पाठ 75 : राहेल की धन्य औलाद
याकूब ने अगला आशीर्वाद अपने पुत्र यूसुफ के लिए दिया। यूसुफ के पुत्र एप्रैम और मनश्शे पहले से ही धन्य हो गए थे, और उनमें से प्रत्येक याकूब के बेटे और उनके जनजाति बराबर माने जाएंगे। क्यूंकि यूसुफ को अपने पिता से विरासत के दो भाग प्राप्त हुए, इसीलिए उसे दो में गिना जाएगा।
हमारे लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि क्यूँ यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा था। क्यों याकूब का आशीर्वाद उत्पत्ति की पुस्तक के अंत में वर्तनी हुआ? खैर, उत्पत्ति कि पुस्तक मूसा नाम के एक मनुष्य द्वारा लिखी गयी थी। वह परमेश्वर का एक शक्तिशाली दास था जिसने याकूब के मिस्र में जाने के बाद चार सौ साल बाद इस्राएल के देश का नेतृत्व किया था। उस समय तक उनकी संख्या दो लाख हो गयी थी। याकूब के पुत्रों के प्रत्येक वंश हज़ारों में हो गए थे। प्रत्येक पुत्र एक विशाल जनजाति बन गए थे। मूसा जब उन्हें उस वादे के देश तक आया , तो वे अपने विशाल खंड की मांग करने लगे। प्रत्येक अपनी शक्ति और प्रभाव के पद चाहने लगे, और प्रत्येक को यह निर्णय लेना था की वे परमेश्वर के प्रति वफ़ादार होंगे। इस्राएल के देश के लिए, प्रत्येक जनजाति के पिता और याकूब के आशीर्वाद की कहानियां एक मार्गदर्शन थीं।यह इस बात को निर्धारित करेगा की कैसे पूरा राष्ट्र स्थापित किया जाएगा। याकूबकिमौत के बिस्तर पर किया गया एक शांतिपूर्ण वार्ता परमेश्वर के बच्चों के भाग्य का निर्धारण करेगा!
बाइबिल यूसुफ के बारे में बताती है कि वह एक सुंदर, विनम्र, और उल्लेखनीय धर्मी जीवन जीने वाला एक मनुष्य था। जिस समय उसके अन्य भाई कनान में रहते हुए दुष्टता और अनैतिकता में जी रहे थे, यूसुफ इसके विपरीत था। जिस समय उसके जीवन के साथ इतना अन्याय हो रहा था, उस समय वह परमेश्वर में वफ़ादार खड़ा रहा। वह अपने ही परिवार द्वारा गुलामी में बेच दिया गया था। फिर एक दास के रूप में, वह पोतीफ़र की पत्नी कि अशुद्धता से भाग गया और इसके लिए उसे जेल में डाल दिया गया। जेल में रहते हुए भी, क्रोध या कड़वाहट की कोई निशानी नहीं थी। बल्कि, उसने परमेश्वर की सेवा पूरे हृदय से की। परमेश्वर यूसुफ की सच्चाई के माध्यम से दुनिया के लिए महान और विस्तृत आशीर्वाद को लाने में सक्षम था, और परमेश्वर के विरुद्ध उनके भयानक पाप के बावजूद परमेश्वर ने उसे पवित्र परिवार को छुड़ाने के लिए उसे इस्तेमाल किया। उसका ज़बरदस्त अनुग्रह परमेश्वर के परिवार के लिए परमेश्वर की चंगाई का स्रोत बन गया। अपने भाइयों को क्षमा करने की उसकी इच्छा पूरी बाइबल में परमेश्वर की कृपा के सबसे अद्भुत चित्रों में से एक है। यूसुफ बहुत कुछ हमारे प्रभु और उद्धारकर्ता कि तरह था।
युसूफ विश्वास में अटल रहा ताकि वह समझ सके कि सारी बातें यहां तक कि वह भयानक बातें भी, परमेश्वर की ओर से दिया गया एक उपहार था। परमेश्वर सब चीज़ों को, यहां तक की जिन्हें मनुष्य बुराई के लिए उपयोग करना चाहता था, उन सब बातों को अच्छाई में बदलना चाहता था। इस्राएल के देश के लिए युसूफ का जीवन एक सबसे अच्छा नमूना बना। परमेश्वर अच्छी लगने वाली बातों को समझने के लिए उन्हें उसकी ओर ही देखना होगा। और इसीलिए याकूब ने उसे उच्च और शानदार सम्मान के साथ उसे आशीर्वाद दिया;
"'यूसुफ बहुत सफल है। यूसुफ फलों से लदी अंगूर की बेल के समान है।
वह सोते के समीप उगी अँगूर की बेल की तरह है,
बाड़े के सहारे उगी अँगूर की बेल की तरह है।
बहुत से लोग उसके विरुद्ध हुए और उससे लड़े।
धर्नुधारी लोग उसे पसन्द नहीं करते।
किन्तु उसने अपने शक्तिशाली धनुष और कुशल भुजाओं से युद्ध जीता।
वह याकूब के शक्तिशाली परमेश्वर चरवाहे, इस्राएल की चट्टान से शक्ति पाता है।
और अपने पिता के परमेश्वर से शक्ति पाता है।
परमेश्वर तुम को आशीर्वाद दे। सर्वशक्तिमान परमेश्वर तुम को आशीर्वाद दे।
वह तुम्हें ऊपर आकाश से आशीर्वाद दे और नीचे गहरे समुद्र से आशीर्वाद दे।
वह तुम्हें स्तनों और गर्भ का आशीर्वाद दे।
मेरे माता—पिता को बहुत सी अच्छी चीजें होती रही
और तुम्हारे पिता से मुझको और अधिक आशीर्वाद मिला।
तुम्हारे भाईयों ने तुमको बेचना चाहा।
किन्तु अब तुम्हें एक ऊँचे पर्वत के समान,
मेरे सारे आशीर्वाद का ढेर मिलेगा।"
उत्पत्ति 49: 22-26
यूसुफ पर परमेश्वर की भव्य आशीर्वाद की वजह से, उसके द्वारा आये एप्रैम और मनश्शे कि जनजातियों की औलाद स्वस्थ और मज़बूत होगी। उनके क्षेत्रों में प्रचुर मात्रा में भोजन देने वाली फ़सलें होंगी। यहां तक कि जब उनपर हमला हो रहा हो, जिस प्रकार यूसुफ के जीवन के कठिन दिनों में था, वैसा ही, वे शांत और सुनिश्चित रहेंगे।
यूसुफ अपने भाइयों के बीच एक राजकुमार था। उसे और उसकी जनजातियों को एक विशेष, पवित्र काम के लिए अलग किया गया।
हम सब के पास एक अवसर होता है। यूसुफ की तरह क्या हमारा जीवन यीशु मसीह के अनुग्रह और धर्म का एक नमूना हो सकता है? या फिर क्या हमारा जीवन रूबेन और शिमोन और लेवी की तरह होगा, जो शैतान के कारण उस अभिशाप को लाया था? हमारी सच्ची वफ़ादारी कहाँ हैं? उत्पत्ति हमें एक विकल्प प्रदान करता है? क्या हम शैतान के पक्ष में हैं, या फिर हम सर्वश्रेष्ठ परमेश्वर के पक्ष में हैं? हमारी लड़ाई किससे है? पूरे इतिहास में, केवल दो पहलू हैं, और हमें प्रत्येक को चयन करना है।
फिर भी यूसुफ याकूब के आशीर्वाद के उच्च सम्मान को पाने वाला एक मात्र पुत्र नहीं था। इस्राएल के राजा उसके वंश द्वारा नहीं आएंगे। यह शाही पद यहूदा के वंश को दिया गया था। हम अब यह जान गए हैं मसीहा यहूदा के सिंह के माध्यम से आएगा। प्रभु यीशु उसके वंश का था। युसूफ के ऊपर, यहूदा को क्यूँ चुना गया, जबकि वह एक घोर पाप करने वाला मनुष्य था? शायद यह इसीलिए था की, उद्धारकर्ता अपने भव्य अनुग्रह में, उस मनुष्य के लिए आया ताकि उसे पापों से छुड़ा सके। मसीह के महान पूर्वज उनके लिए एक महान उदहारण हैं जिनके लिए यीशु बचाने के लिए आया था।
याकूब का अंतिम आशीर्वाद उसके सबसे छोटे पुत्र को गया;
"बिन्यामीन एक ऐसे भूखे भेड़िये के समान है
जो सबेरे मारता है और उसे खाता है।
शाम को यह बचे खुचे से काम चलाता है।”
(उत्पत्ति 49:27)
इस्राएल का राष्ट्र एक दिन ऐसे खतरनाक देश में प्रवेश करेगा जो चारों ओर शत्रुतापूर्ण, शातिर दुश्मनों से घिरा हुआ है। शांति और खुशी स्वतः या आसानी से नहीं आएगा। उनके इतिहास के दौरान उनके दुश्मन हमेशा उन पर आक्रमण करने और उनके खेतों और घरों को नष्ट करने, और गुलामी में उनकी पत्नियों और बच्चों को लेने के लिए तैयार रहते थे। यह एक ऐसा समय था जब सभी शहर और जीवन आसानी से नष्ट हो सकते थे। साहस और लड़ने के लिए कौशल होना अस्तित्व के लिए आवश्यक थे।
एक सामान्य, सौम्य तरीके से जीने का जीवन तभी संभव हो सका जब सारी लड़ाईयां जीती जा सकीं और दुश्मनों को दूर रखा गया। फसलें लगाईं गईं और काटी गयीं। युवा विवाह कर सके और वृद्ध अपने पोते पोतियों के संग सुकून के साथ रह सके। उनकी पूरी दुनिया में शांति बनाए रखने के लिए उनके योद्धाओं के कौशल पर निर्भर करता था। हर किसी का जीवन एक भयानक त्रासदी बन गया जब देश वासी युद्ध में अपने दुश्मनों के विरुद्ध योद्धा के रूप में खड़े नहीं होते थे।
याकूब ने बताया कि बिन्यामीन के गोत्रा एक ताकतवर शक्ति और रक्षक कि तरह बन जाएंगे। उनकी हिम्मत दुश्मनों के विरुद्ध विजय प्राप्त करेंगे। एक बार वे नष्ट या फिर से हमला करने के लिए भयभीत होते हैं, तो यह इस्राएल के राष्ट्र में महान शांति और समृद्धि को लाएगा। बिन्यामीन के जनजाति उनके साहस और शक्ति से अर्जित लूट को विभाजित करेंगे, और वे इस्राएल के अन्य जनजातियों के साथ जीती हुई शांति को बटेंगे।
इस्राएल के इतिहास में, याकूब का आशीर्वाद महाप्रतापी सच के साथ आया। बिन्यामीन का गोत्र लड़ाई में अपनी बहादुरी और शक्ति के लिए जाना गया। वे मोआबी के विरुद्ध युद्ध में बहादुरी से लड़े और वे कनानी के विरुद्ध उसे भव्य युद्ध में डेबोरा के साथ शामिल हो गए। दाऊद राजा के कुछ ताकतवर योद्धा बिन्यामीन के गोत्र से आये थे। इस्राएल के पहले राजा भी बिन्यामीन के गोत्र से आये थे। शाऊल राजा राष्ट्र का सेनापति था जो कई दुश्मनों से जनजातियों को मुक्ति दिलाता था और इस्राएल को खतरनाक बनाकर शांति रखता था।
याकूब जब बिन्यामीन को अपना आशीर्वाद दे चुका, उसका अंत हो गया। लेकिन उनके काव्य शब्द हर पीढ़ी के लोग स्मरण रखेंगे। प्रत्येक जनजाति की नियति स्पष्ट रूप से उनके पूर्वज के धर्म के अनुसार चिह्नित किया गया। याकूब के बेटे के जीवन कि कहानियों के माध्यम से, परमेश्वर ने इस्राएल के सामने धार्मिकता का नमूना रखा और उनकी दुष्टता और प्रतिकारक पाप के माध्यम से धर्म और गंभीर चेतावनी को दिया। फिर भी सबसे बड़े सम्मान को प्राप्त करने वाला पश्चाताप करने वाला पुत्र था। पश्चाताप और परिवर्तन को दिखाने वाला जो व्यक्ति था वह यहूदा ही था। उसका सबसे बड़ा वंशज यीशु मसीह था, जिसने वह कीमत चुकाई ताकि सच्चा पश्चाताप करने वाले पापी उस अनुग्रह को प्राप्त कर सकें जो एक पवित्र परमेश्वर के द्वारा प्राप्त होता है।
परमेश्वर कि कहानी पर ध्यान करना।
युसूफ कि आज्ञाकारिता के विषय में सोचिये जो कितनी महत्वपूर्ण और शक्तिशाली थी! परमेश्वर के सिद्ध रस्ते में विश्वास से चलने के लिए प्रति दिन भले ही छोटा लगता हो, और विशेष करके जब यूसुफ क़ैद में था। लेकिन परमेश्वर सब चीजों को देखता है, और वह उन पीढ़ी दर पीढ़ी के लिए विस्तार किया कि एक आशीर्वाद के लिए यूसुफ की सच्चाई का विस्तार होगा! परमेश्वर उन लोगों को आशीर्वाद देना चाहता है जो उसके रास्तों को सम्मान देते हैं, और यूसुफ वह तेजस्वी और सामर्थी उदहारण है जो परमेश्वर अपने चुने हुए लोगों के जीवन में कर रहा है। आपने अपनी ईमानदारी या सिद्ध निर्णय को आशीषित होते किस प्रकार देखा है?
मेरी दुनिया, मेरे परिवार और स्वयं पर लागू करना।
सभी हजारों लोगों कि कहानियों में से मूसा ने जिन लोगों के विषय में उत्पत्ति कि किताब में सबसे अधिक वर्णन किया है, वे इब्राहीम, याकूब, यहूदा और यूसुफ हैं। इब्राहीम और यूसुफ सबसे सिद्ध विश्वास के साथ जीने वाले लोग थे। याकूब एक टूटा हुआ और पापी मनुष्य का वो उदहारण था जिसे परमेश्वर ने निरंतर अपनी वाचा के प्रेम के साथ अपनाया। यहां तक कि याकूब जैसे एक सांठगांठ चालबाज़ को भी परमप्रधान परमेश्वर के हाथों में तब्दील किया जा सकता था। ये इस्राएल के राष्ट्र के लिए महान नमूना थे। मूसा ने अपने लोगों को महान नायकों की कहानियों में दर्ज किया। ये वे लोग थे जो स्वयं के खून और विरासत के उदाहरण बनने का प्रयास करेंगे। इन कहानियों को बार बार दोहराने से यहूदी लोगों के दिल और दिमाग को ढालने में मदद मिलेगी। सिद्ध विश्वास से रहना सबसे उत्तम है। परमेश्वर कि विनम्र सेवा करने वाले उन नीच महत्वाकांक्षा और इच्छा रखने वाले लोगों से ऊपर सम्मानित किये जायेंगे। इस्राएल का राष्ट्र शैतान के तरीकों से ज़्यादा परमेश्वर के रास्ते को सीखना अधिक चाहेंगे। आप इन दोनों पात्रों में से किसके साथ अपने आप को संबंधित करते हैं? आप सबसे अधिक किसके समान होना चाहेंगे? क्यों?
हमारे जीवित परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर।
जब हम इब्राहीम और यूसुफ की तरह होने की कोशिश करते हैं, या याकूब और यहूदा कि तरह हमारे पापों से तब्दील होने का प्रयास करते हैं, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि स्वयं परमेश्वर में विश्वास के लिए प्रयास करना है। जो भी हम परमेश्वर के लिए करें वह उस पर पूरी निर्भरता के साथ शुरू करना चाहिए और सब बातों के ऊपर उस पर निर्भर रहना चाहिए! यहाँ पतरस जो यीशु का शिष्य था, यह वर्णन करता है:
1पतरस 1: 3-9
"हमारे प्रभु यीशु मसीह का परम पिता परमेश्वर धन्य हो। मरे हुओं में से यीशु मसीह के पुनरुत्थान के द्वारा उसकी अपार करुणा में एक सजीव आशा पा लेने कि लिए उसने हमें नया जन्म दिया है। ताकि तुम तुम्हारे लिए स्वर्ग में सुरक्षित रूप से रखे हुए अजर-अमर दोष रहित अविनाशी उत्तराधिकार को पा लो। जो विश्वास से सुरक्षित है, उन्हें वह उद्धार जो समय के अंतिम छोर पर प्रकट होने को है, प्राप्त हो। इस पर तुम बहुत प्रसन्न हो। यद्यपि अब तुमको थोड़े समय के लिए तरह तरह की परीक्षाओं में पड़कर दुखी होना बहुत आवश्यक है। ताकि तुम्हारा परखा हुआ विश्वास जो आग में परखे हुए सोने से भी अधिक मूल्यवान है, उसे जब यीशु मसीह प्रकट होगा तब परमेश्वर से प्रशंसा, महिमा और आदर प्राप्त हो। यद्यपि तुमने उसे देखा नहीं है, फिर भी तुम उसे प्रेम करते हो। यद्यपि तुम अभी उसे देख नहीं पा रहे हो, किन्तु फिर भी उसमें विश्वास रखते हो और एक ऐसे आनन्द से भरे हुए हो जो अकथनीय एवं महिमामय है। और तुम अपने विश्वास के परिणामस्वरूप अपनी आत्मा का उद्धार कर रहे हो।"
उत्पत्ति में हमने देखा कि किस प्रकार हमारे हीरों ने विश्वास में वृद्धि की। क्या आप भी उस में विकसित करना चाहते हैं? परमेश्वर से प्रार्थना कीजिये और उसे पुकारें! अपने विश्वास को बढ़ाने के लिए उससे प्रार्थना करें!