पाठ 11 :पृथ्वी की स्थिति - यरूशलमे मे क्रूस का परिणाम
प्रेरितों बाइबिल की पुस्तक है जो बताती है कि किस प्रकार यीशु के मरने और फिर जी उठने के बाद, परमेश्वर के साथ अद्भुत नई वाचा की पकड़ संसार में किस प्रकार है। मंदिर में अब बलिदान चढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं थी। हज़ारों वर्षों से चले आ रहे अनुष्ठानों को समाप्त कर दिया गया। प्रत्येक व्यक्ति जो यीशु पर विश्वास रखता है उसकी धार्मिकता को पहन लेता है। पाप के लिए कीमत पूरी तरह से चुका दी गयी थी। प्रेरितों की पुस्तक बताती है कि कैसे यीशु ने पवित्र आत्मा को हर उस व्यक्ति के हृदय में डाला जो विश्वास करता है। प्रत्येक व्यक्ति जीवित परमेश्वर का एक मंदिर वन जाता है।
पत्थर की पटियों पर लिखे गए नियम अब परमेश्वर और उसके लोगों के बीच का वाचा नहीं था। पवित्र आत्मा किसी भी व्यक्ति के हृदय को बदल देगा जो यीशु मसीह पर अपना विश्वास रखता है। पवित्र आत्मा परमेश्वर के बच्चों को अपने पूरे दिल, आत्मा, मन और सामर्थ से परमेश्वर से प्रेम करने के लिए सशक्त करेगा। वे अपनी इच्छानुसार नम्र और आज्ञाकारी बन जाएंगे। पवित्र आत्मा स्वयं उनके हृदय में वास करेगा, उन्हें जीवन के द्वारा सिखाएगा और मार्गदर्शन करेगा। अब प्रत्येक व्यक्ति वास्तव में एक याजक होगा, और उनका महान महायाजक यीशु मसीह था .... यह नई वाचा केवल यहूदी देश के लिए नहीं थी। अब, हर देश, भाषा, और समूह के लोग, परमेश्वर के बच्चे बन सकते हैं। पवित्र आत्मा हर उस हृदय में डाला जाएगा जिसने यीशु पर विश्वास किया था।
यह अद्भुत सन्देश था। आपको लगता है कि इखाएन के सभी यहूदी लोग यह सुनकर बहुत उत्साहित होंगे। उनमें से कई थे। जब यीशु ने इन बातों को सिखाना शुरू किया, तो बहुत से लोग उसे सुनना चाहते थे। परन्तु उनमें से बहुतों के पास देखने के लिए आँखें नहीं थीं या सुनने के लिए कान नहीं थे। कई यहूदी अगुवे यीशु के प्रचार को पसंद नहीं करते थे जो धार्मिक अगुवे थे वे पुराने नियम के तहत पुरानी वाचा को पसंद करते थे। वे नियम इसलिए नहीं पसंद करते थे क्यूंकि उन्हें परमेश्वर पर विश्वास या परमेश्वर से प्रेम था। उन्हें नियम इसलिए पसंद था क्योंकि इसके द्वारा उन्हें अधिकार प्राप्त होता था। यह उन्हें हर किसी पर मालिक बनने का अवसर देता था। ये लोग शलेम के महान मंदिर में शासक थे। वे देश में सबसे प्रसिद्ध, शक्तिशाली, सम्मानित पुरुष थे। वे पुराने तरीकों से चलना चाहते थे क्योंकि इसके द्वारा उनके परिवार सत्ता में रह सकते थे। उस परमेश्वर की परवाह करने के बजाय जिसकी से सेवा दिखावे के लिए कर रहे थे, उन्हें समाज में अपने पट्टी के बारे में अधिक परवाह थी। इसलिए उन्होंने यीशु को मारा और इस्राएल के लोगों से कहा कि वे उस पर विश्वास न करें। इतिहास में यह सबसे बुरा निर्णय था।
जिस दिन यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया था, उस दिन यरूशलेम के सारे शहर में गड़बड़ी मच गयी थी। सभी लोग सड़कों के किनारे खड़े थे जिस समय यीशु क्रूस को उस स्थान पर ले जा रहा जहाँ उसे मरना था। यीशु के मारे जाने के बाद, लोगों के बीच बहुत भ्रम उठा। यह यीशु कौन था? क्या वह मसीहा था? यदि वह था, तो वह क्यों मरा? रोमी साम्राज्य पर विजय पाने के लिए, उसने इस्राएल की एक सेना को क्यों नहीं तैयार किया? क्या मसीहा को नये राज्य को नहीं लाना था? जिस प्रकार भविष्यवक्ताओं ने कहा था, क्या इस्राएल को पृथ्वी के सभी राष्ट्रों पर शासन नहीं करना था? परन्तु यदि यीशु मसीहा नहीं था, तो उसने वे सभी आश्चर्यकर्म कैसे किये? केवल परमेश्वर द्वारा भेजा गया एक व्यक्ति अंधे को ठीक कर सकता है और दुष्ट आत्माओं को बाहर निकाल सकता है।
यीशु की मृत्यु के दिन यरूशलेम में रहने वाले बहुत से लोग यीशु द्वारा ठीक किए गए थे। वे अब अंधे या लंगड़े नहीं थे। कई परिवार के सदस्य और पड़ोसी थे जो भवानक बीमारियों से ठीक हो गए थे। वीशु ने कुछ लोगों को मरे हुओं में से भी जिलाया। उन्होंने यह सब अपनी आंखों से देखा और उसका शिक्षण कितना सुंदर और सच था। कई लोग उसे सुनने के लिए कई मीलों दूर से यात्रा करके आए। दूसरे दिन उसे सुनने के लिए उन्होंने पूरी रात सितारों के नीचे डेरा लगाया। कोई शैतान के द्वारा इतना बुद्धिमान कैसे हो सकता है? ऐसा यहूदी अगुवों ने कहा, इसलिए यह सच हो सकता है। यदि यह सच नहीं था, और यीशु वास्तव में मसीहा था, जिसका मतलब था कि यहूदी अगुवों ने मसीहा को मार डाला था। ऐसा प्रतीत नहीं होता कि किसी को भी सही जवाब पता था, इसलिए लगभग सब ने वही किया जैसा धार्मिक अगुवों ने कहा। वे इतने गलत कैसे हो सकते हैं? यरूशलेम का शहर इस बात को लेकर बड़बड़ा रहा था। वे यीशु की मृत्यु के दिन हुई अजीब बातों के विषय में भी बात कर रहे थे। आकाश में इतना रहस्यमय अंधेरा कैसे हो गया था? जब यीशु ने क्रूस पर से परमेश्वर को पुकारा तब ठीक उसी समय भूकंप क्यूँ हुआ? उसी क्षण मंदिर में अति पवित्र स्थान के पर्दे ऊपर से नीचे क्यों फट गए? इस उलझन को और बढ़ाने के लिए, अब यीशु के चेले कह रहे थे कि वह मरे हुओं में से जी उठा था। जिस कब्र में उसे गाढ़ा गया था वह खाली पाई गयी थी। याजकों ने कहा कि ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि रात में चेलों ने आकर उसके देह को चुरा लिया था। परन्तु वे आम आदमी कैसे उच्च प्रशिक्षित रोमी गार्ड से छिप कर जा सकते थे? बिना किसी के ध्यान दिए वे कम पर रखे इतने विशाल, पत्थर को हटा सकते थे? मुहरबंद अन्य अफवाहें भी चारों ओर फैल रही थीं। सब यह कह रहे थे कि यीशु अपने चेलों को दिखाई देता रहा। कुछ लोग कह रहे थे कि वह केवल एक नवी या परमेश्वर का एक दूत नहीं था। वे कह रहे थे कि वह स्वयं परमेश्वर था। यदि यह सच था, तो याजकों ने परमेश्वर को ही क्रूस पर मार डाला था, और यरूशलेम के लोगों ने उनकी मदद की थी!
इससे भी अजीब यह बात हुई जो यहूदा के साथ हुआ, जो यीशु का बेला था और जो उसके विरुद्ध हो गया था। यरूशलेम में प्रत्येक व्यक्ति जानता था कि उसने यीशु को धार्मिक अगुवों के हाथ धोखे से पकड़वाया था। यीशु को पकड़वाने के लिए जब उन्होंने यहूदा को पैसे दिए, उसने एक खेत खरीदा। उसके तुरंत बाद वह उसी स्थान में एक भयानक मौत मरा। यरूशलेम में प्रत्येक व्यक्ति उसे अब लहू का खेत कहने लगा । यरूशलेम के सभी लोग यीशु की मृत्यु से जुड़ी सब बातों से सदमे और आश्चर्य के साथ जी रहे थे। परन्तु कोई भी, यीशु के चेले भी, उन अद्भुत बातों को नहीं समझ पाए जो होने वाली थीं।