पाठ 19 : शेम का धन्य वंश
शेम नूह का सबसे बड़ा अशिक्षित किया हुआ का पुत्र था। उसके बच्चे और उनके वंशजों को परमेश्वर ने विशेष रूप से चुना था। उसके पांच पुत्र थे जो आगे चल कर महान राष्ट्र बनेंगे। उनके नाम एलाम, अश्शूर, अर्पक्षद, लूद, और अराम थे। उनसे और बेटे पैदा हुए। उसकी वंशज से छब्बीस राष्ट्रों की सूची बाइबिल में दी गई है। प्रत्येक की अपनी ही भाषा और अपने क्षेत्र, स्वयं के शहर, और स्वयं की संस्कृतियां होंगी।उदाहरण के लिए, अराम के वंश जो अब दक्षिणी ईरान है वहां बस गए।
शेम के पुत्र एवेर का एक पुत्र था पेलेग। बाइबिल इसे विशेष करके दिखाती है क्यूंकि पेलेग कि वंशज के द्वारा एक दिन परमेश्वर अब्राम नाम के व्यक्ति को लाएंगे। परमेश्वर उसका नाम बदलकर इब्राहीम रखेंगे और वह बहुत राष्ट्रों का पिता होगा। एक इस्राएली इसे पढ़ेगा और जानेगा कि ये उसके पूर्वजों में से थे, जिन पर नूह की आशीषें थीं और जिस पर परमेश्वर का अनुग्रह था।
कुल मिलाकर, बाइबिल नूह और उसकी पत्नी से हुई संतान द्वारा सत्तर विभिन्न राष्ट्रों कि सूची देती है। यदि हम येपेत, शेम, और हाम से वृद्धि के राष्ट्रों को देखें, तो ऐसा प्रतीत होता है कि इन सब में सबसे शक्तिशाली और सफ़ल हाम की वंशज है। निम्रोद सबसे पहले शहरों का बनाने वाला महान निर्माता था। उसका साम्राज्य सबसे शक्तिशाली और दुनिया में सबसे धनी था। निम्रोद के जीवनकाल में, ऐसा प्रतीत होता था की शायद बुराई और क्रूर पुरुषों के काम पूरी तरह सफल होंगे।
हमारे लिए अब यह देखना दिलचस्प है कि, परमेश्वर ने पहले कैसे कैसे काम किये। अश्शूर और बाबुल का साम्राज्य उठा और गिर गया। उनकी उज्ज्वल, क्रूर रोशनी 2,500 साल पहले चली गई, और तब से उनके विषय में कुछ सुनने में नहीं आया। आज जो जीवित हैं वे यह नहीं बता सकते कि वे बाबुल के पूर्वज थे या फिर हाम कि वंश। वह अब खो चुका है और भुला दिया गया है।
लेकिन अभी भी एक प्राचीन राष्ट्र है। इस्राएल और उसके लोग अभी भी परमेश्वर द्वारा दिए देश में जीवित हैं। वे अभी भी अपने पूर्वज अब्राम और शेम में ढूंढ सकते हैं, जो नूह का अशिक्षित किया पुत्र था। सारे सृष्टि के कर्ता ने संसार के लोगों को सिखाया कि वे यहूदी लोगों द्वारा उसे कैसे ढूंढ सकते हैं।और यहूदी लोगों के माध्यम से, परमेश्वर यीशु मसीह को इस दुनिया में उद्धारकर्ता करके भेजेगा। हम जितने भी यीशु पर विश्वास करते हैं, परमेश्वर द्वारा शेम को दिए अशीषर्वाद का एक हिस्सा हैं। हम में से कुछ ही लोग शायद निम्रोद या फिर अश्शूर और बाबुल नामक देशों को स्मरण रखते हों, परन्तु यीशु का नाम सारे विश्व में उन लोगों द्वारा फैलाया जाता है जो उसके प्रति समर्पित हैं। और दो हज़ार सालों से ऐसा होता चला आ रहा है। जब हम आज देशों में बुराई और दुनिया के उत्पीड़क को देखते हैं, हमें यह याद रखना चाहिए कि चाहे बुराई की ताकतें कितनी भी मज़बूत और शक्तिशाली क्यूँ ना हों, हमारा परमेश्वर दुनिया को बदलने के लिए अपने ही लोगों को तैयार कर रहा है। अंत में, जीत उसी कि होती है। और सबसे आश्चर्य की बात यह है कि हम उसके साथ जुड़ जाते हैं और उसकी महान और शक्तिशाली जीत का एक हिस्सा बन जाते हैं।
सत्तर राष्ट्र राष्ट्रों की तालिका में सूचीबद्ध हैं। यह संख्या महत्वपूर्ण है। बाइबिल में, दस नंबर पूर्णता को दर्शाता है। संख्या सात एक विशेष, पवित्र संख्या को दर्शाता है। सात और दस नंबर सत्तर बनाने के लिए गुणा करने से, बाइबिल के पाठक को यह संकेत हो जाता है कि इसमें कुछ दैवीय और सिद्ध है। यह परमेश्वर की भव्य योजना को दर्शाता है। दुनिया के लोग चाहे शेम के वंशज कि तरह परमेश्वर के पीछा चलते हों या फिर वे हाम के वंशज की तरह बगावत करते हों, वे सब अभी परमेश्वर की इच्छा के अनुसार इतिहास में आगे बढ़ रहे थे। परमेश्वर अपनी योजना को अपने समय में पूरा करता है। परमेश्वर के अनुसार, नूह के वंशज पृथ्वी पर फैल गए। प्रत्येक राष्ट्र परमेश्वर द्वारा समय और स्थान के लिए निर्धारित किया गया था। वह सबका प्रभु है।
फिर भी हम यह समझ नहीं पाते कि वे एक दूसरे से दूर क्यूँ चले गए। यह इसलिए हुआ कि वे परमेश्वर के प्रति वफ़ादार और आज्ञाकारी थे, या और कोई कारण था? और उन सब ने भिन्न भिन्न भाषाएँ कहाँ से सीखीं।
परमेश्वर की कहानी पर अध्ययन।
मानव इतिहास के उस युग में परमेश्वर शेम कि वंशज को लाया और दुनिया को इस्राएल का राष्ट्र दिया। परमेश्वर इस्राएल में से एक मसीहा को उत्पन्न करेगा जो पूरी दुनिया का उद्धारकर्ता होगा!
मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना।
यीशु ने आकर सारी व्यवस्था को बदल डाला। परमेश्वर ने मानव जाति को अपनी योजना की परिपूर्णता को दर्शाया। अब, यदि कोई भी जो यीशु पर विश्वास करता है वह परमेश्वर के महायाजक होना का एक हिस्सा है! सभी भाषाओं और जातियों के लोग परमेश्वर के राज्य का एक हिस्सा बन सकते है! जो कोई परमेश्वर पर भरोसा करता है उसे पवित्र आत्मा की शक्ति दी गई है! उसने हमें दुनिया के सभी देशों में जाकर यीशु मसीह के सुसमाचार प्रचार करने का आह्वान किया है!
परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर।
एक परिवार के रूप में या स्वयं से, ऐसे एक या दो राष्ट्रों का चयन कीजिये जो परमेश्वर के प्रेम को नहीं जानते। प्रार्थना कीजिये की परमेश्वर अपने दूतों को भेजे। प्रार्थना कीजिये की वे यीशु के सुसमाचार को सुन सकें। अब आप अपने देश के बारे में सोचिये। अपने देशवासियों के लिए प्रार्थना कीजिये, ताकि वे भी यीशु के अपरम्पार प्रेम को जान सकें!