पाठ 54 : एक नया सूर्योदय

सूर्योदय हुआ और एक नई सुबह की शुरुआत हुई। कायरपन कि सांठगांठ अब बदल गई थी। अतीत में, याकूब ने विश्वास की कुछ झलक दिखाई थी। एसाव के विपरीत, उसने कनानी महिलाओं से शादी नहीं किथी। उसने परमेश्वर के वादे पर वास्तव में विश्वास किया की वह कनान देश एक दिन इब्राहीम के वंशज का होगा। लेकिन परमेश्वर के आशीर्वाद का एक हिस्सा बनने में याकूब का प्रयास गलत साबित हुआ। परमेश्वर पर भरोसा करने के बजाय, उसने झूठ बोला और धोखा दिया। याकूब के निरंतर प्रयास और संघर्ष के बीच, परमेश्वर उसके साथ वफ़ादार बना रहा। वह अपने शक्तिशाली वाचा के प्यार से याकूब के लिए बाध्य था। याकूब उसके वाचा का सहभागी था, और याकूब को अपने परमेश्वर के प्रेम से कोई भी जुदा नहीं कर सकता था। 

याकूब, जो अब इस्राएल कहलाता था, परमेश्वर में एक परिवर्तित मनुष्य होकर निकला। इसके पहले, वह पूरे आत्मविश्वास के साथ झूठ बोलता था। अब वह बिलकुल टूट गया था और उसे परमेश्वर के आशीर्वाद की ज़रुरत थी। वह अपने भाई और उसकी सेना को मिलने के लिए पूरी तौर से परमेश्वर पर निर्भर था। परमेश्वर का आज्ञाकारी होते हुए वह वादे के देश में वापस लौट रहा था, लेकिन अपने अतीत किसमस्याओं का सामना किये बगैर वह प्रवेश नहीं कर सकता था। 

 याकूब ने एसाव को उसके चार सौ पुरुषों के साथ आते देखा, तो अपने परिवार को समूहों में विभाजित कर दिया। लिआ और राहेल की दासियाँ और उनके बच्चे पहले आये, फिर लिआ और उसके बच्चे, और अंत में राहेल और युसूफ आये। याकूब अभी भी पूरी दुनिया के लिए पसंदीदा था। उसके बेटों को यह देखकर कितनी तकलीफ़ हुई होगी किउनके पिता ने उनको आक्रमण के लिए सबसे आगे भेजा।  

अपने परिवार का प्रबंध करने के बाद, याकूब एसाव से मिलने के लिए उसके आगे गया। उसने पुरुषों की आनेवाली लहर के सामने भूमि पर अपने चेहरे को कम से कम सात बार नीचे झुकाया। वह यह दिखाना चाहता था कि वह एसाव का नौकर था। वह कितना शर्मिंदा हुआ। उसने नहीं सोचा था की एसाव क्रोध और रोष के आलावा आ सकता था।  

तब एसाव ने याकूब को देखा, वह उस से मिलने को दौड़ पड़ा। एसाव ने याकूब को अपनी बाहों में भर लिया और छाती से लगाया। तब एसाव ने उसकी गर्दन को चूमा और दोनों आनन्द में रो पड़े।याकूब को जैसा डर था, यह भेंट उससे कितनी भिन्न थी। क्या उसने ऐसा सपने में भी सोचा होगा? वे उन बीते सालों के क्रोध को लेकर कितना रोये, जो अब बीत चुका था। वे उससे राहत मिलने के कारण रोए। 

एसाव ने नज़र उठाई और स्त्रियों तथा बच्चों को देखा। उसने कहा, “तुम्हारे साथ ये कौन लोग हैं?” याकूब ने बताया कि वे परमेश्वर की ओर से मिले उपहार थे। वे लाबान की ओर से नहीं थे। वे उसके अपने हाथों का काम भी नहीं थे। वे परमेश्वर से मिले उपहार थे। 

 याकूब ने अपने भाई से मिलने के लिए अपनी पत्नियों और बच्चों को आगे किया। वे आगे आए और एसाव को झुक कर प्रणाम किया। एसाव ने पूछा कि याकूब ने अपने पशुओं के झुंड को आगे क्यूँ भेजा।याकूब ने कहा किएसाव के पक्ष को हासिल करने के लिए उसने ऐसा किया। एसाव एक बहुत अमीर आदमी था, और उसने अपने भाई को माफ कर दिया था। उसने कहाकियाकूब उसके शानदार तोहफे रख सकता था। लेकिन याकूब ने कहा, "... तुम्हें देखना परमेश्वर को देखने जैसा है... कृपा कर के मेरी भेंट स्वीकार करो ..." 

याकूब इस तरह बोल रहा है ताकि वह अपने भाई को वापस पा सके। और इसीलिए एसाव सहमत हुआ। जब एसाव ने याकूब के उपहार स्वीकार किये, तब उसने दिखाया कि उन दोनों के बीच कि शांति अब सील हो गयी थी। 

एसाव याकूब को विश्वास दिलाने कि कोशिश कर रहा था कि वह उसके आदमियों के साथ सेईर को, जो एसाव का घर है, साथ चले, लेकिन याकूब ने विरोध किया। उसने कहा कि चार सौ पुरुष और बच्चों और जानवरों के साथ अपने विशाल कबीले से एक दिन में बहुत दूर तेजी से यात्रा कर सकते हैं। तब एसाव ने कहा की वह याकूब के साथ अपने कुछ पुरुषों को छोड़ देगा ताकि वे उसके परिवार की रक्षा कर सकें। याकूब ने फिर से इनकार कर दिया। उसने कहा, "'लेकिन ऐसा क्यों करते हो? बस मुझे मेरे परमेश्वर की नज़रों में अनुग्रह पाने दे।'" इस तरह याकूब एसाव को यकीन दिलाना चाहता था की वह उसके साथ बिल्कुल भी नहीं आ रहा था। 

एसाव सेईर कीओर दक्षिण को गया। उसके जाने के बाद, याकूब ने अपने कबीले को दूसरी दिशा में भेज दिया। किन्तु याकूब सुक्कोत को गया। एक साल के लिए उसने अपने परिवार को वहां बसाया।वहाँ उसने अपने लिए एक घर बनाया और अपने मवेशियों के लिए छोटी पशुशालाएँ बनाईं।वहां से वह अपने परिवार को वह कनान देश ले गया। वे शकेम के शहर में गए और वहाँ अपना डेरा डाला। परमेश्वर के लोगों के इतिहास में यह एक महत्वपूर्ण शहर था। शकेम में ही परमेश्वर ने इब्राहिम को वादा किया था कि उसके वंशज को वादे के देश कि भूमि मिलेगी। याकूब ने परमेश्वर कि उपासना के लिए वहाँ एक विशेष स्मरण स्तम्भ बनाया। याकूब ने जगह का नाम “एले, इस्राएल का परमेश्वर” रखा।

इस कहानी के बाद, एसाव बाइबिल के पन्नों से गायब हो जाता है। वह केवल एक बार फिर पुन: दिखाई देता है, और वो भी अपने पिता को दफनाने के लिए। एसाव ने अपने परिवार के आशीर्वाद और परमेश्वर के परिवार का तिरस्कार किया था। उसने अंत में, विनय के साथ अपने भाई को माफ कर दिया था, लेकिन उसने अपने पूर्वजों के परमेश्वर के तरीकों पर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। उसे आध्यात्मिक बातों के लिए कोई दर्शन नहीं था, और इसलिए एसाव परमेश्वर के लोगों की कहानी से बाहर चला गया। 

दूसरे हाथ पर, याकूब धोखा देने से शांति बनाने वाला बन गया और वो सब काम करने लगा जो सही हैं। इन सब बातों के पीछे परमेश्वर था, जो अपने चुने हुए सेवक को परिवर्तित करने के लिए समय के संकट को उपयोग कर रहा था। जब याकूब ने अधिकारी होने के अधिकार को छोड़ दिया, तो परमेश्वर ने उसे अपने लोगों की भूमि के लिए उसे बहाल किया। 

याकूब को एक और बात करनी थी। परमेश्वर से वादा करने के कई साल पहले, तो पहली रात को एसाव से और अपने पिता के घर से याकूब भाग रहा था।  रात के अँधेरे में, जब याकूब के पास एक तकिये के लिए केवल एक पत्थर था, उसने एक महान दृष्टि को देखा। स्वर्ग से नीचे धरती तक एक सीढ़ी अंधेरी रात में शानदार ढंग से निकल कर आ रही थी। स्वर्गदूतों को परमेश्वर की इच्छा करते हुए याकूब ने स्वर्गदूतों को सीढ़ी से ऊपर नीचे आते देखा। सीढ़ी के ऊपर प्रभु परमेश्वर स्वयं खड़े थे जो एक हताश और अकेले याकूब को अपनी पवित्र उपस्थिति का खुलासा कर रहे थे। परमेश्वर ने जो वादा इब्राहीम और इसहाक के साथ किया था, उसे उसने याकूब के साथ नया किया। 

ये चौंकाने वाले पल बेतेल नामक स्थान पर हुए। जिस रात याकूब ने वो दर्शन देखा, उसने परमेश्वर से वादा किया कि यदि वे उसकी यात्रा को आशीर्वाद देते हैं, तो वह बेतेल को वापस चला जाएगा। उसने कहा की वह परमेश्वर के लिए उसके भवन में एक स्तम्भ बनाएगा। यह एक शक्तिशाली और पवित्र वादा था। परमेश्वर ने निश्चित रूप से याकूब से किये वादों को पूरा किया था। याकूब ने भी वैसा क्यूँ नहीं किया था? क्यों वह सीधे बेतेल को नहीं गया? और इससे क्या क्या परेशानी आ सकती है? 

परमेश्वर कि कहानी पर ध्यान करना।  

याकूब के प्रति आप परमेश्वर के शक्तिशाली वाचा के प्यार के बारे में क्या सोचते हैं? आप परमेश्वर के विषय में क्या सोचते हैं? जब आप परमेश्वर के अपने बेटे के लहू के बारे में सोचते हैं जिसके द्वारा आप ख़रीदे गए, तो आपको कैसा महसूस होता है? 

मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना।  

याकूब जब कि परमेश्वर द्वारा परिवर्तित हुआ, उसे अभी भी अपने अतीत के पापों का सामना करना पड़ा। परमेश्वर जब आपके जीवन को परिवर्तित करेंगे, याकूब की तरह आपके भी अपने ऐसे नए क्षेत्र हैं जिन्हें परमेश्वर ठीक करना चाहे। क्या वह चाहता है किआप नई चुनौतियों का सामना करें?

जीवित परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर। 

एक चीज़ जिसे हम आम तौर पर उपेक्षा कर देते हैं वो है परमेश्वर किवाणी को ना सुन्ना। हम वचन के द्वारा प्रार्थना करते हैं या अपने स्वयं के शब्दों को लेकर रोते हैं, या हम दूसरों के साथ उसके बारे में बात करते हैं, लेकिन हम अच्छे श्रोता बनना भूल जाते हैं। परमेश्वर के लिए अपने विचारों को लाना एक अच्छा अभ्यास हो सकता है। बाइबिल कहती है कि हमें विश्वास के साथ अनुग्रह के सिंहासन का दृष्टिकोण करना है। वह आपसे प्रेम करता है! आप अपने आप को परमेश्वर के पास लाने में कैसे कल्पना करते हैं? क्या आप उसके चरणों पर बैठे हैं या उसके सामने घुटने टेके हुए हैं? अपने दिल को शांत करें और सुनें। वह आपका नेतृत्व कैसे करता है? क्या आपके अपने दिल में एक धारणा या भावना है? क्या वह आपके मन में शब्दों को ला रहा है? वहीं रुकें और उसकी प्रतीक्षा करें।

यदि हो सके तो, अपने आत्मिक परिवार या दोस्तों के साथ अपने विश्वास के विषय में बाटें की उसकी अगुवाई आपके लिए क्या है। उनसे कहें की वे आपके लिए प्रार्थना करें। क्या वे आपकी अग्रणी को महसूस कर सकते हैं की वह सही है? परमेश्वर मसीह के शरीर को उपयोग करेगा ताकि आप समझ सकें कि उसकी इच्छा क्या है!