पाठ 1: परमेश्वर की शानदार योजना की बड़ी तस्वीर
"शुरुआत में, परमेश्वर ने आकाश और पृथ्वी को बनायाI" ये बाइबिल में पहला शब्द है। यह दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण कहानी का बयान करता है। परमेश्वर कि ओर से यह मानवजाति के इतिहास की कहानी है। इसका लेखक परमेश्वर स्वयं है। इसे लिखने के लिए उसने अपने दासों का उपयोग किया, लेकिन शब्द उसी के थे। वह अपने आप को मानवजाति के सामने प्रकट करना चाहता था और यह दिखाना चाहता था कि वह परमेश्वर है। वह हर रूप से महाप्रतापी पवित्र और शानदार है, और वह अपने लोगों को यह सिखाना चाहता था कि वे उसके निकट कैसे आ सकते हैं। और क्यूंकि वह सिद्ध प्रेम है, परमेश्वर अपने आप को उनके साथ बांट कर अपने प्रेम को बांटना चाहता था, और इसीलिए उसने यह अद्बुध किताब दी!
बाइबिल में सबसे पहली बात जो हम सीखते हैं वो यह है कि परमेश्वर ने सृष्टि को कैसे सृजा। वह सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञानी है, और अपनी सिद्ध बुद्धि से उसने सब कुछ सृजा है। उसने केवल शब्द के द्वारा सूरज, चाँद और सारी सृष्टि को बनाया।
हर बार परमेश्वर जो बोलता था कुछ अद्बुद्ध हो जाता था। सबसे पहले अंधकार था, परन्तु परमेश्वर ने कहा, "ज्योति हो" और शून्य से एक महान ज्योति अंधकार में निकल आई! सारी प्रजा परमेश्वर की आज्ञा को मानती थी जब भी परमेश्वर शून्य से अद्बुध चीज़ें बनाते थे.…तारे, समुन्दर, डॉल्फ़िन, पेड़ और फूल और घास और स्वर्गदूत परमेश्वर के इन अद्बुध कार्य को देखकर जो वह प्रकट कर रहा था, वे स्वर्ग में आनंद मनाते थे।
परमेश्वर के प्रतिभाशाली रचनात्मक दिमाग की कल्पना कीजिये जिससे उसने एक टिड्डी की लम्बी टांगें बनायीं और हाथी की सूँड और जिराफ़ की लम्बी गर्दन को बनाया! उसी परमेश्वर ने जिसने काले बादल, गड़गड़ाती गरजन और गिरती हुई बारिश को बनाया, उसी ने चमकते हुए सूरज को भी बनाया! सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने शून्य से पूरी सृष्टि कि रचना की।
परमेश्वर ने अंत में सबसे महत्वपूर्ण चीज़ को बनाया। उसकी सृष्टि कि यह सबसे अधिक महिमा देने वाली रचना थी। यह इतनी महत्वपूर्ण थी कि उसने बोलने से बढ़कर इसे बनाया। इसे अपने हाथों से बनाने के लिए परमेश्वर स्वयं नीचे पृथ्वी पर उतर कर आये। ये प्राणी सबसे पहले पुरुष और स्त्री थे। और इन्ही के कारण परमेश्वर ने सारी सृष्टि की रचना की। वह उनके लिए घर का निर्माण कर रहा था। वह एक ऐसी सुन्दर और शानदार जगह थी जहाँ परमेश्वर उनके समीप रह सकता था, जो उसने अपने स्वयं के लिए बनाई थी।
आप देखिये, परमेश्वर उनसे प्रेम करता था और उन्हें आशीर्वाद देना चाहता था। परमेश्वर सर्व पवित्र और सिद्ध और आशायुक्त है। परमेश्वर सम्पूर्ण आनंद है। अपने आप को दे देना एक ऐसा महान उपहार है जो कभी किसी को ना मिला हो। और वह अपने आप को केवल एक या दो मनुष्य को ही नहीं देना चाहता था। वह चाहता था की वह सभी को अपना प्रेम दे! तभी तो आप और मैं यहाँ उपस्थित हैं!
बाइबिल किकहानी इस बात पर नहीं रूक जाती की उसने पहले मनुष्य कि रचना कैसी की। मनुष्यजाति के साथ आगे क्या हुआ इसके विषय में भी बताती है। क्यूंकि आप देखिये कि, एक बहुत ही भयंकर और भीषण समस्या आने वाली थी। विश्वाश्घात और दुष्ट की ओर से एक महान विद्रोह होने जा रहा था। परमेश्वर ने पहले मनुष्य को इतने सुन्दर और सिद्ध संसार में रखा फिर भी उसने परमेश्वर के विरुद्ध विद्रोह किया। उन्होंने उसका इंकार किया और अपना रास्ता चुन लिया। परन्तु परमेश्वर ने जगत से इतना प्रेम किया कि वह उस कहानी को विनाश और तबाही से अंत नहीं होने देगा।
बाइबिल हमें परमेश्वर की उस योजना के विषय में वह कहानी बताती है जो उन्हें वापस लाने की है। हज़ारों सालों से, मनुष्य के इतिहास में परमेश्वर मानवजाति के पाप और निर्बलता की समस्या के हल को निकालने में जुटे हुए होंगे। कहानी के बीच में, परमेश्वर ने एक बहुत ही महत्वपूर्ण काम किया। उन पापों कि कीमत को चुकाने के लिए परमेश्वर ने अपने एकलौते पुत्र को मरने के लिए भेज दिया। उसने एक रास्ता उनके लिए बनाया जिससे कि मनुष्य पूर्णरूप से साफ़ हो सके। उन्हें पूरी तौर से क्षमा मिल सकती थी! वे परमेश्वर के निकट आ सकते थे! इतिहास में अधिक्तर मनुष्य परमेश्वर को नज़रअंदाज़ करेंगे और दूसरी वस्तुओं की पूजा करेंगे, परन्तु बहुत से उसके पास आएंगे और बच जाएंगे। अभी हम अपना निर्णय लेने के समय में हैं। क्या हम परमेश्वर के पीछे चलकर उस ज्योति के राज्य में प्रवेश करेंगे, या फिर अंधकार के राज्य में रहने का निर्णय लेंगे?
बाइबिल हमें बताती है की कैसे हम परमेश्वर कि उपस्थिति कि खोज और उसकी आशीषों को पा सकते हैं। बाइबिल हमें इस कहानी के अंत के विषय में भी बताती है। फिर वह एक सम्पूर्ण नयी सृष्टि, एक नया स्वर्ग और नयी दुनिया बनाएगा। हर एक जन जो उस पर विश्वास लाएगा वह उसके साथ अनंतकाल तक रहेगा। तब न कोई पीड़ा, न कोई आसूं होंगे, और हम उसके प्रेम में पूर्णरूप से स्वतंत्र होकर रहेंगे। बाइबिल में हम, मानवजाति कि पूरी कहानी को और सृष्टि के रचना के विषय में पढ़ सकते हैं! तो आइये, इस यात्रा को शुरू करते हैं जिसमें परमेश्वर हमें लाया है!
परमेश्वर कि कहानी पर मनन करना।
क्या आपने इस पाठ में अपने प्रभु के विषय में कुछ नया सीखा?
अपने संसार, अपने परिवार, और अपने ऊपर लागू करना।
आज हमनें सीखा कि सारा इतिहास परमेश्वर के हाथों में है। वह प्रभु है और सब कुछ उसके नियंत्रण में है। यदि आपके जीवन में कुछ कठिन बातें हो रही हैं, जो सुनने में बहुत कठिन हों। परमेश्वर उन्हें ठीक क्यूँ नहीं कर देता? आपको शायद परमेश्वर पर बहुत गुस्सा भी आता होगा। यह ठीक है। परमेश्वर समझता है। दूसरी तरफ, परमेश्वर सब कुछ अद्बुध और नया कर देगा। चाहे कुछ भी क्यूँ ना हो, परमेश्वर चाहता है किहम उसके साथ अपने विचारों के विषय में पूरी तौर से ईमानदार हों। हमारे विचार हमारी मदद करते हैं यह जानने के लिए की हमारा हृदय किस बात पर विश्वास करता है। वह हमें वो स्थान दिखाता है जब हम पूर्ण विशवास के साथ जीते हैं, और वो भी की कब हमें बदलने के लिए परमेश्वर की सामर्थ की आवश्यकता है जो हमें शांति दे सकता है। परमेश्वर नहीं चाहता कि हम उन बातों को छुपाएं, वह चाहता है की हम उस पर भरोसा रखें और उसे बताएं, और उसे आज्ञा दें किवह हमें बदल डाले। इससे पहले की वह ऐसा करे हमें उसके साथ सम्पूर्णरीति से ईमानदार होना है। बैठ कर एक बार सोचिये कि आप उस परमेश्वर के प्रति कैसे विचार रखते हैं जिसके पास नियंत्रण रखने कीसामर्थ है। आप उन विचारों का किस प्रकार वर्णन करेंगे?
हमारे जीवित परमेश्वर के प्रति हमारी प्रतिक्रिया!
आप चाहे अकेले हों या परिवार समेत, अपनी सच्ची भावनाएं यीशु के आगे प्रार्थना में रखिये। उसेबताएं यदि आप क्रोधित हों या भ्रमित हों या शांतिपूर्ण हों या फिर आराधनासे भरे हुए हों। आपकाप्रभु सुन रहा है। अपने आप कोउसके आगे व्यक्त कीजिये। जब ऐसा कर चुके हों, तब आप शान्तहोकर बैठ जाइये। फिर सुनिए। वह आपको आज क्या दिखाना चाहता है?