पाठ 46 : आशीर्वाद

इसहाक जब बूढ़ा होने लगा, उसकी आँखें इतनी कमज़ोर हो गयीं की वह लगभग अँधा हो गया था। अब वह सौ साल का हो गया था और उसका शरीर अब उस तरह काम नहीं कर पाता था। उसे डर था कि उसका अंत अब नज़दीक है, और इसके पहले कि वह चल बसे, वह अपने पहलौठे बेटे एसाव को आशीर्वाद देना चाहता था। 

 

आम तौर पर, यह एक महान, सार्वजनिक प्रसंग होता है। यह इसहाक के जीवन की बहुतायत कि आशीषें जो उसके पहलौठे पुत्र को दिया जा रहा था उसके लिए जश्न मानाने का अवसर था। लेकिन याकूब ने एसाव को पहलौठा होने का अपने जन्मसिद्द अधिकार देने का आश्वस्त दिलाया था। उन दिनों में, इस जन्मसिद्ध अधिकार का मतलब था कि जो पहलौठा पुत्र होता है उसे सारी संपत्ति में से दुगना हिस्सा मिलता है। याकूब ने सूप के एक कटोरे के साथ एसाव से सभी कुछ खरीद लिया था। एसाव ने खुलकर के और मूर्खता से उसे दे दिया था। 

 

एक पिता जन्मसिद्ध अधिकार के साथ एक और चीज़ अपने पहलौठे पुत्र को देता है। यह एक आशीर्वाद था, और यह एक प्रार्थना के रूप में आता था। यह एक अत्यंत शक्तिशाली और आध्यात्मिक उपहार था जो एक धर्मी पिता अपने पुत्र पर उँड़ेलता था। इसहाक इसे इस तरह वर्णित करता था की यह बहुत भीतर से आता है। यह परिवार के पिता और कुलपति के रूप में उसकी सामर्थ और शक्ति की गहराई से प्रवाहित होता है। यह आशीर्वाद पहलौठे बेटे को पूरे परिवार के ऊपर दैवीय सशक्त अधिकार प्रदान करता है। यह एक परिवार की समृद्धि और बहुतायत देने के लिए परमेश्वर द्वारा नियुक्त तरीका था। यह पुत्र पूरे परिवार का नेतृत्व करेगा और अपनी विरासत के भविष्य को परिभाषित करेगा। 

 

अन्य पुत्रों को उसके फैसले का सम्मान और उसकी आज्ञाओं का पालन करना होगा। उन्हें अपने आप को उसके आगे समर्पित करने में बहुत तकलीफ होगी, लेकिन यह एक मज़बूत परिवार के संरचना की भलाई, प्राधिकरण के एक परिभाषित प्रणाली की सुरक्षा के लिए भी होगा, और उनके पास एक अगुवा होगा जिसके लिए वे प्रार्थना करेंगे और उसके पीछे चलेंगे। पिता से बेटे को अधिकार देने पर एक बड़ा जश्न मनाया जाता था। पहलौठा पुत्र जब उस आधिकारिक तौर पर जन्मसिद्ध अधिकार को प्राप्त करता था और उसके पिता से आशीर्वाद लेता था, तब सभी परिवार दावत करते थे। 

 

लेकिन इसहाक रहस्यमय तरीके से काम कर रहा था। वह एसाव को गुप्त तरीके से आशीर्वाद देने जा रहा था, और किसी को इसकी खबर भी नहीं होगी। शायद इसीलिए क्यूंकि उसके पहलौठे पुत्र ने पहले मूर्खता से याकूब को उसका जन्मसिद्ध अधिकार बेच दिया था। उसने रहस्मय तरीके से इसीलिए दिया होगा ताकि याकूब और उसकी माँ हस्तक्षेप ना कर सकें।शायद आशीर्वाद और जन्मसिद्ध अधिकार एक साथ दिए जाने थे, और अपने पसंदीदा बेटे को आशीर्वाद देने के लिए इसहाक दोनों का विभाजन करना चाहता था। शायद वह रिबका को परमेश्वर के वचन द्वारा बताना चाह रहा था की बड़े को छोटे कि सेवा करनी होगी। 

 

हम इसहाक के इरादों के बारे में कुछ नहीं जान सकते। बाइबिल हमें बताती है की इसहाक ने अपने पहलौठे पुत्र को तम्बू में बुलाया। उसने उसे बताया कि वह उस दिन उसे आशीर्वाद देगा, और उसे कुछ मांस लाने के लिए शिकार करने के लिए उसे भेजा। एसाव ने अपने धनुष और तीर लिए और चला गया। उसे शिकार लाकर और उसे तैयार करके उसके पिता के साथ अकेले उसके तम्बू में दावत करना था। दावत का बाँटना आशीर्वाद को सील करना था, लेकिन कितना अद्भुत भोज था यह!

 

एक पिता के द्वारा उसके बच्चों को आशीर्वाद देना, इब्राहीम, इसहाक, और याकूब के दिनों से कहीं अधिक गहराई के साथ समझा जाता था। वे परमेश्वर कि उस सामर्थ को समझते थे जो वह धर्मी माता पिता को देता था की वे उसे आगे पारित करें, और जब एक अभिशाप एक परिवार पर आता था, तो उससे उन्हें बहुत डर कर रहना होता था। इसहाक का अपने बेटे को दिया आशीर्वाद एसाव को अपने जीवन और भविष्य को समझने के लिए एक शक्तिशाली प्रभाव डालेगा। परमेश्वर इसहाक के आशीर्वाद को सुनेंगे, और उनका शक्तिशाली हाथ एसाव के जीवन की परिस्थितियों पर एक शक्तिशाली प्रभाव होगा। आज के समय में हम वास्तव में उस शक्ति और सशक्तिकरण को देख नहीं पाते हैं जो मौजूद हैं, लेकिन एसाव उस उपहार को जानता था जो इसहाक ने उसे देने के लिए निर्धारित किया था। 

 

सब कुछ योजना के अनुसार हो सकता था। रिबका ने इसहाक और उसके पुत्र के बीच कि बातचीत को सुन रही थी। वह एसाव के आशीर्वाद की सामर्थ और महत्व को जानती थी जो वह याकूब को देने जा रहा था। लेकिन याकूब उसका पसंदीदा पुत्र था, और वह चाहती थी की इसहाक का आशीर्वाद उस पर आये। एसाव ने उन भयानक कनानी महिलाओं से विवाह किया था! वादा के रूप में वह कितना अयोग्य था! और उसके अपने पक्ष में उसके साथ परमेश्वर का वचन था। उसने कहा कि बड़ा छोटे की सेवा करेगा। 

 

क्या रिबका ऐसा होने के लिए परमेश्वर पर भरोसा करेगी, या वह इसे अपने दम पर करने किकोशिश करेगी? इसहाक अपनी पत्नी से अपनी योजनाओं को छिपाने की कोशिश कर रहा था, लेकिन रिबका भी डरपोक थी। उसके स्वयं के कुछ भ्रामक योजनाएं थीं। 

 

रिबका और इसहाक इब्राहीम और सारा से कितने भिन्न थे! वे प्रतिस्पर्धा और दूसरे तरीकों से आपस में बंटे हुए थे! जहां सारा अपने पति के प्रति प्यार और सम्मान के साथ पेश आती थी, उसके गलत होने पर भी रिबका ने अपने को उससे बाहर लाने के लिए, अपने पति के खिलाफ योजना बनाई। 

 

रिबका याकूब के पास अपने विचार लेकर गयी। उसने उसे बताया की उसका पिता एसाव के लिए क्या करने जा रहा था। फिर उसने याकूब को इसहाक के तम्बू में जाकर अपने लिए उस आशीर्वाद को प्राप्त करने के लिए कहा। वे इसहाक के अंधेपन का प्रयोग करके उसके साथ छल करेंगे। याकूब एसाव होने का नाटक करेगा, और एसाव के शिकार से लौटने से पहले इसहाक का आशीर्वाद ले जाएगा! क्या याकूब अपने पिता के साथ छल करने को सहमत होगा? क्या रिबका की योजनाएं काम करेंगी? क्या इसहाक को उनके खेल का पता चल पाएगा? इस टूटे हुए परिवार का क्या होगा? 

 

परमेश्वर कि कहानी पर ध्यान करना।  

इसहाक अपने बेटे को वरदान देना चाहता था। लेकिन क्या आप जानते हैं किपरमेश्वर आपका स्वर्गीय पिता है, और वह आपको वह आशीर्वाद देना चाहता है? उसने आपको किस किस तरीके से आशीर्वाद दिए हैं? आप किन तरीकों से उन आशीषों को पाना चाहते हैं? एक विशेष रूप से परमेश्वर से प्रार्थना कीजिये किवह आपको उसके महान और शक्तिशाली प्रेम को दिखाए। उसे बताएं कि आप कितना उसे और जानना चाहते हैं, और उसकी उपस्थिति अपने साथ महसूस करना चाहते हैं। केवल एक बार ही मत पूछिये। परमेश्वर के पास आते रहिये और उसे और अधिक जाननेकिकोशिश कीजिये!

 

मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना।  

परमेश्वर अपनी आशीषों को उन सब पर उँड़ेलता है जो उस पर विश्वास करते हैं। जब आप अराधनाघर में जाते हैं, तो आप परमेश्वर के राज्य के अत्यधिक सम्मानित लोगों के एक समूह के साथ होते हैं! वे आपके अशिक्षित किये हुए भाई और बहन हैं, और आप परमेश्वर के प्रेम को जो उसने आपको दिया, उन लोगों के साथ हमेशा के लिए मनाएंगे। आप इसके बारे में क्या सोचते हैं? अन्य विश्वासियों की ओर आपका महसूस होना कैसे प्रभावित करता है? 

 

जीवित परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर। 

परमेश्वर के वचन ने कुछ अद्भुत आशीषों को हम में से उन लोगों के साथ बांटा है। ये बातें सच हैं क्यूंकि हमारा जीवित परमेश्वर स्वर्ग के सिंहासन पर बैठा है। आपके जीवन के लिए परमेश्वर की ये कुछ आशीषें हैं: 

आप परमेश्वर के द्वारा चुने गए हैं, पवित्र और बहुतायत का प्रेम (कुलुसियों 3:12) 

स्वर्गीय बुलाहट से बुलाये गए (इब्रानियों 3:1)

परमेश्वर की दृष्टि में आप पवित्र और धर्मी हैं (इफिसियों 4:4) 

आप परमेश्वर के बच्चे हैं, और परमेश्वर आपका वास्तव में आध्यात्मिक पिता है (रोमियों 8:14; गलतियों 3:26) 

आप एक चुना हुआ वंश, राज पदधारी याजकों का समाज, और पवित्र लोग हैं। आप परमेश्वर के लोगों का एक हिस्सा हैं। (1 पतरस 2: 9-10) 

(नील एंडरसन से लिया गया, अंधकार पर विजय, पृष्ठ 57) 

आप शायद इन अद्भुत आशीषों को पढ़ना चाहें। प्रत्येक पर मनन कीजिये और परमेश्वर की महिमा और उससे मांगिये किवह अपनी सच्चाई को आपको दर्शाये!