पाठ 77 : उत्पत्ति की समीक्षा: बाइबल कैसे पढ़ें
उत्पत्ति में जो हमने सीखा उसकी बड़ी तस्वीर को एक साथ याद करें। मानव जाति के लिए परमेश्वर की एक अद्भुत योजना है। परमेश्वर ने उनके लिए सौंदर्य और ज्योति का एक ब्रह्मांड बनाया, और एक आदर्श वाटिका में दो जीवित पहले दो मनुष्यों को रखा। उनको अपनी छवि में बनाया। उसने उन्हें इसीलिए बनाया ताकि वह उनसे प्रेम कर सके और वे भी एक निकट संबंध में होकर उससे वापस प्रेम कर सकें। वह पूरी तरह से उनके पूर्ण विश्वास का हक़दार था।
जब आदम और हव्वा ने उस वर्जित फल को खाया, तो उन्होंने परमेश्वर के तरीकों को अस्वीकार कर दिया। अपने सृजनहार को शुद्धता और भय के साथ श्रद्धायुक्त भक्ति देने के बजाय उन्होंने उसके रास्तों का अवमानना के साथ व्यवहार किया। उन्होंने शैतान की बात सुनी और परमेश्वर किसच्चाई पर सवाल उठाया। फिर उन्होंने ऐसा दर्शाया जैसे की वे अपने निर्माता से अधिक जानते हैं कि उनके लिए क्या अच्छा है। उन्होंने फल के एक टुकड़े के लिए ब्रह्मांड के राजा के साथ सिद्ध और पूर्ण रिश्ते को धोखा दिया!
आदम और हव्वा को परमेश्वर के बगीचे को छोड़ना पड़ा, लेकिन परमेश्वर ने उन्हें ज़बरदस्त अनुग्रह दिया। इसके बजाय किमानवता को नष्ट करे और बुराई और पाप के कारण होने वाली भयानक मुसीबतों को नष्ट करे, परमेश्वर मानव जाति के साथ लगा रहा। उसने आदम और हव्वा को औलाद देकर आशीषित किया, यह जानते हुए कि स्वयं परमेश्वर को इसकी कीमत चुकानी होगी। एक दिन, उसके अपने ही पुत्र को दुख उठाकर मरना होगा ताकि शाप से उन्हें मुक्ति दिला सके।
आदम और हव्वा के भी कई बच्चे थे, और सैकड़ों वर्ष के बाद, हज़ारों हज़ारों प्रजाएं हुईं। इन लोगों ने वही पापी स्वभाव अपनाया जो आदम और हव्वा अपने ऊपर लाये थे, और लोग भयानक अवज्ञा में डूबते चले गए। परमेश्वर ने नूह को एक जहाज़ बनाने की आज्ञा दी। वह एक बार फिर इस सिद्ध मनुष्य के माध्यम से मानव जाति की शुरुआत करना चाहता था। और फिर नूह ने जहाज़ को बनाया। जब बारिश आई, पृथ्वी के सभी लोग उस पराक्रमी मूसलधार बारिश में डूब गए। पृथ्वी पाप के प्रदूषण से धुल गई। लेकिन नूह और उसका परिवार बच गया। मानवता और जानवर जिनके ऊपर उनको शासन करना था वे विलुप्त होने से बच गए।
नूह के परिवार से, हजारों लोग पूरी पृथ्वी पर भर गए। जिसप्रकार परमेश्वर वाटिका में आदम और हव्वा के साथ था, पृथ्वी के लोगों के लिए परमेश्वर की विशेष योजना थी जिससे कि वे उसके करीब आ सकें और उसे जान सकें। सो उन हज़ारों लोगों में से परमेश्वर ने एक बहुत ही विशेष व्यक्ति को चुना। और नूह के समान, परमेश्वर इब्राहीम के परिवार को पूरे मानवजाति को बचाने के लिए उपयोग करेगा। इब्राहीम के बच्चे इतने बढ़ जाएंगे की वे अपना ही राष्ट्र बन जाएंगे। और यह देश परमेश्वर के सामने एक विशेष स्थान पाएगा। वे उसके पुरोहित राष्ट्र होंगे। वे मानव जाति को परमेश्वर की आराधना करना सिखाएंगे। वे मानव जाति को सिखाएंगे की वह कौन है और इस दुनिया में क्या कर रहा है।
जब भी हम पवित्र शास्त्र को पढ़ते हैं तो याद करने के लिए कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण बातें हैं। सब से पहले, हम पूरी तरह से मान सकते हैं की पूरी बाइबल स्वयं परमेश्वर से प्रेरित है। वे अपने लोगों के लिए परमेश्वर के शब्द हैं। लेकिन जो वह कहना चाहता था उसे लिखने के लिए परमेश्वर ने अपने मानव सेवकों का इस्तेमाल किया। अक्सर, एक लेखक दूसरे से बहुत अलग होता है। प्रत्येक का एक अलग व्यक्तित्व होता है और अक्सर वे इतिहास में अलग अलग समय से होते हैं। वे परमेश्वर का सही वचन अभी भी दे रहे थे, लेकिन परमेश्वर ने उन्हें यह व्यक्त करने के लिए अपनी आवाज़ का उपयोग करने का विशेषाधिकार दिया!
यह याद रखना महत्वपूर्ण है की बाइबल में लेखन विभिन्न प्रकार के होते हैं। बाइबिल में सुन्दर कविता भजन संहिता के रूप में दी गई है।इंजील के कुछ वर्गों में भविष्वाणियां दी गयी हैं जिनके द्वारा परमेश्वर ने अपने वफ़ादार सेवकों को पेशीनगोई के द्वारा प्रकाशित किया।भविष्यवाणी वचन में सब जगह पाई जाती है, परन्तु ये विशेष रूप से यशायाह और यिर्मयाह और अमोस जैसे नबियों द्वारा लिखे गए हैं। बाइबिल में लेखन का एक अन्य प्रकार ऐतिहासिक आख्यान कहा जाता है। ये इतिहास की सच्ची कहानियां हैं जो परमेश्वर के उन कामों का वर्णन करते हैं जो वह पृथ्वी पर करते आया है। उत्पत्ति का अधिक्तर भाग ऐतिहासिक कथा थी।
बाइबिल के एक वर्ग का अध्ययन करते समय हमें एक और बहुत महत्वपूर्ण बात को याद रखना है। जहां हमारे लिए पढ़ने के लिए बाइबल का हर वर्ग महत्वपूर्ण है, लिखते समय लेखकों के विचार हमारे लिए नहीं थे। वे उन लोगों के विषय में थे जो वहां उपस्थित थे, और उन का संदेश विशेष रूप से उन लोगों के लिए था। इस सन्देश को समझने के लिए, हमारे लिए यह समझना आवश्यक है की ये सन्देश किसके लिए हैं और वे क्यूँ लिखे गए हैं। तभी हम सही मायने में उनके संदेश को समझ सकते हैं। इसी प्रकार से हम जान पाते हैं की परमेश्वर अपने बारे में मानवता को क्या सिखाना चाहता है।
मूसा ने बाइबिल की पहली पांच किताबें लिखीं जो टोरा कहलाती हैं। उत्पत्ति, निर्गमन, लैव्यव्यवस्था, गिनती और व्यवस्थाविवरण मानव इतिहास की कहानी को उस समय तक की बताते हैं जब इस्राएली वादे के देश में चले गए। मूसा के सन्देश को सुनने वाले इस्राएल के लोग थे जिनके सामने वादे के देश में प्रवेश करने किचुनौती थी। पहले से ही वहाँ उपस्थित पापी देशों के विरुद्ध युद्ध में जाने का यह उनका भाग्य था। कहानी में, उनके माता-पिता पहले से ही परमेश्वर पर भरोसा करने में विफल रहे थे। परमेश्वर ने लाल सागर को उनके लिए अलग करके मिस्र की सेना पर विजय दिलाई, फिर भी वे डर के कारण पीछे हटने लगे और आगे बढ़ने के लिए मना कर दिया। क्या इस्त्राएलियों की अगली पीढ़ी भी यही गलती कर सकती है? क्या वे परमेश्वर पर भरोसा करेंगे कि वह उनके लिए लड़े और उन्हें जीत दिलाये?
जिस समय मूसा परमेश्वर के, सृष्टि की रचना से लेकर उसकी मृत्यु तक, उसके कामों को लिख रहा था, वह इस्राएलियों के लिए परमेश्वर की कहानी को और उसकी वफ़ादारी को दिखा रहा था। वादे के देश में जाने के लिए वह उनके विश्वास को कहानियों के माध्यम से दृढ़ कर रहा था। सृष्टि की रचना की कहानी उसकी सामर्थ और अधिकार को स्मरण दिलाएगी। वे उसकी सिद्धता को उस कहानी के माध्यम से समझेंगे जब परमेश्वर उन लोगों के लिए आया जो शैतान के दुष्ट तरीकों के अनुसार अपना जीवन बिता रहे थे। वे जानेंगे की प्राचीन इतिहास के अन्य सभी लोगों के समूहों में से, परमप्रधान परमेश्वर ने उन्हें एक उच्च और पवित्र बुलाहट के लिए बुलाया है। जिस प्रकार उसने हव्वा और याकूब और यहूदा के पापों को मौफ़ किया, वे उसके अनुग्रह को देख पाएंगे जो उसने उन्हें मौफ़ी के रूप में दी। और जब वे इब्राहीम और यूसुफ के विषय में पढ़ेंगे, वे जानेंगे की परमेश्वर के लिए उसके सेवकों का उसके पास भरोसे और आज्ञाकारिता के साथ आना उसके लिए कितना बहुमूल्य है। यदि परमेश्वर के लोग इन कहानियों को पढ़ते और उस परमेश्वर में विश्वास करते जिसने इन्हें लिखा है, तो इस्राएल के लोग आगे आने वाली चुनौतियों के आने पर भी आज्ञा मानने के लिए हिम्मत रखते।
मूसा की पुस्तक को लिखे, जो तोरा भी कहलाती है, तीन सौ साल से भी अधिक हो गए हैं। क्यूंकि यह इस्राएली देश के लिए लिखी गयी इसका मतलब यह नहीं की हमारे लिए ऐसा कुछ नहीं है जिससे कि हम परमेश्वर के विषय में कुछ ना सीख सकें। परमेश्वर आज भी पूरी सामर्थ और सिद्ध पवित्रता में राज कर रहा है। उसने आज भी पूरे ब्रह्मांड को अपने सामर्थी वचन के द्वारा बनाए रखा है। वह अभी भी पाप में डूबे अपने बच्चों को प्रेम से बुला रहा है, जिस प्रकार उसने वाटिका में आदम और हव्वा को बुलाया था। परमेश्वर अभी भी चाहता है कि हम विश्वास के साथ उसकी प्रतिक्रिया करें। जो अपने पापों से पश्चाताप करते हैं और उसकी ओर फिर कर आते हैं, वह उन्हें आशीष देता है। पुराना नियम हमें कई पवित्र और बहुमूल्य बातें सिखाता है की किस प्रकार परमेश्वर ने पूरे इतिहास में अपना कार्य किया। यह केवल परमेश्वर की कहानी या इस्राएल कि कहानी नहीं है। यह हमारी कहानी है। इब्राहीम हमारा पिता है, और समय में परमेश्वर का काम हमारी विरासत है। और शुरुआत से जो राज्य पृथ्वी पर स्थापित हो रहा है, हम उसके सदस्य हैं!
परमेश्वर कि कहानी पर ध्यान करना।
आपने उत्पत्ति कि पुस्तक से परमेश्वर के बारे में क्या सीखा? वह कैसा है? वह किसके समान नहीं है? उसे वर्णन करने के लिए आप किन शब्दों का उपयोग कर सकते हैं? क्या आपने इन्हें पढ़कर परमेश्वर के विषय में कुछ नया सीखा? परमेश्वर के पास जाइये और उससे पूछिये! अपने प्रश्नों को लेकर अपने पादरी या अपने माता पिता के पास जाइये। उन्हें पूछना महत्वपूर्ण है! परमेश्वर के विषय में क्या आपको कोई अद्भुत या भयभीत करने वाली या अजीब बात लगी? क्या आपको किसी भी बात से खुशी या शांति मिली?
मेरी दुनिया, मेरे परिवार और स्वयं पर लागू करना।
मान लीजिये कि आप एक इस्राएली हैं और वादे के देश के किनारे खड़े होकर उसमें आक्रमण करने के लिए तैयार हो रहे हैं। आपको कैसे लगेगा जब आप उन शहरों और जनजातियों को देखेंगे जिनके साथ आपको युद्ध करना है? आपके मन में क्या चल रहा होगा? आप किस के बारे में चिंता करेंगे?
जब मूसा अपने लोगों को तैयार कर रहा था, उसने परमप्रधान परमेश्वर के विशाल और तेजस्वी सामर्थ को उन्हें बताया जो उन्हें जाने की आज्ञा दे रहा था। जब उसने ब्रह्मांड को बनाया था, वह शायद ही अपने सिंहासन पर बैठा और उसे हो जाने की आज्ञा दी। निश्चित रूप से वे ऐसे परमेश्वर पर भरोसा कर सकते थे जिसने उन्हें विजय दिलाई।
यह वही परमेश्वर है जिससे हम भी प्रार्थना मांगते हैं। क्या हम उस सृष्टिकर्ता पर भरोसा करते हैं कि वह हमारी देखभाल कर सकता है? आप की देखभाल करने के लिए क्या आप उस पर विश्वास करते हैं?
हमारे जीवित परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर।
जब मूसा वादे के देश में अपने लोगों को भेज रहा था, वह उनके उत्साह के लिए बाइबल कि पहली पांच पुस्तकों का लेखन कर रहा था। उस देश में प्रवेश करने के लिए जब वह उनके साहस को बढ़ा रहा था, उसने यहोशू, जो उनका नया अगुवा था, कहा;
व्यवस्था 31: 7-8
"दृढ़ और साहसी बनो। तुम इन लोगों को उस देश में ले जाओगे जिसे यहोवा ने इनके पूर्वजों को देने का वचन दिया था। तुम इस्राएल के लोगों की सहायता उस देश को लेने और अपना बनाने में करोगे। यहोवा आगे चलेगा। वह स्वयं तुम्हारे साथ है। वह तुम्हें न सहायता देना बन्द करेगा, न ही तुम्हें छोड़ेगा। तुम न ही भयभीत न ही चिंतित हो!”
यह उस समय परमेश्वर के लोगों के लिए सच था, और यह आज भी हमारे लिए सच है! अपने दिल की सुनो। क्या आप किसी भी प्रकार से हतोत्साहित हैं? प्रार्थना करो! आप कैसे दृढ़ होना चाहते हैं? आपका उद्धारकर्ता परमेश्वर के दाहिने हाथ पर बैठा है, और आपको विश्वास और आशा और शांति के साथ भर देना चाहता है। वह आपको अलौकिक समझ देगा फिर चाहे आप उसे ना देख पाते हों, वह आपके साथ है और आपको कभी नहीं त्यागेगा। यदि आप इसे विशवास के साथ मानते हैं तो, आप दृढ़ और साहसी होने के लिए शक्ति पाएंगे! अपने दिल को शांत कीजिये और उस पर निर्भर करें!