पाठ 47 : धोखे का मूल्य

एक परिवार कि एक दु: खी और विकृत तस्वीर। इसहाक, एसाव, रिबका, और याकूब प्रत्येक पहलौठे पुत्र कि शक्तिशाली और प्रबल आशीर्वाद के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए स्वयं के स्वार्थी महत्वाकांक्षा के बाहर काम कर रहे थे। यदि उन्होंने परमेश्वर कि इच्छा के आगे अपने आप को समर्पित किया होता तो वे मिलकर उस महान आशीर्वाद और सद्भाव को एक साथ बाँट सकते थे। इसके बजाय वे चारों ओर चुपके से दुश्मनों की तरह झूठ की साजिश रच रहे थे! जो एक महान खुशी का अवसर होना था वह एक दूसरे के खिलाफ सांठगांठ योजनाओं में बदल गया। काश वे इब्राहीम के विश्वास का अंश होते। 

 

परमेश्वर ने यह स्पष्ट कर दिया था कि उन्होंने अब्राहम की वाचा का वारिस बनाने के लिए याकूब को चुना था: 

 

याकूब को भरोसा होना चाहिए था कि परमेश्वर उसके पिता के ना सुनने पर भी उसके पक्ष में कार्य करेंगे। इसके बजाय, उसने अपने पिता को धोखा दिया और परिवार के विश्वास के बंधन को तोड़ दिया।  

इसहाक जानता था कि परमेश्वर ने उसके परिवार का नेतृत्व करने के लिए याकूब को चुना था, फिर भी उसने एसाव का पक्ष लिया।  

 

एसाव ने दो बुतपरस्त महिलाओं से विवाह करने का चुनाव किया और अपने जन्मसिद्ध अधिकार को बगैर किसी मूल्य के बेच दिया। इसहाक पक्षपात के कारण इतना अँधा हो गया था कि वह यह नहीं देख पाया कि एसाव परमेश्वर के परिवार को चलाने के लिए आध्यात्मिक रूप से अयोग्य है। यह एक परमेश्वर का चुना हुआ परिवार था जो सभी देशों के लिए आशीष का कारण होगा! 

 

रिबका ने परमेश्वर के आशीर्वाद को स्मरण रखा, वह जानती थी कि उनकी आशीषें याकूब पर गिरेंगी, फिर भी उसे भरोसा नहीं था की परमेश्वर ऐसा करने में सक्षम हैं। वह अपने पति को रोकने के लिए छल और हेरफेर का उपयोग करने जा रही थी ताकि परमेश्वर कि आशीषें गलत पुत्र पर को ना मिल सकें। 

 

अविश्वास और बेवफ़ाई का यह कैसा नष्ट करने वाला क्षेत्र है! इब्राहीम और सारा कितने भिन्न थे! वे एक दूसरे के प्रति कितने ईमानदार और सिद्ध और एक दूसरे को सम्मान देने वाले लोग थे!

 

रिबका ने याकूब को दो बकरियों को लाने के लिए भेजा ताकि वह उन्हें पका सके। तब याकूब इसहाक के पास उस भोजन को लेजा कर एसाव होने का नाटक कर सकता है। 

 

याकूब ने जब अपनी माता की योजना के बारे में सुना, उसे अपने पिता को धोखा देने के बारे में बुरा नहीं लगा। लेकिन उसे डर था कि ऐसा शायद ना हो सके। एसाव जन्म से रोएंदार था, लेकिन याकूब कि त्वचा चिकनी और बाल मुक्त थी। इसहाक जैसे ही उसे हाथ लगाएगा, वह जान जाएगा की यह व्यक्ति जो उसके तम्बू में आया है वह एसाव नहीं है। यदि इसहाक को यह पता चलता है की याकूब था और वह उसके साथ चालाकी करने कि कोशिश कर रहा था, तो उसके बजाय इसहाक उसे शाप देदेगा!

 

रिबका ने कहा, "मेरे बेटे, शाप मुझ पर गिरने दे। जैसा मैं कहती हूँ तू वैसा ही कर; जा और उन्हें मेरे लिए ले आ।" इसहाक का एक अभिशाप उसके जीवन पर भयानक निंदा को ला सकता है, लेकिन वह अपने इष्ट बेटे के लिए इस जोखिम के लिए तैयार थी। 

 

रिबका गई और अपने पति के पसंद अनुसार भोजन को तैयार किया। तब रिबका ने उस पोशाक को उठाया जो उसका बड़ा पुत्र एसाव पहन्ना पसंद करता था। रिबका ने अपने छोटे पुत्र याकूब को वे कपड़े पहना दिए। रिबका ने बकरियों के चमड़े को लिया और याकूब के हाथों और गले पर बांध दिया। जब याकूब तैयार होगया, वह अपने पिता के पास उस भोजन को लेकर गया। 

 

याकूब पिता के पास गया और बोला, “पिताजी।”

और उसके पिता ने पूछा, “हाँ पुत्र, तुम कौन हो?”

 

और फिर याकूब ने हद्द पार की और एक झूठ कहा। याकूब ने अपने पिता से कहा, “मैं आपका बड़ा पुत्र एसाव हूँ। आपने जो कहा है, मैंने कर दिया है। अब आप बैठें और उन जानवरों को खाएं जिनका शिकार मैंने आपके लिए किया है। तब आप मुझे आशीर्वाद दे सकते हैं।”

 

इसहाक को शक हुआ। यह आवाज उसके सबसे बड़े बेटे की तरह नहीं थी। उसने याकूब से पुछा कि वह इतनी जल्दी एक जानवर का शिकार करके उसे कैसे मार सकता था। याकूब ने फिर से झूठ बोला। उसने अपने पिता से कहा कि खुद परमेश्वर ने उसे अपने शिकार में त्वरित सफलता दी है। वाह! अब याकूब ने अपने धोखे में परमेश्वर को भी शामिल कर दिया!

 

इसहाक को अभी भी संदिग्ध था। कुछ गलत था, और वह अपनी पत्नी और दूसरे बेटे को अच्छी तरह जानता था। उसने गुप्त रीति से आशीर्वाद देने की योजना बनाई थी! तब इसहाक ने याकूब से कहा, “मेरे पुत्र मेरे पास आओ जिससे मैं तुम्हें छू सकूँ। यदि मैं तुम्हें छू सकूँगा तो मैं यह जान जाऊँगा कि तुम वास्तव में मेरे पुत्र एसाव ही हो।”

 

याकूब अपने पिता इसहाक के पास गया। इसहाक ने उसे छुआ और कहा, “तुम्हारी आवाज़ याकूब की आवाज़ जैसी है। लेकिन तुम्हारी बाहें एसाव की रोंएदार बाहों की तरह हैं।” इसहाक यह नहीं जान पाया कि यह याकूब है क्योंकि उसकी बाहें एसाव की बाहों की तरह रोएंदार थीं। इसलिए इसहाक ने याकूब को आशीर्वाद दिया।

इसहाक ने कहा, “क्या सचमुच तुम मेरे पुत्र एसाव हो?”

याकूब ने एक बार फिर से झूठ बोला और उत्तर दिया, “हाँ, मैं हूँ।”

अंत में इसहाक नरम हुआ। उसने याकूब से भोजन मंगवाया और उसे खाया। जब याकूब उसके पास आया, इसहाक ने उसे चूमा और एसाव के कपड़ों की सुगंध उसे आई। अब उसे वास्तव में विश्वास हो गया था। धोखे ने काम कर दिया। उसने दिल खोल कर याकूब को आशीर्वाद दिया। यह वरदान विशेष रूप से उसके लिए सही था जो एक शक्तिशाली राष्ट्र का पिता बनेगा: 

 

"'अहा, मेरे पुत्र की सुगन्ध यहोवा से वरदान पाए

खेतों की सुगन्ध की तरह है।
यहोवा तुम्हें बहुत वर्षा दे।
जिससे तुम्हें बहुत फसल और दाखमधु मिले।
सभी लोग तुम्हारी सेवा करें।
राष्ट्र तुम्हारे सामने झुकें।
तुम अपने भाईयों के ऊपर शासक होगे।
तुम्हारी माँ के पुत्र तुम्हारे सामने झुकेंगे और तुम्हारी आज्ञा मानेंगे।
हर एक व्यक्ति जो तुम्हें शाप देगा, शाप पाएगा

और हर एक व्यक्ति जो तुम्हें आशीर्वाद देगाआशीर्वाद पाएगा।”

 

वाह! इसहाक ने वो प्रार्थना की जिससे याकूब को ढेर सारी सफलता प्राप्त हो सके। उसके फसलों के लिए पर्याप्त पानी होगा, धरती अच्छा खाद्य और अनाज पैदा करेगी और सारे देश उसके आगे झुकेंगे। और याकूब अपने भाइयों पर शासन करेगा। जो अधिकार और आशीर्वाद इसहाक एसाव को देना चाहता था, वह उसके विपरीत हुआ। अब याकूब को आशीर्वाद मिल गया था और एसाव को उसकी सेवा करनी होगी। इब्राहीम का आशीर्वाद उस पर था। अब उसके वंशज इन आशीर्वाद को जारी रखेंगे और एक ऐसा राष्ट्र होगा जो सारी दुनिया के लिए आशीष का कारण बनेगा। 

 

इसहाक ने याकूब को आशीर्वाद देना पूरा किया। तब ज्योंही याकूब अपने पिता इसहाक के पास से गया त्योंही एसाव शिकार करके अन्दर आया। एसाव ने अपने पिता की पसंद का विशेष भोजन बनाया। एसाव इसे अपने पिता के पास लाया। उसने अपने पिता से कहा, “पिताजी, उठें और उस भोजन को खाएं जो आपके पुत्र ने आपके लिए मारा है। तब आप मुझे आशीर्वाद दे सकते हैं।”

 

इसहाक उलझन में था। उसने निश्चित होकर अपने पहलौठे को आशीर्वाद दिया था, फिर यह कौन था जो एसाव के समान लग रहा था। इसहाक ने उससे कहा, “तुम कौन हो?”

अब एसाव भ्रमित हो गया था। उसने पूरा दिन अपने पिता कि आज्ञा का पालन करने में बिताया था। वह कैसे नहीं जान पाया की वह कौन था और क्यूँ आया था? "'मैं आपका बेटा हूँ, आपका पहलौठा बेटा एसाव'" उसने कहा। 

 

तब इसहाक गुस्सा में झल्ला गया। अपने बड़े बेटे के लिए उसका सपना खत्म हो गया था। यह आशीर्वाद ना केवल एसाव के लिए था परन्तु उसके अपने लिए भी था... उसके जीवन के अंत में, एसाव के हाथों में उसकी सारी खुशियां जानी थीं। तब इसहाक बहुत झल्ला गया और बोला, “तब तुम्हारे आने से पहले वह कौन था? जिसने भोजन पकाया और जो मेरे पास लाया। मैंने वह सब खाया और उसको आशीर्वाद दिया। अब अपने आशीर्वादों को लौटाने का समय निकल चुका है।”  इसहाक के मन में कोई आशंका नहीं थी कि जिस आशीर्वाद के लिए उसने प्रार्थना की वह एक अटल सामर्थ के साथ की गयी थी। चाहे इसहाक ने मिश्रित इरादों के साथ आशीर्वाद दिया था, उसने परमेश्वर कि सामर्थ में होकर विश्वास के साथ बोला था। यह स्वयं परमेश्वर का आशीर्वाद था, और यह उसी तरह इतिहास के अतीत में बंद था जिस प्रकार निश्चित रूप से भविष्य में बंद किया गया था। 

 

जब एसाव को मालूम हुआ कि उसके पिता ने आशीर्वाद दे दिया है तो वह ज़ोर से चीखा। एक बार फिर से उसके सांठगांठ भाई ने उसे चतुरता से मात दे दी! उसने अपने पिता से रोते हुए आशीर्वाद माँगा। 

 

इसहाक ने दुखी होकर अपने पुत्र से कहा, “तुम्हारे भाई ने मुझे धोखा दिया। वह आया और तुम्हारा आशीर्वाद लेकर गया।”

 

एसाव ने कहा, “उसका नाम ही याकूब (चालबाज़) है। यह नाम उसके लिए ठीक ही है। उसका यह नाम बिल्कुल सही रखा गया है वह सचमुच में चालबाज़ है। उसने मुझे दो बार धोखा दिया। वह पहलौठा होने के मेरे अधिकार को ले ही चुका था और अब उसने मेरे हिस्से के आशीर्वाद को भी ले लिया। क्या आपने मेरे लिए कोई आशीर्वाद बचा रखा है?”

 

इसहाक ने जवाब दिया, “नहीं, अब बहुत देर हो गई। मैंने याकूब को तुम्हारे ऊपर शासन करने का अधिकार दे दिया है। मैंने यह भी कह दिया कि सभी भाई उसके सेवक होंगे। मैंने उसे बहुत अधिक अन्न और दाखमधु का आशीर्वाद दिया है। पुत्र तुम्हें देने के लिए कुछ नहीं बचा है।”

 

इसहाक ने एसाव को यह सब देने कि योजना बनाई थी, और याकूब के लिए कुछ नहीं था, जब किवह जानता था किवह परमेश्वर का चुना हुआ था। यदि याकूब के लिए उसने कुछ रख छोड़ा था तो अवश्य ही एसाव के लिए भी कुछ था। लेकिन याकूब और परमेश्वर की योजना की अस्वीकृति के कारण, एसाव को भी कुछ नहीं मिलेगा। उसके इष्ट पुत्र के लिए उसके पास केवल एक विरोधी आशीर्वाद था। एसाव जब रोया तो, इसहाक ने उसे काले आशीर्वाद दिए जो उसके पास शेष बचे थे;

 

"“तुम अच्छी भूमि पर नहीं रहोगे।

तुम्हारे पास बहुत अन्न नहीं होगा।
तुम्हें जीने के लिए संघर्ष करना होगा।
और तुम अपने भाई के दास होगे।
किन्तु तुम आज़ादी के लिए लड़ोगे,

और उसके शासन से आज़ाद हो जाओगे।”

उत्पत्ति 27: 39-40 

 

इब्राहीम का परिवार धोखे और अविश्वास से भरा था, लेकिन इस सब के बीच में परमेश्वर का अनुग्रह था। उसका चुना हुआ बेटा इब्राहिम की वाचा को आगे ले जाएगा।  

 

परमेश्वर कि कहानी पर ध्यान करना।  

परमेश्वर ने कहा था कि इब्राहीम के वाचा परिवार का नेतृत्व उसका चुना हुआ सेवक याकूब करेगा।लेकिन रिबका और याकूब उस पर विश्वास नहीं करते थे। वे इसे अपने दम पर करना चाहते थे। क्या आपके जीवन में कोई ऐसे क्षेत्र हैं जहां आपके लिए परमेश्वर पर भरोसा करना कठिन हो जाता है? क्या कोई ऐसी बातें हैं जो आपको लगता है कि परमेश्वर नहीं कर सकेगा? क्या आप उन चीजों को बाटेंगे?

 

मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना।  

जब रिबका और याकूब और इसहाक और एसाव ने परमेश्वर पर भरोसा नहीं किया, उनके परमेश्वर के साथ सम्बन्ध से अधित इससे चोट लगी। पाप एक दूसरे के संग उस प्रेम और सद्भाव को अलग कर देता है। क्या आपने किसी का भरोसा तोड़ा है क्यूंकि आप परमेश्वर पर भरोसा नहीं करते हैं? क्या आपने परमेश्वर से माफी मांगी है? क्या उस व्यक्ति से मांगी है? परमेश्वर को अनुमति दीजिये कि वह आपको जाँचे और आपको दिखाए यदि आपको कुछ करने कि आवश्यकता है। 

 

जीवित परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर। 

परमेश्वर के परिवार के विश्वास किकमी के बावजूद, परमेश्वर उनके साथ वफ़ादार बना रहा। चाहे ये मानव सेवक कुछ भी खिलवाड़ क्यूँ ना करें, उसकी योजना फिर भी जारी रहेगी। क्या आप जानते हैं कि आप के लिए भी यह सच है? इन सवालों से आप परमेश्वर कि वफ़ादारी जो आपके अपने लिए है, उसे आप अपने आप को याद दिला सकते हैं:

 

मैं क्यूँ कहूँ कि मैं नहीं कर सकता जब कि बाइबिल कहती है की जो मुझे शक्ति देता है, उसके द्वारा मैं सभी परिस्थितियों का सामना कर सकता हूँ? (फिलिपियों 4:13) 

मैं क्यूँ डरूं जब कि बाइबिल कहती हैकिपरमेश्वर ने मुझे भय कि आत्मा नहीं दी बल्कि सामर्थ, प्रेम और एक स्वस्थ मन कि दी है? 

मैं क्यूँ कमज़ोर पडूँ जबकि बाइबिल कहती है किपरमेश्वर मेरे जीवन कि ताकत है? (भजन 27: 1) 

मैं क्यूँ उदास होऊं जबकि मैं परमेश्वर कि करुणा को याद कर सकता हूँ और आशा रख सकता हूँ? (विलापगीत 3: 21-23) 

क्यों मैं अपने आप को शापित समझूँ जबकि बाइबिल कहती है कि मसीह ने हमारे शाप को अपने ऊपर ले कर व्यवस्था के विधान के शाप से हमें मुक्त कर दिया।ताकि विश्वास के द्वारा हम उस आत्मा को प्राप्त करें, जिसका वचन दिया गया था? (गलतियों 3:13-14) 

मैं क्यूँ उलझन में पडूँ जबकि परमेश्वर जो शांति का निर्माता है मुझे अपनी आत्मा के द्वारा ज्ञान देता है? (1 कुरिन्थियो14:33, 2:12) 

(नील एंडरसन, अंधकार पर विजय, पेज 115 से). 

 

क्या इन में से कोई वाक्य आपको प्रभावित करता है? क्या आप किसी भी रूप से डरते या पराजित महसूस करते हैं? क्या आप खुद से पूछेंगे क्यूँ? क्या आप यीशु के क़दमों पर उन भावनाओं को लेकर जाएंगे? उस पर भरोसा करें चाहे वो सब बातें भ्रामक या समझने के लिए कठिन हों। अपने उद्धारकर्ता पर दृढ़ता के साथ विश्वास करें! क्यूंकि वह हमारे जीवन के समय को निर्धारित करता है, और वह अक्सर हमें सिखाने के लिए हमें प्रतीक्षा कराता है। इब्रानियों में वह कहता हैं, "....क्योंकि हर एक वह जो उसके पास आता है, उसके लिए यह आवश्यक है कि वह इस बात का विश्वास करे कि परमेश्वर का अस्तित्व है और वे जो उसे सच्चाई के साथ खोजते हैं, वह उन्हें उसका प्रतिफल देता है।"