पाठ 37 : सारा का हसना: इब्राहीम और सारा के विश्वास को एक स्तोत्र

इब्राहीम और सारा ने एक बेटे के जन्म के लिए पच्चीस वर्षों तक प्रतीक्षा की। उन सभी पहले के वर्षों में, इब्राहीम ने माना की उसने परमेश्वर के द्वारा एक संदेश सुना है। यह सिर्फ कोई भी ईश्वर नहीं था, यह पूरी सृष्टि का परमेश्वर था। सो वे अपना सब कुछ लेकर एक खानाबदोश के रूप में भटकने के लिए जंगलों में निकल गए। परिष्कृत धन से उनका पूर्व जीवन समाप्त हो गया था। अब उनके चारों ओर कोई मज़बूत दीवार नहीं होगी। वे तम्बुओं में इधर उधर घूमते रहेंगे। फर्श मिट्टी की ज़मीन होगी, और उनकी दीवारें चमड़े और कपड़े की बनीं होंगी, जो धूल और ठंड को बाहर नहीं रख सकेंगी। उन्हें निरंतर पानी के स्रोतों की खोज करनी होगी, और क्योंकि पानी मूल्यवान है इसीलिए दूसरे उनसे पानी छीनने की कोशिश करेंगे। 

 

जब वे जा रहे थे, इब्राहीम का परिवार डाकुओं के निशाने पर था। अन्य खानाबदोश लोगों को उनके द्वारा धमकी दी गई होगी। किसी पर भी भरोसा करना मुश्किल था। उनके आसपास के शहर और देश दुष्टता, हिंसा और भ्रष्टाचार कि जगाहें थीं। शहरों के राजा और शासक उनके परिवार को धमकाएंगे, और लूत कि मूर्खता इब्राहीम और सारा को और बड़ी मुसीबत में खींच सकती थी। इन सब के बीच, इब्राहिम वफ़ादार बना रहा, और परमेश्वर पर निर्भर करते हुए अपनी पत्नी और पूरे कुटुंब को परमेश्वर की वाचा की ओर लेता चला गया। 

 

परमेश्वर ने इब्राहिम के विश्वास को सिद्ध माना। इब्राहिम को उन्होंने महान झुंड और सैन्य कि विजय और विशाल धन के साथ आशीषित किया। फिर भी वे इब्राहीम और सारा के सपनों की सीमा नहीं थे।उनकी दृष्टि बहुत बड़ी थी! परमेश्वर ने उन्हें एक राष्ट्र देने का वादा किया था। हर महीने सारा एक बच्चे के लिए एक उम्मीद करती थी, और हर महीने वह निराश हो जाती थी। अंत में सारा के लिए बच्चे होना आदमियत रूप से असंभव हो गया था। फिर भी परमेश्वर अटल रहे। उन्होंने चाहा की वे विश्वास में दृढ़ रहें। उन्हें ऐसे उत्तर पर विश्वास करना था जिसकी वे कल्पना भी नहीं कर सकते थे। उन्हें उस बात की आशा करनी थी जिसे वे देख नहीं सकते थे। 

 

इब्राहीम ने समय के बीतने से अपने विश्वास को नष्ट नहीं होने दिया। इसके बजाय, वह अपने विश्वास में मजबूत होता गया और उस आत्मविश्वास में बढ़ा जिसे परमेश्वर हर विश्वासी को जो उसके वादों पर विश्वास करते हैं उन्हें बहुतायत से अशिक्षित करते हैं। इब्राहीम एक सौ वर्ष का था, और सारा नब्बे साल की थी। अब तक, सब इस जोड़े को जान गए थे। इब्राहीम अत्यधिक रूप से अमीर और एक प्रसिद्ध योद्धा था। वह एक विदेशी था जिसने आकर उनके दुश्मनों के अत्याचार से पांच जातियों को बचाया था। 

 

दुनिया उसकी बंजर पत्नी के प्रति उसकी वफ़ादारी को देखकर हैरान थी। उसने दूसरी पत्नी क्यूँ नहीं ली? वह एक अमीर आदमी था, क्यों उसने अपने लिए एक अन्त: पुर का निर्माण नहीं किया? अब तक उसके पास एक दर्जन पत्नियों और एक सौ बच्चे हो जाते। सारी दुनिया ने देख लिया था और जान लिया था किअब सारा के लिए बहुत देर हो चुकी थी।  जहां हर कोई इसे एक चमत्कार मान कर सुनिश्चित था, परमेश्वर ने अपनी सबसे सर्वश्रेष्ठ आशीष उन्हें दी।; 

 

"यहोवा ने सारा को यह वचन दिया था कि वह उस पर कृपा करेगा। यहोवा अपने वचन के अनुसार उस पर दयालु हुआ। सारा गर्भवती हुई और बुढ़ापे में इब्राहीम के लिए एक बच्चा जनी। सही समय पर जैसा परमेश्वर ने वचन दिया था वैसा ही हुआ। सारा ने पुत्र जना और इब्राहीम ने उसका नाम इसहाक रखा। परमेश्वर की आज्ञा के अनुसार इब्राहीम ने आठ दिन का होने पर इसहाक का खतना किया। इब्राहीम सौ वर्ष का था जब उसका पुत्र इसहाक उत्पन्न हुआ और सारा ने कहा, “परमेश्वर ने मुझे सुखी बना दिया है। हर एक व्यक्ति जो इस बारे में सुनेगा वह मुझसे खुश होगा। कोई भी यह नहीं सोचता था कि सारा इब्राहीम को उसके बुढ़ापे के लिए उसे एक पुत्र देगी। लेकिन मैंने बूढ़े इब्राहीम को एक पुत्र दिया है।”

(उत्पत्ति 21:1-5)

 

वाह! इब्राहीम और सारा कि खुशी की कल्पना कीजिए जब उन्होंने अपने नन्हे बच्चे को अपनी बाँहों में लिया होगा!  उस आश्चर्य की कल्पना कीजिए! वे छोटे पैर और वह कोमल त्वचा सब उनका था। क्या किसी जोड़े ने कभी एक बच्चे के लिए इतना लम्बा समय इंतजार किया है? इंतज़ार के हर साल ने इस छोटे से बच्चे की इच्छा को और बढ़ा दिया था। उन्होंने कितनी गहराई से इस बहुमूल्य उपहार को समझा। वह परमेश्वर के हाथों से मिला था। 

 

उस बच्चे के बारे में पहली बात हम यह सीखते हैं किकिस प्रकार इब्राहीम ने उसे परमेश्वर को समर्पित किया। उसने अपने वृद्ध हाथों से उसका खतना किया जो एक दिन राष्ट्रों का पिता होगा। यदि परमेश्वर उन्हें यह बच्चा प्रदान कर सकता है, तो वह बाकि वादों को भी सुनिश्चित कर सकता है।  

 

दोनों दंपति की खुशी उनके चेहरे पर दिख रही थी। वे कितने आनंदित थे अब! दुनिया उनके लिए कितनी अलग थी अब जबकि वह वादा उनकी बाहों में था। उन्होंने अपने पुत्र का नाम इसहाक रखा जिसका अर्थ है "वह हँसा।" और सारा ने कहा, “परमेश्वर ने मुझे सुखी बना दिया है। हर एक व्यक्ति जो इस बारे में सुनेगा वह मुझसे खुश होगा। कोई भी यह नहीं सोचता था कि सारा इब्राहीम को उसके बुढ़ापे के लिए उसे एक पुत्र देगी। लेकिन मैंने बूढ़े इब्राहीम को एक पुत्र दिया है।” 

(उत्पत्ति 21:6-7)

 

परमेश्वर कि कहानी पर ध्यान करना। 

जब परमेश्वर एक वादा करता है, वह इतना सुरक्षित और सच होता है मानो वह हो गया हो! परन्तु अब इब्राहीम और सारा के लिए यह बहुत आसान था विश्वास करना!

परमेश्वर जो पहले से वादा करता है उस पर विश्वास करना हमारे लिए इतना कठिन क्यूँ हो जाता है? 

 

मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना।  

परमेश्वर के दिए हुए वादे क्या आपने पूरे होते देखें हैं? क्या आपके दोस्तों या परिवार या कलीसिया के लिए वादे पूरे हुए हैं?

एक वादा जो सच हो चुका है वो है यीशु में आपका उद्धार! 

जहाँ तक परमेश्वर का सवाल है, तो आप पहले से ही स्वर्ग में यीशु के साथ बैठे हैं! एक दिन आप इसे देख सकेंगे और महसूस कर पाएंगे। हम यीशु को आमने सामने देखेंगे और उसके निकट होंगे! हम एक दूसरे को और गहराई से और अधिक प्यार से जानेंगे। हम परमेश्वर के दिए वादों पर जीना शुरू कर सकते हैं और उसके प्रेम को एक दूसरे के प्रति दिखा सकते हैं। यह स्वर्ग के राज्य को पृथ्वी पर लाने के समान है। आप इसके बारे में क्या सोचते हैं? आपको इससे आशा या भ्रम या भय लगता है? 

 

जीवित परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर।  

नए नियम के इब्रानियोंकिपुस्तक में, विश्वास के विषय में कुछ ख़ूबसूरत आयतें हैं। 

ऐसा लिखा है:

 

"विश्वास का अर्थ है, जिसकी हम आशा करते हैं, उसके लिए निश्चित होना। और विश्वास का अर्थ है कि हम चाहे किसी वस्तु को देख नहीं रहे हो किन्तु उसके अस्तित्त्व के विषय में निश्चित होना कि वह है.… और विश्वास के बिना तो परमेश्वर को प्रसन्न करना असम्भव है। क्योंकि हर एक वह जो उसके पास आता है, उसके लिए यह आवश्यक है कि वह इस बात का विश्वास करे कि परमेश्वर का अस्तित्व है और वे जो उसे सच्चाई के साथ खोजते हैं, वह उन्हें उसका प्रतिफल देता है.… विश्वास के कारण ही, इब्राहीम जो बूढ़ा हो चुका था और सारा जो स्वयं बाँझ थी, जिसने वचन दिया था, उसे विश्वसनीय समझकर गर्भवती हुई और इब्राहीम को पिता बना दिया।"                                                                      इब्रानियों 11:1,6,11 

 

जब हम परमेश्वर पर भरोसा करते हैं तो वह प्रसन्न होता है! क्या आज आप उसे एक गहरा विश्वास और आशा को देंगे? एक पल के लिए शांत बैठें। किन बातों से आप चिंतित या भयभीत हैं? क्या आप अनियंत्रित या क्रोधित महसूस करते हैं? क्या आप परमेश्वर पर उसके वादों को पूरा करने का इंतजार कर रहे हैं? क्या आपकी कुछ इच्छाएं हैं जो आप चाहते हैं कि पूरी हो जाएं? उन्हें अपने उद्धारकर्ता को सुपुर्त कर दीजिये। उससे कहिये की आप विश्वास करते हैं की वह आपके जीवन में सबसे उत्तम करेगा। उसकी सुंदरता और अच्छाई को ताकिये!