पाठ 5: छठा दिन: भाग 1

परमेश्वर ने पांच दिन में सृष्टि की रचना की। लेकिन छठे दिन पर, वह कुछ बहुत ही खास करने जा रहा था। आइये पढ़ें कि उसने क्या किया; 

 

"तब परमेश्वर ने कहा,“पृथ्वी हर एक जाति के जीवजन्तु उत्पन्न करे। बहुत से भिन्न जाति के जानवर हों। हर जाति के बड़े जानवर और छोटे रेंगनेवाले जानवर हों और यह जानवर अपनी जाति के अनुसार और जानवर बनाएं” और यही सब हुआ। तो, परमेश्वर ने हर जाति के जानवरों को बनाया। परमेश्वर ने जंगली जानवर, पालतू जानवर, और सभी छोटे रेंगनेवाले जीव बनाए और परमेश्वर ने देखा कि यह अच्छा है।"

हवा और समुद्र जीवन से भर गए थे। अब परमेश्वर ने भूमि पर रहने वाले जीव बनाये। प्रत्येक प्राणी के रचनात्मक आकार के बारे में सोचिये जिस में परमेश्वर ने उनको बनाया ताकि वे अपने अपने क्षेत्र में उसके अनुसार जी सकें। क्या स्वर्गदूतों ने देखा जब ध्रुवीय भालू को बनाया गया और उसमें प्राण आये? पेड़ों पर बंदरों को देखा? क्या शेर दहाड़ा जब उसे बनाया गया? जिराफ़ और हिप्पो और ऊंट देख कर कैसे स्वर्गदूत हँसे होंगे और नाचे होंगे।  

 

प्रारम्भ से यह देखना कितना दिलचस्प है की परमेश्वर ने न केवल जानवरों को विभिन्न प्रकार दिए बल्कि उसने उन्हें विभिन्न कार्य भी करने को दिए। कुछ जानवरों को जंगली ही रहना था। और कुछ पालतू रहने थे ताकि मनुष्य उनका उपयोग खेती बाड़ी में कर सके। ये परमेश्वर कि बहुत बड़ी योजना थी उस मनुष्य के लिए जिसे वो बनाने वाला था, ठीक उस तरह जैसे पेड़ पौधे जानवरों के लिए बनाये गए!

                                        

परमेश्वर ने अपने निर्माण को अभी समाप्त नहीं किया था। वास्तव में, वह किसी चीज़ का निर्माण कर रहा था। कुछ गौरवशाली आने को था। परमेश्वर एक ऐसे उच्चतम मुकुट को प्रकट करने वाला था जो उसकी तमाम सृष्टि कि बड़ी ख़ुशी थी। पूरा ब्रह्मांड एक शानदार मंदिर था जो सृष्टि के राजा की प्रतिभा को दर्शा रहा था, और अब समय आ गया था की उस बड़े ख़ज़ाने का निर्माण किया जाये। बाइबिल यूं कहती है; 

 

"तब परमेश्वर ने कहा,“अब हम मनुष्य बनाएं। हम मनुष्य को अपने स्वरूप जैसा बनाएगे। मनुष्य हमारी तरह होगा। वह समुद्र की सारी मछलियों पर और आकाश के पक्षियों पर राज करेगा। वह पृथ्वी के सभी बड़े जानवरों और छोटे रेंगनेवाले जीवों पर राज करेगा। 

इसलिए परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाया। परमेश्वर ने मनुष्य को अपने ही स्वरुप में सृजा। परमेश्वर ने उन्हें नर और नारी बनाया।"

                                            उत्पत्ति 1: 26-27 

वाह! अब परमेश्वर हमें बनाने जा रहा था! जिस समय परमेश्वर मनुष्य की रचना करने जा रहा था, सब कुछ बदल गया। क्यूंकि शेष सब कुछ बनाने के लिए परमेश्वर ने कहा, "हो जा....." और वह उसके वचन की आज्ञा के अनुसार हो जाता था। लेकिन अब बाइबिल परमेश्वर के एक रहस्यमय बातचीत के बारे में बताती है। सब कुछ जो परमेश्वर ने बनाया, उसे हम एक उज्जवल झलक में देख पाये। परन्तु जब परमेश्वर बताना शुरू करता है कि उसने मनुष्य को कैसे बनाया, तो कहानी कुछ धीमी हो जाती है। यह रुक जाता है। यहां यह दर्शाता है कि कैसे परमेश्वार सावधानी से इस अंतिम प्राणी की ओर विमर्श था। यहां यह दर्शाता चाहता है कि यह एक बहुत ही गंभीर और पवित्र पल था, परमेश्वर के लिए भी। 

 

कुछ बहुत ही विशेष और अलग था इस मानवता के बारे में जो सारी सृष्टि से भिन्न था। परमेश्वर का अन्य निर्माण कार्य करने का उद्देश्य यह था कि हम उसके साथ एक रिश्ते में रह सकें। 

 

मानव को बनाने का विशेष उद्देश्य था कि परमेश्वर उसे अपने रूप में बना सके। मनुष्य परमात्मा की एक तस्वीर होने के लिए बनाया गया था। सोचिये जब आप दर्पण में देखते हैं तो क्या होता है। आप अपनी ही छवि देखते हैं। आप वैसे ही दिखते हैं जैसे आप हैं। दर्पण में आप की छवि आप नहीं हैं। आप अभी भी दर्पण के बाहर खड़े हो कर उसे देख रहे हैं। लेकिन कोई भी आपके प्रतिबिंब को देखेगा वो आपके बारे में बहुत कुछ जान जाएगा। वे आपके रंग रूप को देखेंगे और शायद आपकी मुस्कान को भी!

 

मनुष्य को परमेश्वर का दर्पण बनने के लिए बनाया गया है। वे सृष्टि के प्रति अपनी वफ़ादारी और उसकी देखभाल के द्वारा सारी दुनिया को दिखाएंगे की उनका परमेश्वर कैसा है। क्यूंकि परमेश्वर की सृष्टि की देखभाल करना उनका काम था। उन्हें सारी पृथ्वी पर उसके लिए राज करना था। उन्हें सारी पृथ्वी के ऊपर एक सर्वोच्च स्थान और सम्मान दिया गया। उसके शाही दूत के रूप में उन्हें सिद्ध आज्ञाकारिता में वे वही करेंगे जो परमेश्वर उनसे करवाना चाहेगा। हर एक कार्य जो वे करेंगे, उससे परमेश्वर कि भली और सिद्ध इच्छा प्रकट होगी। 

 


परमेश्वर ने मनुष्य को बहुत विशेष उपहार दिया जिसके द्वारा वे ये सब कुछ कर पाएंगे। ये वे उपहार हैं जो परमेश्वर ने अन्य और किसी जानवर को नहीं दिए। वे मनुष्य की सहायता करेंगे कि वे परमेश्वर के साथ उसकी सृजी हुई सृष्टि की देख रेख करने में उसका सहयोग दें। मनुष्य को सोचने के लिए और रचनात्मक होने के लिए ही बनाया

गया है। क्या एक बंदर एक खेत के लिए बीज संयंत्र के बारे में योजना बना सकता है? क्या हाथी एक बगीचे में फल और सब्जियों का विकास कर सकता है? गायें क्या संगीत लिख सकती हैं या कहानियाँ बता सकती हैं? क्यों नहीं? परमेश्वर ने उन बातों को करने के लिए उन्हें सक्षम नहीं बनाया। मनुष्य सोचते हैं और संगठित करते हैं और नई चीजें बनाते हैं। उन्हें परमेश्वर के लिए बनाया गया की वे उसकी सुनें और पृथ्वी पर सकी योजना को पूरा करें। 

 

मनुष्य परमेश्वर कि छवि को दर्शाते हैं और इसीलिए वे सुंदरता को समझ पाते हैं। एक कुत्ता एक सूर्यास्त कि सुंदरता को नहीं समझ सकता। उसका दिल न्याय की महिमा के द्वारा प्रबल नहीं किया गया है, और ना ही करुणा की कोमलता से नरम किया गया है। लेकिन परमेश्वर ने मनुष्य को इन बातों को समझने और उनमें आनन्दित रहने के लिए बनाया है। हम ज्ञान, निष्ठा, त्याग, पवित्रता, और पवित्रता के गहरे सौंदर्य को समझ सकते हैं। यह बहुत कुछ परमेश्वर के समान है और केवल वही अधिक गहरा और व्यापक रूप से समझ सकता है। परमेश्वर की छवि में बनाया जाना इन बातों का महत्वपूर्ण हिस्सा है। ये सब मनुष्य को दिए गए ताकि वह उन पर शासन कर सके। 

 

जब आप दर्पण देखते हैं तो आपके दूर चले जाने से क्या होता है? क्या आपकी छवि वहाँ रहती है? नहीं, बिल्कुल नहीं। यह गायब हो जाता है! अपने प्रतिबिंब को दर्पण के सामने यदि बने रखना है तो आपको उसके सामने खड़े रहना होगा। इसी प्रकार से मनुष्य को परमेश्वर की छवि बनकर उसकी महिमा को प्रकट करना है। उन्हें परमेश्वर की छवि में बनाया गया, लेकिन उन्हें इस तरह इसीलिए बनाया ताकि वे परमेश्वर कि नज़दीकी को उसके लिए तिबिंबित कर सकें!

 

जब दुनिया नई थी तब यह समस्या नहीं थी। जब परमेश्वर ने पहले आदमी और औरत बनाये, तो वे उसके अद्भुत प्रेम में निरंतर बने हुए थे। परमेश्वर की जबरदस्त अच्छाई में वे पूरी आज़ादी के साथ चल सकते थे। उसके जगमगाते जीवन में उनका पाप के साथ कोई संघर्ष नहीं था। परमेश्वर ने अपने सशक्त सेवकों के माध्यम से उस सुंदर छवि को चमकने दिया। वो कितनी गौरवशाली दुनिया होगी।  

 

परमेश्वर की कहानी पर ध्यान करना।  

परमेश्वर ने जिराफ़ की भयंकर गर्दन बनाई और शानदार सफ़ेद फ़र के साथ ध्रुवीय भालू को बनाया। उसने अपने शानदार, रचनात्मक मन के अनुसार किया और यह अच्छा था। क्या आपको आकर्षक या विचित्र लगने वाली चीज़ें दिखती हैं जो उसने बनाई हों?

 

अपनी दुनिया, अपना परिवार और स्वयं पर लागू करना। 

आप परमेश्वर की नज़र में बहुमूल्य हैं। परमेश्वर ने आपको किस प्रकार बनाया? परमेश्वर ने आपके परिवार के प्रत्येक सदस्य को किस प्रकार विशेष बनाया? क्या ऐसी कोई बात है जो आपको पसंद नहीं है? 

 

अपने जीवित परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर।  

भजन सहिंता 139 के इस भाग को पढ़िए। इसके पहले कि आप पढ़ें, प्रार्थना कीजिये की परमेश्वर आपको सत्य को दर्शाय : 

 

"हे यहोवा, तूने मुझे परखा है।

मेरे बारे में तू सब कुछ जानता है।
तू जानता है कि मैं कब बैठता और कब खड़ा होता हूँ।
तू दूर रहते हुए भी मेरी मन की बात जानता है।
हे यहोवा, तुझको ज्ञान है कि मैं कहाँ जाता और कब लेटता हूँ।
मैं जो कुछ करता हूँ सब को तू जानता है।
हे यहोवा. इससे पहले की शब्द मेरे मुख से निकले तुझको पता होता है
कि मैं क्या कहना चाहता हूँ।
हे यहोवा, तू मेरे चारों ओर छाया है।
मेरे आगे और पीछे भी तू अपना निज हाथ मेरे ऊपर हौले से रखता है।
मुझे अचरज है उन बातों पर जिनको तू जानता है।

जिनका मेरे लिये समझना बहुत कठिन है.… 

हे यहोवा, तूने मेरी समूची देह को बनाया।

तू मेरे विषय में सबकुछ जानता था जब मैं अभी माता की कोख ही में था।
हे यहोवा, तुझको उन सभी अचरज भरे कामों के लिये मेरा धन्यवाद,
और मैं सचमुच जानता हूँ कि तू जो कुछ करता है वह आश्चर्यपूर्ण है।"