पाठ 20: अति उच्च परमेश्वर के सुख
यशायाह की किताब से पता चलता है कि इस्राएल के लोगों ने परमेश्वर के विरुद्ध कैसे विद्रोह किया था I यहां तक कि राजा हिजकिय्याह, जिसने मंदिर को बहाल किया था और मूर्तियों को तोड़ दिया था, उसने अपना भरोसा बाबुल राष्ट्र पर रखा I यशायाह ने हिजकिय्याह को भविष्यवाणी दी थी कि बाबुल एक दिन यहूदा को जीतकर इस्राएल के लोगों को निर्वासन में ले जाएगा । क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि वह कैसा होगा ?
परमेश्वर अति पवित्र है, और उसका न्याय हमेशा सही होता है । लेकिन वह करुणा और दया का परमेश्वर भी है, और वह हमेशा आशीषें देना चाहता है । यहां तक कि कठिन न्याय भी उन लोगों के लिए आशीष का कारण होगा जो अपने दिलों को परमेश्वर की ओर मोडेंगे । अध्याय 39 में, यशायाह को हिजकिय्याह को यह सच बताना पड़ा- यहूदा का राष्ट्र नष्ट होगा । लेकिन अगले अध्याय में, वह उन्हें परमेश्वर के बचाने की योजना के बारे में बताता है । निर्वासन का दुखद समाचार आनंद में बदल जाता है I उनकी पूरी यात्रा में, उनके शुद्धिकरण के भयानक समय और बहाली के अद्भुत समय के दौरान, वे परमेश्वर के हाथ में थे ! जो कुछ दुनिया में हो रहा था, उनकी शांति और आशा वहां से नहीं थी । उनकी शांति यह थी कि ब्रह्मांड में सबसे शक्तिशाली जन उन्हें एक भव्य, अविरत, पिता के प्रेम जैसा प्रेम दे रहा था I वे इस बात पर पूरा भरोसा कर सकते थे कि वह उन्हें अपनी ओर खींचने के लिए बना रहा था ।
यशायाह के चालीस अध्याय में, हम परमेश्वर के उस आशा के महान संदेश के विषय में पढ़ते हैं जो उसने बाबुल में यहूदियों को दिया था I आइये इसे एक साथ पढ़ें;
“चैन दे, चैन दे मेरे लोगों को!
तू दया से बातें कर यरूशलेम से!
यरूशलेम को बता दे,
‘तेरी दासता का समय अब पूरा हो चुका है।
तूने अपने अपराधों की कीमत दे दी है।’
यहोवा ने यरूशलेम के किये हुए पापों का दुगना दण्ड उसे दिया है!”
आपको क्या लगता है कि परमेश्वर यहाँ क्या कह रहा था ? उसने कहा, "मेरे लोगों को शान्ति दो ।" वे क्यों उदास थे ? वे दुखी हैं क्योंकि वे निर्वासन में थे । वे इस्राएल के पाप के कारण सज़ा भोग थे ! प्रति वर्ष परमेश्वर के लोग मूर्तियों के आगे झुकते रहे और अन्य देवताओं के सामने बलिदान चढ़ाते थे I उन्होंने उसके नियमों का पालन नहीं किया और ना ही उसके वाचागत वादों का सम्मान किया था I वे नैतिक गंदगी का एक राष्ट्र बन गए थे । परमेश्वर उन्हें बंधूआई के माध्यम से शुद्ध करना चाहता था I लेकिन परीक्षण का समय हमेशा के लिए नहीं होगा I परमेश्वर अपने लोगों के पास अपने दूत को भेजेगा...एक समय आएगा जब उनकी सज़ा लगभग समाप्त हो जाएगी ! वे शान्ति पा सकेंगे ! उन्होंने अपनी गलातियों के लिए कीमत दोगुना चुकाई थी । उसने इस संदेश को कितने प्रेम से बताया ! वह उन्हें प्रेम के साथ गले लगाना चाहता था !
“एक व्यक्ति का ज़ोर से पुकारना
“यहोवा के लिये बियाबान में एक राह बनाओ!
हमारे परमेश्वर के लिये बियाबान में एक रास्ता चौरस करो!
हर घाटी को भर दो।
हर एक पर्वत और पहाड़ी को समतल करो।
टेढ़ी—मेढ़ी राहों को सीधा करो।
उबड़—खाबड़ को चौरस बना दो।
तब यहोवा की महिमा प्रगट होगी।
सब लोग इकट्ठे यहोवा के तेज को देखेंगे।
हाँ, यहोवा ने स्वयं ये सब कहा है।”
वाह। ये सब बातें परमेश्वर के मुंह से निकलती हैं । याद रखें, परमेश्वर के बोलने के द्वारा पूरे ब्रह्मांड की सृष्टि हुई थी I उसने कहा, "प्रकाश हो" और प्रकाश हो गया । जब परमेश्वर बोलता है, सब कुछ हो जाता है ! अब परमेश्वर घोषणा कर रहा है कि एक रास्ता तैयार किया जाना चाहिए, एक रास्ता परमेश्वर के लिए बनाया जाना चाहिए ताकि वह अपने लोगों का बचाव करने के लिए आ सके । यह बचाव इतना महत्वपूर्ण था कि ऐसा होने के लिए हर बाधा को दूर करना था...पहाड़ स्वयं चपटे होंगे और घाटियों को परमेश्वर के लिए रास्ता तैयार करने के लिए भर दिया जाएगा । और क्योंकि परमेश्वर ने यह कहा था, बाबुल से उनके लोगों का बचाव उतना ही निश्चित था जितना कि आकाश में सितारे ।
क्या परमेश्वर को वास्तव में किसी को अपने लोगों तक पहुँचने के लिए एक सड़क बनाने की ज़रूरत है ? बिलकूल नही ! लेकिन परमेश्वर के लोगों को अपने प्रभु के आने के लिए अपने दिलों को तैयार करने की जरूरत है ! परमेश्वर पूरी दुनिया को उसकी महिमा दिखाएगा जब उसके लोग वादे के देश में वापस लौटते हुए खुशी के साथ चिल्लाते हैं । पूरी दुनिया जान जाएगी कि इस्राएल के परमेश्वर ने क्या किया था ।
आगे ऐसा होता है;
“एक वाणी मुखरित हुई, उसने कहा, “बोलो!”
सो व्यक्ति ने पूछा, “मैं क्या कहूँ” वाणी ने कहा, “लोग सर्वदा जीवित नहीं रहेंगे।
वे सभी रेगिस्तान के घास के समान है।
उनकी धार्मिकता जंगली फूल के समान है।
एक शक्तिशाली आँधी यहोवा की ओर से उस घास पर चलती है,
और घास सूख जाती है, जंगली फूल नष्ट हो जाता है। हाँ सभी लोग घास के समान हैं।
घास मर जाती है और जंगली फूल नष्ट हो जाता है।
किन्तु हमारे परमेश्वर के वचन सदा बने रहते हैं।”
वाह। आपको समझ में आया ? परमेश्वर यहाँ कहता है कि फूलों और घास की जिंदगी और मृत्यु भी उसके हाथ में है । यदि पौधे परमेश्वर के लिए इतने महत्वपूर्ण हैं, तो मनुष्यों का जीवन और मृत्यु कितने महत्वपूर्ण हैं ! और इस तरह के एक उच्च और महान परमेश्वर के लिए, जिसके हाथ में सारा इतिहास है, मनुष्य घास के समान है I हम आते हैं और चले जाते हैं I राष्ट्र उठते और गिरते हैं I परन्तु परमेश्वर का वचन, जो कुछ भी वह कहता है, सत्य है, हमेशा के लिए सच्चा रहेगा । उसका वचन कभी विफल नहीं होता है I यह निर्वासियों के लिए बहुत ही शान्तिदायक होगा । यह हमें भी शान्ति देता है ! परमेश्वर ने वादा किया था कि वह उन्हें घर लाएगा, और परमेश्वर कभी अपना वचन नहीं तोड़ता है I
अब हम अगले भाग को पढ़ते हैं । यह उस उत्साहित उत्सव के बारे में है, जब परमेश्वर और उसके लोग देश में लौटते हैं;
“हे, सिय्योन, तेरे पास सुसन्देश कहने को है,
तू पहाड़ पर चढ़ जा और ऊँचे स्वर से उसे चिल्ला!
यरूशलेम, तेरे पास एक सुसन्देश कहने को है।
भयभीत मत हो, तू ऊँचे स्वर में बोल!
यहूदा के सारे नगरों को तू ये बातें बता दे: “देखो, ये रहा तुम्हारा परमेश्वर!”
मेरा स्वामी यहोवा शक्ति के साथ आ रहा है।
वह अपनी शक्ति का उपयोग लोगों पर शासन करने में लगायेगा।
यहोवा अपने लोगों को प्रतिफल देगा।”
कल्पना कीजिए कि आप और आपका परिवार कितना आनंदित होता यदि आप उस देश में वापस लौट रहे होते जिसे देने का परमेश्वर ने अपने लोगों को वादा किया था I परमेश्वर के लोग, घर लौटने के लिए, सत्तर साल तक बाबुल में रहे I बच्चों ने यरूशलेम और मंदिर की कहानियों को सुना था, लेकिन उन्होंने कभी इसे नहीं देखा था । यहाँ आश्चर्यजनक समाचार यह है कि वे अकेले यरूशलेम वापस नहीं जाएंगे । परमेश्वर की उपस्थिति उनके साथ चल रही थी ! एक अद्भुत समय होगा जब परमेश्वर आखिरकार उन्हें वापस ला रहा होगा ! लोग कूदते और आनंद से चिल्ला रहे थे ! उन्होंने उसकी भलाई की गवाही और घोषणा पहाड़ों की चोटियों के ऊपर से की !