पाठ 28 : अभिषेक किया हुआ

यशायाह की पूरी किताब इस बात की एक कहानी है कि इस्राएल के अपने चुने हुए लोगों के साथ सर्वशक्तिशाली परमेश्वर एक गहरा, प्रेमपूर्ण रिश्ता चाहता है । वह उनके द्वारा से सभी मानवता के लिए अपने प्यार को साझा करना चाहता था I उन्हें एक राजपधारी राष्ट्र होना था । लेकिन मनुष्यों के पाप और विद्रोह बाधा बन रहे थे । आदम और हव्वा, पहले मनुष्य, ने अदन की वाटिका में पाप किया था I उन्होंने परमेश्वर के मार्गों को अस्वीकार कर दिया था । परमेश्वर ने उन्हें दिल, आत्मा, दिमाग और शरीर दिया था जो परमेश्वर के प्रति प्यार और आज्ञाकारिता की पूरी तरह से प्रतिक्रिया कर सकते थे I वे सुंदर दर्पण की तरह थे जो परमेश्वर की महिमा को पूरी तरह से प्रतिबिंबित कर सकते थे । लेकिन इस अनमोल उपहार के बावजूद, उन्होंने स्वयं अपना रास्ता तय किया और शैतान का अनुसरण किया । उनके दिल, दिमाग, आत्मा, और शरीर टूटे हुए दर्पण की तरह बन गए । उन्हें बुरी चीजों की लालसा होने लगी, और उस लालसा की ताकत सामर्थी और लुभावनी थी । उनमें अशुभ के लिए एक नया प्रेम आ गया था, और बुराई से नफरत करने की शक्तिहीनता आ गयी थी । वे अपने मन में पापी, स्वार्थी विचारों को दूसरों के विरुद्ध चाहने लगे जो उनके मनों में छिपे द्वेष को संतुष्ट कर रहा था I उनके शरीर दोषपूर्ण और पीड़ित हो गए थे । वे बूढ़े होंगे और मर जायेंगे I मानव जाति के इन माता-पिता के बाद पैदा होने वाला हर बच्चा भी दोषमुक्त पैदा होगा । मानव जाति एक पवित्र, प्यार करने वाले परमेश्वर की सुंदर, परिपूर्ण छवि को अब प्रतिबिंबित नहीं करता है । वे स्वयं पर पाप और शर्म को लाते हैं । वे एक दूसरे को चोट पहुँचाते हैं I

अभिशाप की भयावहता मानव जाति तक ही सीमित नहीं थी । परमेश्वर ने आदम और हव्वा को पूरी दुनिया के ऊपर अधिकार दिया था I उन्हें इसकी देखभाल करने की ज़िम्मेदारी दी गयी थी I जब वे पाप में पड़ गए, तो वे सारी प्रकृति पर पाप और मृत्यु को ले आए । पशु एक दूसरे को खाने के लिए घात करते थे । तूफान के कारण विकार और अराजकता आ गयी I भूकंप और बाढ़ आपदा और संकट को ले आए । रोग सभी जीवित प्राणियों पर पीड़ा और कष्ट ले आया । हर जीवित वस्तु मरने लगी I आदम और हव्वा ने जो किया उसका परिणाम अति चौका देने वाला और अकल्पनीय है I

आदम और हव्वा के पाप के कारण प्रत्येक मनुष्य परमेश्वर की एक विकृत, टूटी हुई छवि बन गयी I परन्तु यशायाह किसी के बारे में बताता है, एक अभिषिक्त, जो आने वाला था । वह पतन की बुराई और शक्ति को बदल देगा । उसका मृदु, परिपूर्ण जीवन सभी क्षति को खत्म करना शुरू कर देगा, जो मानवता और पृथ्वी पर अभिशाप को लाया था । आइए हम उसे पढ़ें जो यशायाह ने इस व्यक्ति के बारे में लिखा था, जो अभी आने वाला है;

61:1-3

“यहोवा का सेवक कहता है, “मेरे स्वामी यहोवा ने मुझमें अपनी आत्मा स्थापित की है। यहोवा मेरे साथ है, क्योंकि कुछ विशेष काम करने के लिये उसने मुझे चुना है। यहोवा ने मुझे इन कामों को करने के लिए चुना है: दीन दु:खी लोगों के लिए सुसमाचार की घोषणा करना; दु:खी लोगों को सुख देना; जो लोग बंधन में पड़े हैं, उनके लिये मुक्ति की घोषणा करना; बन्दी लोगों को उनके छुटकारे की सूचना देना;  उस समय की घोषणा करना जब यहोवा अपनी करूणा प्रकट करेगा; उस समय की घोषणा करना जब हमारा परमेश्वर दुष्टों को दण्ड देगा; दु:खी लोगों को पुचकारना;  सिय्योन के दु:खी लोगों को आदर देना (अभी तो उनके पास बस राख हैं); सिय्योन के लोगों को प्रसन्नता का स्नेह प्रदान करना; (अभी तो उनके पास बस दु:ख हैं) सिय्योन के लोगों को परमेश्वर की स्तुति के गीत प्रदान करना (अभी तो उनके पास बस उनके दर्द हैं); सिय्योन के लोगों को उत्सव के वस्त्र देना (अभी तो उनके पास बस उनके दु:ख ही हैं।) उन लोगों को ‘उत्तमता के वृक्ष’ का नाम देना; उन लोगों को यहोवा के अद्भुत वृक्ष की संज्ञा देना।”

जब प्रभु का आत्मा किसी पर होता है, तो इसका मतलब है कि परमेश्वर की उपस्थिति एक विशेष, व्यक्तिगत रूप से उनके साथ है । यह व्यक्ति जिसके विषय में यशायाह ने भविष्यवाणी की थी, उस पर परमेश्वर के विशेष कार्य करने की शक्ति देने के लिए प्रभु की आत्मा का अभिषेक होगा । परमेश्वर की आत्मा मुक्ति और न्याय दोनों को लाती है । परमेश्वर की आत्मा ने लाल समुद्र के माध्यम से इस्राएलियों को निकाला । उसने इस्राएलियों को बचाया, परन्तु मिस्र की सेना पर समुद्र को उसने बहा दिया I

परमेश्वर एक अभिषिक्त व्यक्ति को लाएगा जो महान दया के साथ आएगा । यह एक शानदार बात है कि ब्रह्मांड का परमेश्वर उन लोगों से दयावान प्रेम करता है जो दुखी हैं, बंधूआई में हैं और कैदियों से भी I लेकिन यह परमेश्वर प्रतिशोध का परमेश्वर भी है । वह उन सभी का न्याय करेगा  जो उसकी ओर नहीं फिरते हैं ।

यीशु की सेवा के शुरुआती दिनों में, उसने यहूदी मंदिरों में प्रचार करना शुरू किया I यहूदी मंदिर छोटे मंदिरों की तरह थे जहां यहूदी हर हफ्ते परमेश्वर की उपासना करने के लिए जाते थे । प्रत्येक जन उन बुद्धिमान और अद्भुत बातों के लिए यीशु की प्रशंसा करता था जो वह सिखाता था I वे सोचते थे कि शायद वह अभिषेक किया हुआ जन है I एक दिन, यशायाह के पदों के साथ एक पुस्तक यीशु को सौंपी गई थी जिसे हमने पढ़ा था I आराधनालय के सभी लोग यह सुनने के लिए प्रतीक्षा कर रहे थे कि वह यशायाह के इस पद के अनुसार अभिषिक्त के बारे में क्या कहेगा I इस्राएल राष्ट्र कई वर्षों से क्लेश भोग रहा था I  वे मसीह के आने की बाट जो रहे थे I क्या यह वही हो सकता है ? यीशु ने उस अध्याय को पढ़ा और कहा, "आज यह वचन आपकी सुनवाई में पूर्ण हुआ है।" यीशु यशायाह का अभिषेक किया हुआ था !

आदम और हव्वा के पतन मानव जाति पर गरीबी का भयानक अभिशाप ले आया था । पतन परमेश्वर के सभी प्राणियों के ऊपर बीमारी और विकृति और मौत भी लाया । जब यीशु, अभिषिक्त, आया, उसने दुखी और टूटे हुए दिलों को शान्ति दी I उसने बीमारों को चंगा किया और मरे हुओं को जी उठाया ! यीशु जहाँ भी गया, वह सत्य और चंगाई की शक्ति को लाया ! उसने अभिशाप की शक्ति को पलट दिया ! लेकिन पूरी तरह से पाप और मृत्यु पर विजय पाने के लिए, उसे दुःख और क्रूस पर चढ़ कर इसकी पूरी कीमत चुकानी पड़ी । दुनिया के पापों के विरुद्ध परमेश्वर का प्रतिशोध यीशु पर आया ।

एक दिन, यीशु, अभिषिक्त, एक बार फिर वापस आएगा । इस बार, वह उन सब का न्याय करेगा जो मुक्ति पाने के लिए उसकी ओर नहीं फिरे । वह पूरी तरह से शाप को दूर करेगा, और अब कोई भी गरीबी या बीमारी या मृत्यु नहीं होगी ! हम सब, इस्राएल के शेष लोग, यशायाह, मसीह के चेले और जो लोग सच्चे विश्वास के साथ प्रभु में विश्वास करते हैं, वे शरीर के साथ हमेशा के लिए परिवर्तित हो जाएंगे, और हम हमेशा के लिए यीशु के साथ रहेंगे !