पाठ 82 : जलती हुई झाड़ी भाग 1

जब मूसा सिनाई पर्वत पर भेड़ें चरा रहा था तब उसने झाड़ी को जलते हुए देखा। वह वास्तव में जल रही थी लेकिन गर्म नहीं थी। वह उसे जाँचने के लिए उसके पास गया। जो उसके बाद हुआ उसने ना केवल उसके जीवन को बदल दिया लेकिन मानव इतिहास में एक बदलाव की शुरुआत हुई। परमेश्वर झाड़ी में मूसा के पास आया था, और यह परमेश्वर का पूरे नए तरीके में मानवता के पास आने की शुरुआत थी। आइये इस उल्लेखनीय बातचीत को सुनते हैं:

 

परमेश्वर ने झाड़ी से मूसा को पुकारा। उसने कहा, “मूसा, मूसा।”

और मूसा ने कहा, “हाँ, यहोवा।”

तब यहोवा ने कहा, “निकट मत आओ। अपनी जूतियाँ उतार लो। तुम पवित्र भूमि पर खड़े हो। ”

 

पवित्र का अर्थ है कुछ शुद्ध और पवित्र है। यह सामान्य या आम या गंद से अलग किया गया होता है। झाड़ी के आसपास की ज़मीन पवित्र थी। क्यूँ? गंदगी और चट्टानों के बारे में क्या कुछ खास था? नहीं। परमेश्वर की उपस्थिति के कारण ज़मीन पवित्र थी। परमेश्वर हर तरह से पवित्र है। वह अपनी अच्छाई में पूरी तरह से शुद्ध है। जिस ज़मीन पर मूसा खड़ा था वह पवित्र थी क्यूंकि वहां अद्भुत, शानदार और पवित्र यहोवा था। उसकी उपस्थिति ने उसे पवित्र बनाया था। मूसा उस पवित्र उपस्थिति के निकट जा रहा था, और इसे केवल सम्मान और श्रद्धा के साथ किया जा सकता था। उसे अपने जूते उतारने की जरूरत थी।

 

तब यहोवा ने कहा," मैं तुम्हारे पूर्वजों का परमेश्वर हूँ। मैं इब्राहीम का परमेश्वर इसहाक का परमेश्वर तथा याकूब का परमेश्वर हूँ।”

मूसा ने अपना मूँह ढक लिया क्योंकि वह परमेश्वर को देखने से डरता था।

 

झाड़ी में आवाज मात्र किसी दूत कि नहीं थी, यह स्वयं परमेश्वर था। जिस तरह से परमेश्वर ने अपना परिचय दिया वह उसी प्रकार था जब मूसा के दिनों में राजा अपना परिचय दिया करते थे। मूसा मिस्र के राजा का गोद लिया बेटा था, और वह इसका मतलब समझता था। परमेश्वर अपने आप को केवल इब्राहीम और इसहाक और याकूब का परमेश्वर होने का दावा नहीं कर रहा था। वह फिरौन की शक्ति या किसी भी अन्य शासक से ऊंचा होने का अपना स्थान एक दिव्य राजा के रूप में कर रहा था। वह अपना शासन अपने लोगों पर एक नए और शानदार तरीके से करने जा रहा था। मिस्र का राजा परमेश्वर के विषयों को कोस रहा था, और परमेश्वर कुछ करने वाला था। एक महान, टकराव इस सिद्ध परमेश्वर और इस क्रूर फिरौन के बीच होने जा रहा था: 

 

"तब यहोवा ने कहा, “मैंने उन कष्टों को देखा है जिन्हें मिस्र में हमारे लोगों ने सहा है और मैंने उनका रोना भी सुना है जब मिस्री लोग उन्हें चोट पहुँचाते हैं। मैं उनकी पीड़ा के बारे में जानता हूँ। मैं अब जाऊँगा और मिस्रियों से अपने लोगों को बचाऊँगा। मैं उन्हें उस देश से निकालूँगा और उन्हें मैं एक अच्छे देश में ले जाऊँगा जहाँ वे कष्टों से मुक्त हो सकेंगे। जो अनेक अच्छी चीजों से भरा पड़ा है.....  मैंने इस्राएल के लोगों की पुकार सुनी है। मैंने देखा है कि मिस्रियों ने किस तरह उनके लिए जीवन को कठिन कर दिया है। इसलिए अब मैं तुमको फ़िरौन के पास भेज रहा हूँ। जाओ! मेरे लोगों अर्थात् इस्राएल के लोगों को मिस्र से बाहर लाओ।”

 

वाह! परमेश्वर मूसा को फिरौन के शाही अदालत में जाने के लिए बुला रहा था। उन्होंने मूसा से इस्राएलियों की रिहाई की मांग करने को कहा। मिस्र से बाहर इस्त्राएलियों को निकालने के लिए परमेश्वर मूसा का प्रयोग करेंगे। वह उनका इब्राहीम, इसहाक और याकूब कि भूमि में वापस नेतृत्व करेगा! यह बहुत बड़ा काम था!

 

चालीस साल पहले, मूसा ने मिस्र के उत्पीड़न से एक इस्राएली किरक्षा करने की कोशिश की थी, और उससे एक हत्या हो गयी थी। इससे खतरा और आरोप लगने लगा जिसके कारण मूसा को रेगिस्तान के बाहर भागना पड़ा। मूसा अपने लोगों की मदद करना चाहता था। यह उसके दिल का एक गहरा लगाव था। लेकिन उसने यह परमेश्वर कि इच्छा से बाहर किया था। और अब परमेश्वर उसकी कल्पना से बाहर कुछ कराना चाहता था। मूसा को एक जीवते परमेश्वर का भक्त होने के लिए चुना जा रहा था। परमेश्वर अपने लोगों को बचाने जा रहा था और उन्हें देश से बाहर लाने जा रहा था, और मूसा उसका दूत होगा। 

 

लेकिन परमेश्वर जानता था कि मिस्र का राजा, फिरौन ग़ुलाम इस्राएलियों को जाने नहीं देगा। वे उसके लिए बहुत काम किया करते थे। उन्होंने अपने कठिन परिश्रम और पीड़ा के माध्यम से उसके राज्य के लिए पूरे शहर का निर्माण किया था! यहोवा ने कहा;

 

मैं तुमको फ़िरौन के पास भेज रहा हूँ। जाओ! मेरे लोगों अर्थात् इस्राएल के लोगों को मिस्र से बाहर लाओ.… किन्तु मैं जानता हूँ कि मिस्र का राजा तुम लोगों को जाने नहीं देगा। केवल एक महान शक्ति ही तुम लोगों को जाने देने के लिए उसे विवश करेगी। इसलिए मैं अपनी महान शक्ति का उपयोग मिस्र के विरुद्ध करूँगा। मैं उस देश में चमत्कार होने दूँगा। जब मैं ऐसा करूँगा तो वह तुम लोगों को जाने देगा। (निर्गमन 3: 19-20) 

 

परमेश्वर जानता था कि फिरौन एक महान गर्व और क्रूरता का व्यक्ति था। वह इस्राएलियों को दया या करुणा के साथ बाहर जाने कभी नहीं देगा। परमेश्वर उसे उसकी क्रूरता से पश्चाताप करने के लिए एक मौका देने जा रहा था, लेकिन परमेश्वर जानता था कि उसके दिल में परिवर्तन नहीं होगा। फिरौन पूरी तरह से विद्रोह करने में प्रतिबद्ध था। ऐसे व्यक्ति को केवल ऐसी शक्ति बदल सकती थी जो उसे चुनाव करने का और कोई रास्ता ना छोड़े। उसका दिल कठिन और जिद्दी था, और उसकी क्रूरता भयंकर थी। हम देखेंगे की परमेश्वर उसे बदलने का अवसर बार बार देता है और फिरौन केवल और अधिक क्रूर होता जाएगा। अंत में, उसकी बुराई परमेश्वर की अच्छाई को इतना अधिक अपमानित कर देगी किपरमेश्वर उसे बदलने का और मौका नहीं देगा। परमेश्वर का निर्णय अंतिम होगा, और राजा अपने ही देश पर पूर्ण विनाश लाएगा। अंत में, यहोवा की कुल जीत होगी। गरीबी और उत्पीड़न में वर्षों तक रहने के बाद इस्राएली ग़ुलाम स्तुति के गीतों के साथ मिस्र छोड़ देंगे! कितना अद्भुत परमेश्वर है! वह इन बातों को समय से पहले जानता था, और मूसा को पहले से बता दिया था। 

 

मालूम नहीं मूसा यह सुनकर क्या सोच रहा था। आपको लगता है कि वह डर गया होगा? क्या ऐसी जगह में वापस जाने में डर लगा होगा जहां वह एक कातिल के रूप में जाना गया था? दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति, फिरौन का सामना करना कैसा होगा? इस्त्राएलियों ने मूसा को पहले भी अस्वीकार दिया था। वे उसे एक कातिल बुलाते थे। क्या वे फिर से उसे अस्वीकार कर सकते हैं? वे उस पर किस प्रकार विश्वास करेंगे और उसके पीछे चलेंगे? और सैकड़ों ग़ुलामों को आज़ाद कर के ले जाने में वह दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति, फिरौन को कैसे समझाएगा? बाइबिल कहती है;

 

"... मूसा ने परमेश्वर से कहा, “मैं कोई महत्वपूर्ण आदमी नहीं हूँ। मैं ही वह व्यक्ति हूँ जो फ़िरौन के पास जाए और इस्राएल के लोगों को मिस्र के बाहर निकाल कर ले चले?”

परमेश्वर ने कहा, “क्योंकि मैं तुम्हारे साथ रहूँगा। मैं तुमको भेज रहा हूँ, यह प्रमाण होगा: लोगों को मिस्र के बाहर निकाल लाने के बाद तुम आओगे और इस पर्वत पर मेरी उपासना करोगे।”

 

परमेश्वर को मूसा पर पूरा भरोसा था की वह मिस्र के लोगों को बाहर निकाल लाएगा और उसे बताया की उसे उसके बाद कहाँ जाना है। मूसा को इब्राहीम के सभी बच्चों के साथ इसी पहाड़ पर लौटना था। मूसा को देखते हुए परमेश्वर को यकीन नहीं था किमूसा ऐसा कुछ कर पाएगा। परमेश्वर को निश्चित था इस वजह से की परमेश्वर कौन था, है, और हमेशा रहेगा। वह प्रभु है, और उसके पास एक योजना थी, और कुछ भी उसकी योजना को होने से नहीं रोक सकता था! लेकिन मूसा अभी भी निश्चित नहीं था। यह एक बहुत बड़ा कार्य था, और वह सोच नहीं सकता था किपरमेश्वर इसे किस प्रकार करेगा! 

 

तब मूसा ने परमेश्वर से कहा, “किन्तु यदि मैं इस्राएल के लोगों के पास जाऊँगा और उनसे कहूँगा, ‘तुम लोगों के पूर्वजों के परमेश्वर ने मुझे तुम लोगों के पास भेजा है,’ ‘तब लोग पूछेंगे, उसका क्या नाम है?’ मैं उनसे क्या कहूँगा?”

 तब परमेश्वर ने मूसा से कहा, “उनसे कहो, ‘मैं जो हूँ सो हूँ।’ जब तुम इस्राएल के लोगों के पास जाओ, तो उनसे कहो, ‘मैं हूँ’ जिसने मुझे तुम लोगों के पास भेजा है।”

 

हम्म। परमेश्वर ने कहा कि उसका नाम "मैं हूँ" है। यह एक अजीब नाम लग सकता है। उन दिनों में, नाम के विशेष अर्थ होते थे। वे उस व्यक्ति के चरित्र और व्यक्तित्व और गुणों को बताते थे जिनको वह नाम दिया जाता था। "मैं हूँ" परमेश्वर की अकल्पनीय महानता दिखाता था। कोई भी नाम परमेश्वर की भव्यता नहीं दिखा सकता था। केवल वह है। ब्रह्मांड या सितारों या समुद्र से पहले परमेश्वर था। सब कुछ अच्छा जो ब्रह्मांड में है वह इसीलिए है क्योंकि परमेश्वर ने उसे बनाया है। लेकिन परमेश्वर को किसी ने नहीं बनाया। वह हमेशा से था, और हमेशा रहेगा। वह किसी पर निर्भर नहीं करता है, लेकिन बाकि सब उस पर पूरी तरह से निर्भर करता है! मूसा को किसका डर था?

 

जीवित परमेश्वर का वर्णन किसी भी प्रकार से नहीं किया जा सकता। वह इतना शक्तिशाली और सिद्ध है की उसकी महिमा का वर्णन करने में सदियों लग जाएंगे। परमेश्वर मनुष्य को अपनी महिमा और वैभव को दिखाना चाहता है लेकिन इंसान उस सब को अपनी छोटी सी समझ में नहीं समा पाया। हमारा दिमाग या तो पक जाएगा या फिर हम नीचे गिर जाएंगे। यह उसके समान है जैसे की एक पेड़ को पढ़ना सिखाना।यह पूरे ब्रह्मांड को एक कप में भरने के समान होगा। यह कभी नहीं हो सकता! सही मायने में परमेश्वर के बारे में मनुष्य केवल वही बातें समझ सकता है जिन्हें परमेश्वर ने प्रकट करने का चुनाव किया है। जब परमेश्वर मूसा के पास आया, तब उसने अपने विषय में कुछ खास बात को प्रकट किया। उसने अपने प्रेम को अपने लोगों के लिए प्रकट किया। और इतिहास को बदलने के लिए वह अपनी संप्रभु शक्ति को प्रकट करने जा रहा था!

 

 परमेश्वर ने मूसा से यह भी कहा, “लोगों से तुम जो कहोगे वह यह है कि: ‘यहोवा तुम्हारे पूर्वजों का परमेश्वर, इब्राहीम का परमेश्वर, इसहाक का परमेश्वर और याकूब का परमेश्वर है। मेरा नाम सदा यहोवा रहेगा। इसी रूप में लोग आगे पीढ़ी दर पीढ़ी मुझे जानेंगे।’