुछ पूरी रीति से समझते हैं जो पहले पूरी सिद्धता से हुआ था, और वो भी जो होने जा रहा है। रिबका को उसके पुत्रों के विषय में बहुत कुछ समझा सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने केवल इतना कहा कि वे शक्तिशाली होंगे, लेकिन बड़ा बेटा छोटे बेटे किसेवा समाप्त कर देगा। यह जानकारी काफ़ी नहीं थी, लेकिन यह एक बहुत बड़ी बात थी। और चूँकि परमेश्वर रिबका को सीधे बताने जा रहे थे, उसे इसका सम्मान करना था। 

 

इसहाक और रिबका के पहले के दिनों में, जेठा पुत्र को कई जिम्मेदारियां दी जाती थीं। पिता के मर जाने के बाद बड़ा बेटा परिवार की ज़िम्मेदारी उठाता था, और उसे ही सबसे अधिक विरासत में मिलता था। उसे पूरे परिवार की देखभाल करनी पड़ती थी। उसे अपने परिवार के सम्मान की भी रक्षा और जरूरत के समय में प्रत्येक सदस्य की मदद भी करनी होती है। सबसे बड़े बेटे की माँ, उसके भाई बहन और अन्य सभी रिश्तेदार उसकी सहायता ले सकते थे और जीवन भर उससे मदद की अपेक्षा कर सकते थे। यह एक महान बोझ और एक महान विशेषाधिकार था। 

 

छोटे बेटों को अपने बड़े भाई का सम्मान और उसकी आज्ञाओं का सम्मान करना होता था। यह मानव सभ्यता के शुरुआती परिवार गुटों में आदेश और वफ़ादारी की प्रणाली को एक साथ रखता था, और यह परमेश्वर के परिवार में अक्सर सच होता है। लेकिन परमेश्वर ने रिबका को बताया की ऐसा उसके बेटों के संग नहीं होगा। बड़ा बेटा छोटे बेटे कि सेवा करेगा। यह एक समस्त विचार था, लेकिन परमेश्वर सम्पूर्ण प्रभु है और सब कुछ उसके नियंत्रण में है। वह पृथ्वी पर ऐसों को चुनते हैं जो उसके उद्देश्यों का उपयोग करेंगे। इसके पहले रिबका अपने बेटों को अपनी बाहों में लेती, वह जानती थी कि परमेश्वर उसके दूसरे बेटे को उसका पवित्र राष्ट्र के रूप में बनाएगा। 

जब दोनों बेटे पैदा हुए, तो पहला बेटा बाहर आया और हर कोई चौंक गया। वे केवल यही बात करते थे की वह कितना लाल और बालों वाला था। उसकी त्वचा रोंएदार पोशाक कि तरह थी। इसलिए उसका नाम एसाव पड़ा। 

 

एसाव के आने के बाद रिबका को कुछ भी समय नहीं मिला। उसका दूसरा बेटा जल्दी से उसके पीछे आ रहा था। जब दूसरा बच्चा पैदा हुआ, वह एसाव कि एड़ी को मज़बूती से पकड़े था। इसलिए उस बच्चे का नाम याकूब पड़ा, जिसका अर्थ है "एड़ी"

 

जैसे जैसे बालक बड़े हो रहे थे, रिबका और इसहाक ने जाना कि प्रत्येक पुत्र दूसरे से कितना भिन्न है।एसाव एक कुशल शिकारी हुआ। वह मैदानों में रहना पसन्द करने लगा। किन्तु याकूब शान्त व्यक्ति था। इसहाक एसाव के द्वारा लाये मांस का आनंद लेता था। वह अपने बड़े, स्थूल बेटे में अधिक आनंद लेता था। किन्तु रिबका याकूब को प्यार करती थी, और परमेश्वर के दिए वादे को अपने हृदय में रखी हुई थी। भविष्य में, बड़ा छोटे की सेवा करेगा। 

 

एक बार एसाव शिकार से लौटा। वह थका हुआ और भूख से परेशान था। याकूब कुछ दाल पका रहा था। इसलिए एसाव ने याकूब से कहा, “मैं भूख से कमज़ोर हो रहा हूँ। तुम उस लाल दाल में से कुछ मुझे दो।” 

याकूब जानता था की इसके द्वारा वह जो चाहे वह पा सकता था। वह  इसके लिए बहुत लंबे समय से रुका हुआ था। वह जानता था कि शिकार करने के बाद एसाव बहुत भूखा होगा। “तुम्हें पहलौठा होने का अधिकार मुझको आज बेचना होगा।” वाह! एसाव जेठा पुत्र था, और वह जन्मसिद्ध अधिकार उस का था। यह एक बहुत कीमती और महत्वपूर्ण बात थी। यह एक उच्च सम्मान की बात थी। 

 

उन दिनों में, पहले बेटे को अपने पिता की मृत्यु के बाद अन्य सभी पुत्रों में वारिस का दुगना हिस्सा मिलता था। एसाव को जहां दो बकरियां मिलनी होती थीं, याकूब को केवल एक बकरी मिलेगी। पर यदि एसाव याकूब को उसका जन्मसिद्ध अधिकार बेच देता है, इसका मतलब यह होता की याकूब को अधिक प्राप्त होता। उनके पिता इसहाक को इब्राहीम के कई जानवर और सेवक प्राप्त हुए। वह एक बहुत अमीर और राजसी परिवार था। याकूब एसाव से सोने और चांदी, जानवर और महान धन को सूप के एक बोल से व्यापार करने को कह रहा था। लेकिन क्या आप जानते हैं? एसाव ने व्यापार किया। 

 

"'देखो, मैं मरने वाला हूँ,'" उसने कहा। "'मेरे लिए एक जन्मसिद्ध अधिकार किस काम का?" 

याकूब सुनिश्चित करना चाहता था की उसे सारी संपत्ति मिल जाएगी, सो इससे पहले एसाव वह भोजन खाता, उसने उससे शपत दिलवाई। "'पहले मुझे कसम दे।'" एसाव ने उसे जन्मसिद्ध अधिकार देने का वादा किया।  

 

अंत में, याकूब ने कुछ रोटी और दाल का सूप एसाव को दिया। एसाव ने जल्दी से वह भोजन खाया। जब वह चला गया, उसका पेट भर गया, लेकिन उसने अपना जन्मसिद्ध अधिकार अपने आनाकानी करने वाले भाई को देकर उसे खो दिया था। 

 

परमेश्वर कि कहानी पर ध्यान करना।  

परमेश्वर कि यह योजना थी की याकूब, जो छोटा था, वह परमेश्वर के परिवार में चुना हुआ सेवक होगा। जब हम बाइबिल कि कहानियों को देखते हैं, हमें यह देखने को अक्सर मिलता है की परमेश्वर सबसे दीन मनुष्य को चुनते हैं। ऐसा याकूब के साथ निश्चित रूप से सही था। परमेश्वर के तरीके हमारा से अलग हैं, और वह इस दुनिया के तरीकों से बंधा हुआ नहीं है। जिसे भी वह चाहे उसे वह ऊपर उठा सकता है। अब याकूब बगैर परमेश्वर की मदद के परमेश्वर की इच्छा को पूरी करने की कोशिश कर रहा था! क्या इसका कोई मतलब निकलता है? याकूब ने और क्या किया होता? 

 

मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना।  

याकूब का एक दूसरा बेटा होकर पैदा होना परमेश्वर कि ओर से कोई आश्चर्य होने वाली बात नहीं थी। उससे और आश्चर्य होने वाली बात यह है की,बाइबिल की कहानियां यह दर्शाती हैं कि वह एक बहुत डरपोक और भ्रामक मनुष्य था। आपने उसके विषय में ऐसा पहले से ही पहली कहानी में देखा? उसने कैसे अपने भाई एसाव के साथ छल किया? अपने भाई के साथ ऐसा सम्मानजनक व्यवहार करना सही था? उनके रिश्ते को किस तरह प्रभावित किया होगा? क्या इससे विश्वास बना या वह टूट गया?

 

क्या आपने अपने परिवार के किसी सदस्य या दोस्त के साथ बेईमानी या भ्रान्तिजनक व्यवहार किया है? यदि विश्वास जो दोबारा बनाना है तो, माफी मांगना ज़रूरी है। क्या परमेश्वर चाहेंगे कि आप ऐसा ही करें? परमेश्वर आपसे क्या चाहेंगे कि आप उन लोगों के लिए करें जिनसे आप प्रेम करते हैं? क्या किसी तरीके से आप उनके विश्वास को जीत सकते हैं? 

 

जीवित परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर। 

बाइबिल बताती है कि परमेश्वर एक वफ़ादार और विश्वासयोग्य परमेश्वर है। हमें विश्वास के साथ इस पर भरोसा करना चाहिए और अपना कार्य करना चाहिए। लेकिन इसके अलावा और भी कुछ है। हमें अपने आप से पूछना है, "क्या मैं परमेश्वर के लिए विश्वासयोग्य हूँ?" नूह या इब्राहिम की तरह क्या वह मुझे ज़िम्मेदारी सौंप सकता है? क्या आप परमेश्वर को अपनी विश्वसनीयता दिखा सकते हैं?