पाठ 8 : मानवता का चुनाव
परमेश्वर ने पहले मनुष्य को एक विकल्प दिया था। वह परमेश्वर किआज्ञाओं को अपने निरंतर प्रेम और भक्ति द्वारा दिखा सकता था। हर दिन, जब तक वह परमेश्वर द्वारा वर्जित फल को नज़रअंदाज़ करता था, परमेश्वर के प्रति उसकी आज्ञाकारिता चमकती रही जो उसके पहले प्रेम को दर्शाता था। वह परमेश्वर के निरंतर आशीषों को जीता रहेगा और परमेश्वर द्वारा चुने हुए राजा के समान इस अद्बुद्ध संसार में राज करेगा। परमेश्वर उसे फलवन्त करेगा और उसकी औलाद पूरे संसार में फ़ैल जाएगी।
इसके बारे में सोचो! मानवता का अर्थ यह नहीं था कि वह पूरे दिन कुछ ना करे और यूं ही अपने समय को बेकार करे। हमें आज्ञाकारिता में दृड़, और शक्तिशाली बने रहने के लिए बनाया गया ताकि पूरे भ्रमांड के क्रम और तरीकों को बनाए रखें। परमेश्वर ने हमें एक उद्देश्य से बनाया और वो सब उत्तम चीज़ें हमें दीं की हम उनके अनुसार करें। यह सब आदम को दिया गया था। उसे यह सब अपने बच्चों के लिए तैयार करने के लिए दिया गया था।
नहीं तो आदम उस आज्ञाकारिता की सीमा को पार कर अपने पवित्र परमेश्वर की अवहेलना कर सकता था। जो फल परमेश्वर ने अपनी बुद्धि और प्रेम में होकर आदम को नहीं खाने की आज्ञा दी थी, वह उसे भी खा सकता था। अपने अविश्वास और अहंकार के द्वारा वह सर्वशक्तिमान परमेश्वर का तिरस्कार कर सकता था। वह अपने प्रभु से दूर दूर होकर उसके साथ उसका सही बंधन तोड़ सकता था।
परमेश्वर ने यह स्पष्ट कर दिया था कि सब कुछ समाप्त हो सकता था। आदम पहले से ही जानता था कि क्या होगा यदि वह आज्ञा नहीं मानेगा। परमेश्वर के आशीर्वाद के विपरीत सब कुछ एक भयानक अभिशाप के रूप में आ जाएगा। फिर आदम क्या फैसला करेगा? आप क्या करेंगे?
परमेश्वर ने जहां आदम को एक सीमा दी, वहां उसने उसे सबसे भव्य उपहार भी दिया। परमेश्वर ने देखा किआदम बिल्कुल अकेला है।
परमेश्वर ने कहा,“मैं समझता हूँ कि मनुष्य का अकेला रहना ठीक नहीं है। मैं उसके लिए एक सहायक बनाऊँगा जो उसके लिए उपयुक्त होगा।”
(उत्पत्ति 2:18)
क्या यह आश्चर्यजनक नहीं कि जिस परमेश्वर ने ग्रहों की रचना की वह पहले मनुष्य के अकेलेपन को भी देख सके? परमेश्वर महान, शक्तिशाली और मनुष्य की हर कल्पना से परे है। वह बहुत करीब है और हर एक हृद्य के छिपे गहरे रहस्य को जानता है। कितना एक अद्भुत परमेश्वर है! क्या आप यह विश्वास करते हैं की परमेश्वर आपके दिल की हर गहरी बात को जानता है?
परमेश्वर आदम के पास हर पृथ्वी पर चलने वाले पशु को ले आया। परमेश्वर ने सितारे और आकाश और दिन और रात को नाम दे दिया था, और वह हर समय उन पर शासन करेगा। अब परमेश्वर ने आदम को सभी जानवरों के नामकरण की भूमिका दी। उन पर राज्य करने के द्वारा मनुष्य परमेश्वर कि सेवा करेगा।
आदम ने सभी जंगल में घूमने वाले पक्षियों और पशुओं और सभी प्राणियों को नाम दिया। उस प्रदर्शन कि कल्पना कीजिए! यह देखना कितना अद्बुद्ध है की बाघ, भालू, और राजहंस पहले मनुष्य के पास स्वयं आये। इन आकर्षक और अद्भुत प्राणियों पर राज करना कितना शाही और आनंदमय दृश्य है। यह तो स्पष्ट था की चाहे कितने भी कोमल या भयानक ये जानवर थे, वे मनुष्य के सच्चे साथी नहीं बन सकते थे। उनमें से कोई भी परमेश्वर कि छवि में बनाये गए मनुष्य के सच्चे साथी नहीं बन सकते थे। आदम कितना अकेला पढ़ गया था। उनमें से कोई भी उसके लिए सही नहीं लग रहा था!
परमेश्वर पहले से ही जानता था की ऐसा होगा और इसीलिए उसके पास एक योजना थी। परमेश्वर चाहता था की मनुष्य यह सीखे की अकेलापन क्या होता है। उसके लिए यह समझना महत्वपूर्ण था की जो उपहार परमेश्वर उसे देने जा रहे थे उसकी उसे सख्त ज़रुरत है। परमेश्वर उसके अंदर इस चाहत की भूख को बना रहे थे ताकि जब वह उसे पाए तो वह कृतज्ञता और प्रशंसा से भर जाये।
परमेश्वर आदमको एक सुंदर साथी देने जा रहा था जो उसकी हर आवश्यकता को पूरी करे। वह उसे अकल्पनीय खुशी और आनंद देगी।
परमेश्वर ने आदम को गहरी नींद में सुला दिया और जब वह सो रहा था, परमेश्वर ने आदम के शरीर से एक पसली निकाल ली। तब परमेश्वर ने आदम किउस त्वचा को बन्द कर दिया जहाँ से उसने पसली निकाली थी। वह परमेश्वर कि अंतिम रचना थी, और वह आदम के हृदय में एक अनमोल अनुग्रह को लाएगी। परमेश्वर ने आदम कि पसली से स्त्री कि रचना की। तब परमेश्वर उस स्त्री को आदम के पास लाया। और आदम ने कहा,
“अन्तत! हमारे समाने एक व्यक्ति।
इसकी हड्डियाँ मेरी हड्डियों से आईं
इसका शरीर मेरे शरीर से आया।
क्योंकि यह मनुष्य से निकाली गई,
इसलिए मैं इसे स्त्री कहूँगा।” उत्पत्ति 2:23
उसने अपनी पत्नी का नाम "हव्वा" रखा। उसका नाम आदम के नाम से निकला। उसने उसे अपना ही नाम दे दिया। बाइबिल में जब किसी को एक नाम दिया जाता है, तो वह उसके विषय में बहुत कुछ महत्वपूर्ण बात बताता है। यह एक अटूट उपहार है। जो नाम मनुष्य ने दिया वह उसके अपनी पत्नी के बीच गहरी और स्थायी सम्बन्ध को दिखाता है। उनके नाम उनके बीच के गहरे सम्बन्ध के कारण नामित किये गए। और इस प्यार की बड़ी उम्मीद और अच्छाई को वे एक साथ उपहार के रूप में अन्य लोगों के साथ साझा करेंगे।
इस आदम और हव्वा के विषय में जो भी समझ सकता है वह उनके प्यार और प्रतिबद्धता को दर्शाता था। बाइबिल में, हर एक व्यक्ति के बारे में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि वे प्रेम कैसे करते थे। सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी की वे किस तरह परमेश्वर से और आपस में प्रेम करते हैं। आदम और हव्वा आत्मा में एक हो गए थे, और एक दूसरे के लिए उनका प्यार और भक्ति दुनिया को आशीष देने के लिए अपनी क्षमता का एक बुनियादी हिस्सा था।
बाइबिल कहती है, "इसलिए पुरुष अपने माता—पिता को छोड़कर अपनी पत्नी के साथ रहेगा और वे दोनों एक तन हो जाएंगे।" परमेश्वर ऐसा क्यूँ कहेंगे? क्या आदम और हव्वा के माँ और पिताजी थे? नहीं! वे हर किसी के माता और पिता थे। परमेश्वर मानव जीवन में प्राथमिक रिश्ते के बारे में
उनका उदहारण दूसरों के संबंध स्थापित करना चाहता था।
एक माँ या पिता और उनके बच्चे के बीच प्यार बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन शादी का रिश्ता मानव जाति के लिए परमेश्वर द्वारा ठहराई गयी योजना थी। यह उसकी रचना की चरम बिंदु थी। जिस प्रकार परमेश्वर पिता और परमेश्वर पुत्र और पवित्र आत्मा के रूप में निरंतर प्रेम और एकता में बंधे हुए हैं ठीक वैसे ही एक पति और पत्नी के बीच का प्यार एक आदर्श था। उन्हें अपने रिश्ते कि एकता के माध्यम से परमेश्वर की छवि को प्रतिबिंबित करना था। शादी और एक आदमी और उसकी पत्नी के बीच प्यार, पवित्र महत्व के बंधन ब्रह्मांड की संरचना में जड़ा हुआ था।
जिस प्रकार एक आदमी और एक औरत शादी के बंधन में बंध जाने से वे नए व्यक्ति बन जाते हैं, उसी तरह परमेश्वर उन्हें एक नई सृष्टि बनने के लिए उनमें से प्रत्येक को बदल देता है। वे एक हैं। वे एक बदन हैं। एक दूसरे के लिए उनका प्रेम परमेश्वर कि छवि को प्रतिबिंबित करने के लिए बनाया गया है। और उनके प्यार के माध्यम से, परमेश्वर नया जीवन, नई आत्माओं को पैदा करेगा जो उसकी छवि को प्रकट करेंगे। माता पिता के रूप में, उन्हें अपने बच्चों को परमेश्वर की सामर्थ में बढ़ाना है ताकि वे परमेश्वर के वो अद्बुद्ध साथी बन सकें जिसके लिए उसने उन्हें बनाया।
यह अद्भुत उपहार केवल पहले मनुष्य और स्त्री तक सीमित नहीं था। यह सृष्टि का उपहार उनके वंशज के लिए भी था। एक दूल्हे और उसकी दुल्हन के बीच का हमें वापस आदन कि वाटिका में ले जाता है जो उस प्रेम को याद दिलाता है जो परमेश्वर ने मानवजाति के लिए पेश किया था। पहले पति और पहली दुल्हन आदर्श एकता में एक साथ शामिल हो गए, और उन दोनों के बीच कोई शर्म या शर्मिंदगी नहीं थी। वे अपने बगीचे में परमेश्वर के सामने एक दूसरे से अपने प्यार को अपने तन के द्वारा पूरी शुद्धता में दे पाये।
परमेश्वर की कहानी पर अध्ययन।
जब हम परमेश्वर के बारे में सोचते हैं तो उसे एक सिद्ध रूप में सोचते हैं। लेकिन हम उसे परमेश्वर पिता, परमेश्वर पुत्र, और पवित्र आत्मा के रूप में सोचते हैं। वे त्रिएक कहलाते हैं। वे एक हैं जो एकता में सिद्ध हैं, परन्तु वे तीन कहलाते हैं। यह हमारी समझ से परे है। दूसरों के लिए त्रिएकता के बीच का प्रेम बहुत ही अद्बुद्ध और संवेदनशील है। वास्तव में, परमेश्वर पिता और पुत्र के बीच के प्रेम को देख सकते हैं जब पुत्र अपने पिता का आज्ञा पालन करने के लिए कुछ भी करता है। हम जानते हैं की यीशु ही उसका पुत्र है क्योंकि उसने पृथ्वी पर आकर अपने पिता के प्रति अपनी आज्ञाकारिता को दिखाया। यही प्रेम कि अपेक्षा परमेश्वर ने आदम और हव्वा से भी की। क्या परमेश्वर कियोजना सुंदर नहीं थी?
मेरी दुनिया, मेरा परिवार और स्वयं पर लागू करना।
त्रिएक परमेश्वर एक दूसरे के साथ एक प्रेममय रिश्ते में रहते हैं। यही प्रेम और एकता परमेश्वर चाहता है कि उसके बच्चे एक दूसरे के साथ रखें। कुछ पल के लिए शांत रहें। परमेश्वर से मांगें की वह आपको और अधिक प्रेम करना सिखाये। उससे प्रार्थना करें की वो उस प्रेम को दिखाए जिसे आपने अस्वीकार किया है। यदि आप चाहें तो आप उसे बाँट सकते हैं। क्या कोई है जिससे आपको क्षमा मांगने की ज़रुरत है? अपने प्रेम को दिखाने के लिए क्या आज आप कुछ विशेष करना चाहेंगे?
हमारे जीवित परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर।
इस वचन को याद करने के लिए एक पल बिताएं।
"सम्पूर्ण मन से, सम्पूर्ण आत्मा से और सम्पूर्ण बुद्धि से तुझे अपने परमेश्वर प्रभु से प्रेम करना चाहिये।” यह सबसे पहला और सबसे बड़ा आदेश है। फिर ऐसा ही दूसरा आदेश यह है: ‘अपने पड़ोसी से वैसे ही प्रेम कर जैसे तू अपने आप से करता है।’
मत्ती 22: 37-39
आप इसे लिख लेना चाहते हों ताकि यह आपके साथ बनी रहे।