पाठ 12: प्ररेरतों का परिचय
शुरुआत से परमेश्वर की योजना की कहानी, जब उसने सृष्टि की रचना, पुराने नियम में बताई गयी है। जो लोग यीशु के पीछे चल रहे थे वे पुराने नियम की कहानी बहुत अच्छी तरह जानते थे। वे अच्छे, धार्मिक यहूदी थे। उनके देश को चुना जाना ही परमेश्वर की यह कहानी थी। यह संसार के लिए परमेश्वर का अनमोल वचन था। यीशु मसीह की कहानी उस कहानी का अगला अध्याय है जैसे-जैसे चेलों और प्रेरितों ने यीशु के मरने और फिर से जी उठने के महत्व को जाना, वे उसके जीवन के विषय में हर उस व्यक्ति के साथ शुभ सन्देश बाँटने लगे जो सुनना चाहता था। तब उन्होंने कहानी लिखना शुरू कर दिया ताकि, जो कुछ यीशु ने कहा और किया था, उसका स्थायी रिकॉर्ड बने। नए नियम में, मत्ती, मरकुस, लूका, और यूहन्ना की किताबों में हम यीशु के जीवन के बारे में सीखते हैं जब वह पृथ्वी पर था। उसकी मृत्यु के बाद और जी उठने के बाद की कहानी प्रेरितों में बताई गयी है। यह हमें बताती है कि, यरूशलेम और दुनिया भर में, यीशु के स्वर्ग में जाने के बाद और पिता परमेश्वर के दाहिने हाथ पर बैठ जाने के बाद क्या हुआ ।
प्रेरितों की किताब लूका नामक व्यक्ति के द्वारा लिखी गयी है। यह वही व्यक्ति है जिसने लूका की किताब लिखी थी। वह उन पुरुषों में से एक है जिन्हें परमेश्वर ने चेलों को संसार में यीशु के विषय में शुभ सन्देश सुनाने में मदद करने के लिए भेजा था। लूका एक डॉक्टर था। जब उसने पहली बार वीशु के विषय में सीखा, तो यह उन प्रेरितों के द्वारा था जिन्होंने यीशु के साथ तीन वर्ष बिताए थे! उन्होंने उसे बताया कि कैसे यीशु ने अंधे को ठीक किया था और पापियों पर दया दिखायी और समुद्र को शांत किया। उसे बताया गया कि किस प्रकार परमेश्वर के विषय में वीशु ने जो शक्तिशाली बातें बतायीं थीं, उनके कारण यहूदी अगुवे क्रोधित हो गए थे। उन्होंने लूका को बताया कि, यहूदी अगुवे इतने क्रोधित हो गए थे कि उन्होंने वरूशलेम शहर में दंगा फैलाया और पुन्तियुस पिलातुस को बीशु को क्रूस पर मारने के लिए आश्वस्त किया।
चेलों के लिए, यीशु की मृत्यु का दिन बहुत दर्दनाक था। यहां उन्हें एक सच्चा अगुवा मिला, जिसने आश्चर्यकर्म किए और हमेशा सही काम किया। सबसे अच्छी बात यह थी कि, वे जानते थे कि यीशु वास्तव में उनसे प्रेम करता था और वे भी उससे प्रेम करते थे। वे यीशु के प्रति इतने समर्पित थे कि उसके पीछे चलने के लिए उन्होंने सब कुछ पीछे छोड़ दिया था! केवल एक समस्या यह थी कि वे नहीं समझ पाए कि यीशु कहा जा रहा था।
इस्राएल में अन्य सभी की तरह, चेले इस बात की आशा लगाये हुए थे कि यीशु राजा के रूप में जी उठेगा और रोमी राज्य पर विजय प्राप्त करेगा। फिर भी अचानक, उसे मारा जा रहा था और फिर एक क्रूस पर चढ़ा कर उसे सताया जा रहा था। यरूशलेम में सब जानते थे कि यीशु की मृत्यु हो गई थी और उसे एक कब्र में मुहर के साथ बंद कर दिया गया था। उनकी सारी आशा एक दिन में नष्ट हो गयी थी. और उन्होंने उसे खो दिया जिससे उन्होंने सबसे अधिक प्रेम किया था। यह कितना बुरा हुआ होगा। परन्तु फिर कुछ हुआ जो सबसे बड़ा चमत्कार था।
इतिहास में अप्रत्याशित घटनाओं में से यह सबसे अच्छी अचरज वाली बात थी। यीशु लौट आया! कल्पना करें कि यह कितना डरावना और रोमांचक रहा होगा।
लूका ने इन कहानियों को सुना, और उसका मानना था कि यीशु परमेश्वर का पुत्र था। उसने यह भी माना कि यह दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण कहानी थी। यह महान सत्य था, और इसमें परमेश्वर की शक्ति थी। लूका यह सुनिश्चित करना चाहता था कि सब जानें कि वास्तव में क्या हुआ, इसलिए उसने सावधानीपूर्वक यीशु के जीवन की कहानियों की जांच की। उसने उन लोगों से साक्षात्कार किया जो वहां थे और उन सभी लोगों के साथ यात्रा की जिन्होंने पूरी दुनिया में संदेश पहुँचाया था। और फिर लूका ने इसे लिखा, ताकि सभी लोग समझ सकें कि जब परमेश्वर पृथ्वी पर आया था तब क्या हुआ था।