पाठ 5: मूसा के साथ परमेश्वर की वाचा

परमेश्वर ने अपने विश्वासयोग्य सेवक, अब्राहम से वादा किया था कि वह उसके वंश को एक महान राष्ट्र बनाएगा। मिस्र में चार सौ वर्ष तक रहने के बाद, अब्राहम के वंशज दो लाख से अधिक हो गए थे। उन्हें इस्राएली कहा जाता था परमेश्वर ने इस्राएल के लोगों को मिस्र देश से बाहर लाने के लिए एक और महान सेवक, मूसा, को बुलाया ताकि वह उन्हें उस देश में ला सके जिसे परमेश्वर ने अब्राहम से वादा किया था। रास्ते में, वे एक महान मरुभूमि से गुजरे। इस्राएली राष्ट्र चालीस वर्षो तक मरुभूमि में रहा। जब वे वहां थे, परमेश्वर ने उन्हें सिखाया कि कैसे उन्हें याजकों का राष्ट्र बनना है। प्रत्येक को किस प्रकार एक पवित्र जीवन जीना और परमेश्वर की सेवा करता है। परमेश्वर उन्हें सिने पर्वत पर ले जाता है, जहां परमेश्वर ने मुसा को नियम दिए थे। यह नियमों और अधिनियमों का एक अद्भुत संचय था जिसके द्वारा इस्राएलियों को सिखाया गया कि उन्हें किस प्रकार परमेश्वर को प्रसन्न करना है। इनके द्वारा उन्हें सिखाया गया कि क्या नही है और क्या गलत है, ताकि वे हमेशा सही को चुन सकें। वे परमेश्वर के नियमों का पालन करते हुए और भी सुंदर और पवित्र और प्रेमपूर्ण बन जाएंगे। वे और भी अपने परमेश्वर के समान हो जाएंगे!

इस नियम के साथ, परमेश्वर ने इस्राएलियों के साथ एक और वाचा, या वादा किया। वाचा के परमेश्वर की ओर से, उसने वादा किया कि वह उनका परमेश्वर होगा, और वे उसके लोग होंगे। वह युद्ध के समय में उनके शत्रुओं के विरुद्ध उनकी रक्षा करेगा । उसने उनके खेतों और जानवरों के झुण्ड को आशीष देने का वादा किया ताकि उनके पास बहुतायत का भोजन हो। उसने कहा कि वह अन्य सभी देशों के सामने उनका सम्मान करेगा। पूरी दुनिया जानेगी कि इस्राएल को विशेष रूप से सर्वोच्च परमेश्वर द्वारा चुना गया था। बदले में, इस्राएल को परमेश्वर द्वारा दिए गए नियम का पालन करके उसका सम्मान करना होगा। परमेश्वर की आज्ञा मानकर, और उससे और दूसरों से प्रेम करके, इस्राएल राष्ट्र परमेश्वर की इच्छा को प्रकट करेगा कि किस प्रकार संसार में सभी मनुष्यों को परमेश्वर और एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए।

परमेश्वर के बच्चे कहलाने का यह एक बहुत ही विशेष सम्मान था, परन्तु यह भी एक बड़ी जिम्मेदारी थी। यदि इस्राएल ने परमेश्वर के विरूद्ध विद्रोह किया, तो उसने कहा कि वह उन्हें दंडित करेगा। यदि वे उसके नियमों के विरुद्ध पाप करते हैं, तो परमेश्वर युद्ध और अकाल भेजकर उनका न्याय करेगा। उनके शत्रु उन पर हमला करेंगे और उन्हें मारने। उनके खेतों में अन्न नहीं बढ़ेगा और उनके जानवर मर जाएंगे। यदि वे परमेश्वर के विरूद्ध विद्रोह करते रहे और अपने तरीकों को नहीं बदलते हैं, तो परमेश्वर ने वादा किया कि उनका खूबसूरत देश अन्य देशों के हाथ में चला जाएगा। परमेश्वर ने उन्हें बंधुआई से बचा लिया था, परन्तु यदि उन्होंने उसके नियमों का पालन नहीं किया, तो वह उनके साथ किए गए वाचा को तोड़ देगा। वह अब उनकी रक्षा नहीं करेगा या उन्हें आशीष नहीं देगा, और वह उन्हें फिर से अन्य राष्ट्रों के गुलाम बनने की अनुमति दे देगा परमेश्वर ने आज्ञाओं के माध्यम से मूसा को जो बाचा दी थी, वह अब्राहम के साथ किए गए बाचा से अलग था। जो वादे परमेश्वर ने अब्राहम को दिए थे वे अनंत हैं, वे हमेशा रहेंगे। कुछ भी उनके पूरे होने से रोक नहीं सकता है। अब्राहम को एक महान राष्ट्र बनाने का परमेश्वर का वादा ऐसा था जिसे वह किसी भी सहायता के बगैर पूरा करेगा। अब्राहम को केवल विश्वास करना था। मूसा के साथ परमेश्वर का वाचा हमेशा के लिए नहीं था। वह हमेशा के लिए नहीं था। मूसा के साथ वाचा को. इस्राएल राष्ट्र को परमेश्वर की धार्मिकता के बारे में प्रशिक्षित करने के लिए, एक विशेष समय के लिए दिया गया था। इस्राएल राष्ट्र को एक कार्य करना था उन्हें परमेश्वर पर भरोसा करना था और नियमों का पालन करना था ताकि वे अपनी वाचा को बनाए रख सकें। यदि वे पालन करते हैं, तो उन्हें आशीष प्राप्त होगी। यदि वे पालन नहीं करते हैं, तो उन्हें शाप दिया जाएगा! क्या इस्राएली अपने परमेश्वर का पालन करना सीखेंगे, या वे विद्रोह करेंगे और नष्ट हो जाएंगे?