पाठ 21: आशा का वादा

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यशायाह की पुस्तक में चालीस अध्याय के पहले पद बाबुल में बंधुओं को शान्ति प्रदान करने के लिए थे I परमेश्वर ने अपना वचन दिया कि वह उन्हें यरूशलेम वापस लाएगा, और उसकी उपस्थिति उनके साथ होगी ! अगले पद परमेश्वर के निविदा प्रेम और चिंता के बारे में बताते हैं I आपको मानना है कि परमेश्वर एक चरवाहे की तरह है, और मनुष्य उसकी भेड़ की तरह हैं I परमेश्वर चरवाहा अपनी भेड़ों को वापस घर ले जा रहा है;

 

“यहोवा अपने बाहु को काम में लायेगा

और अपनी भेड़ों को इकट्ठा करेगा।
यहोवा छोटी भेड़ों को उठाकर गोद में थामेगा, और उनकी माताऐं उसके साथ—साथ चलेंगी।”

 

 

कितना एक प्रेमी और उदार परमेश्वर है I यहां तक कि उन परिवारों को, जिनके पास बहुत छोटे बच्चे थे, उन्हें देश में लौटने के लिए लंबी यात्रा पर जाने से डरने की ज़रूरत नहीं थी । आश्चर्यजनक बात यह है कि यह दयालु परमेश्वर जो अपनी बाहों में बच्चों को रखता है, वह ब्रह्मांड में सबसे शक्तिशाली है I अगली आयतें दिखाती हैं कि परमेश्वर परमप्रधान वास्तव में कितना महान है;


“किसने अँजली में भर कर समुद्र को नाप दिया किसने हाथ से आकाश को नाप दिया
किसने कटोरे में भर कर धरती की सारी धूल को नाप दिया
किसने नापने के धागे से पर्वतों
    और चोटियों को नाप दिया यह यहोवा ने किया था!”


परमेश्वर इतना महान है कि उसका वर्णन करने के लिए कोई सामान्य तरीका नहीं है । उसकी शक्ति दिखाने का एकमात्र तरीका है कि उसकी तुलना धरती पर बड़ी चीजों से की जाए, लेकिन ये वस्तुएं भी उसकी तुलना में बहुत छोटी हैं I महासागर उसके हाथ में फिट हो सकते हैं ! वह धरती की सारी धूल को उठा सकता है उसे एक टोकरी में डाल सकता है ! यदि वह चाहता, तो वह पहाड़ों को उठा सकता है और उनको वजन के पैमाने पर रख सकता है ! वाह ! यदि परमेश्वर इतना शक्तिशाली है, तो उसके विशेष, चुने हुए लोगों को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं थी ! क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है कि वही परमेश्वर जो अपने हाथों में सभी महासागरों को पकड़ सकता है, वह परमेश्वर आपको उठाता है और अपने दिल के पास रखता है ? यह दिखाता है कि हम कितने मूल्यवान हैं, और उसका प्रेम कितना महान और भला है ! अगले पद कहते हैं;

 

“यहोवा की आत्मा को किसी व्यक्ति ने यह नहीं बताया कि उसे क्या करना था।
    यहोवा को किसी ने यह नहीं बताया कि उसे जो उसने किया है, कैसे करना था।
 क्या यहोवा ने किसी से सहायता माँगी?”

 

न केवल परमेश्वर महान और शक्तिशाली है, वह सब कुछ जानता है ! परमेश्वर को किसी की सहायता या सलाह की आवश्यकता नहीं है क्योंकि वह पहले से ही हर बात को गहराई से समझता है । वह चारों ओर देख सकता है और सत्य को पूरी तरह देख सकता है । वह प्रत्येक विचार और प्रत्येक पाप के विषय में, जो किये हैं, जानता है । वह हर उस व्यक्ति को देखता है जो प्रेम करता है, चोट खाता है, या क्रोधित होता है I वह उन सब बातों को जानता है जो भविष्य में मानव इतिहास में घटेंगी, और जो अतीत में हुआ उसे स्मरण रखता है I वह प्रत्येक घास को जानता है जो किसी समय धरती में उगी थी !

 

“देखो, जगत के सारे देश घड़े में एक छोटी बूंद जैसे हैं।
    यदि यहोवा सुदूरवर्ती देशों तक को लेकर अपनी तराजू पर धर दे, तो वे छोटे से रजकण जैसे लगेंगे।”

 

यहां तक कि दुनिया के महान राष्ट्र परमेश्वर की तुलना में छोटे  हैं । वह उन्हें ऊपर उठाने या उन्हें नष्ट करने के योग्य है ! वे ऐसा कुछ भी नहीं कर सकते जब तक परमेश्वर अनुमति नहीं देता । यदि राष्ट्रों और उनके राजा भी परमेश्वर की महानता की तुलना में कुछ नहीं हैं, तो क्या बचा है ? क्या उसके जैसे अन्य देवता हैं ? इस्राएल का परमेश्वर मूर्तियों के बारे में कहता है;

 

“क्या तुम परमेश्वर की तुलना किसी भी वस्तु से कर सकते हो नहीं! क्या तुम परमेश्वर का चित्र बना सकते हो नहीं!
कुन्तु कुछ लोग ऐसे हैं जो पत्थर और लकड़ी की मूर्तियाँ बनाते हैं और उन्हें देवता कहते हैं।
    एक कारीगर मूर्ति को बनाता है।
    फिर दूसरा कारीगर उस पर सोना मढ़ देता है और उसके लिये चाँदी की जंजीरे बनता है!”

 

अन्यजातियों के अन्य देवता इस्राएल के परमेश्वर के आगे अर्थहीन हैं I उसने पूरे ब्रह्मांड को बनाया और हर इंसान को जीवन प्रदान किया । लेकिन वे मूर्तियाँ मनुष्यों के हाथों द्वारा बनाई गई हैं I पेड़ों से लकड़ियों को काटकर झूठी मूर्तियों को बनाया गया है, लेकिन परमेश्वर ने पेड़ों को बनाया है ! मूर्तियों को प्रतिष्ठित बनाने के लिए उन्होंने लकड़ी को सोने से ढँक दिया, लेकिन वे फिर भी लकड़ी की ही बनीं थीं ! उन मूर्तियों को सबसे उच्च परमेश्वर से तुलना नहीं कर सकते जो शक्तिशाली और विश्वासयोग्य है । यहां तक कि सितारों को भी परमेश्वर संभालता है !                                                                              

 

“क्या तुम किसी से भी मेरी तुलना कर सकते हो नहीं!
    कोई भी मेरे बराबर का नहीं है।”

ऊपर आकाशों को देखो।
    किसने इन सभी तारों को बनाया
किसने वे सभी आकाश की सेना बनाई
    किसको सभी तारे नाम—बनाम मालूस हैं
सच्चा परमेश्वर बहुत ही सुदृढ़ और शक्तिशाली है
    इसलिए कोई तारा कभी निज मार्ग नहीं भूला।”

 

कुछ लोग सितारों की पूजा करने में मोहक हो सकते हैं क्योंकि वे बहुत सुंदर हैं I अन्य लोग अपने भाग्य को सितारों से जानने का प्रयास करते हैं I लेकिन परमेश्वर कहता है उसने तारों को वहां रखा है, वे उसके सौंदर्य के महान काम हैं । यदि परमेश्वर सितारों को भी बना सकता है, तो उसकी कला और नियंत्रण के बाहर कुछ भी नहीं है ।

 

चूंकि परमेश्वर इतना शक्तिशाली है, उसके द्वारा प्रेम करने वालों को किसी भी बात से डरने की आवश्यकता नहीं है । परन्तु परमेश्वर हर उस व्यक्ति के हृदय को जानता है जिससे वह प्रेम करता है I वह जानता है जब वे डरते हैं I वह जानता है कि हमें भी कब डर लगता है । इन अगले पदों में, परमेश्वर अपने बच्चों को याद दिलाता है कि वह शक्तिशाली और पराक्रमी है, और वह उन सब को शक्ति देता है जो उसमें आशा रखते हैं;

  “सचमुच तूने सुना है और जानता है कि यहोवा परमेश्वर बुद्धिमान है।
    जो कुछ वह जानता है उन सभी बातों को मनुष्य नहीं सीख सकता।
यहोवा कभी थकता नहीं,
    उसको कभी विश्राम की आवश्यकता नहीं होती।
यहोवा ने ही सभी दूरदराज के स्थान धरती पर बनाये।
    यहोवा सदा जीवित है।
 यहोवा शक्तिहीनों को शक्तिशाली बनने में सहायता देता है।
    वह ऐसे उन लोगों को जिनके पास शक्ति नहीं है, प्रेरित करता है कि वह शक्तिशाली बने।
 युवक थकते हैं और उन्हें विश्राम की जरुरत पड़ जाती है।
    यहाँ तक कि किशोर भी ठोकर खाते हैं और गिरते हैं।
 किन्तु वे लोग जो यहोवा के भरोसे हैं फिर से शक्तिशाली बन जाते हैं।
    जैसे किसी गरुड़ के फिर से पंख उग आते हैं।
ये लोग बिना विश्राम चाहे निरंतर दौड़ते रहते हैं।
    ये लोग बिना थके चलते रहते हैं।”

 

 परमेश्वर ने वादा किया है कि ऐसे समय में भी जहां परमेश्वर के लोग थके हुए और ऊबे हुए होते हैं, परमेश्वर उन्हें उक़ाब की तरह शक्ति देगा ताकि वे उड़ सकें ! उसने वादा किया है कि वह उन्हें अपने हृदय के करीब बनाए रखेगा, वह उन्हें यरूशलेम जाने के लिए अगुवाई करेगा, वह उन्हें शक्ति देगा । क्या आपने देखा है कि इस पूरे अध्याय में, केवल एक चीज है जो परमेश्वर अपने लोगों के लिए मांगता है ? वह बदले में केवल उनके विश्वास को चाहता है । वह चाहता है कि वे उस पर भरोसा करें और उस प्रेम को दिखाएँ जो उसने उनसे किया है I हम उस पर विश्वास करके स्वयं को सुरक्षित बनाते हैं !

 

उपरोक्त अंतिम पदों में, परमेश्वर ने वादा किया है कि जो लोग भरोसेमंद तरीके से परमेश्वर के रास्ता को तैयार करने की प्रतीक्षा करते हैं, वे परिवर्तित होंगे । वे दृढ़ होंगे । वह यह नहीं कहता कि यह आसान होगा । किसी महत्वपूर्ण बात के लिए परमेश्वर की प्रतीक्षा करना कठिन है ! लेकिन निर्वासन में यहूदियों की तरह, हम विश्वास की प्रतीक्षा कर सकते हैं कि परमेश्वर के पास एक योजना है I वह शक्तिशाली है और इसे करने में सक्षम है, और यह उन सभी के लिए एक अद्भुत आशीष है जिनकी आशा उसके ऊपर है ! वह इतना भव्य है कि वह असफल नहीं हो सकता !