पाठ 17 : राष्ट्रों कि तालिका: येपेत और अनियंत्रित किया हुआ

जल प्रलय के बाद उत्पत्ति के अध्याय कुछ आकर्षक हैं। उन्हें राष्ट्रों की तालिका कहा जाता है। यह नूह के तीन बेटों से आया पृथ्वी पर लोगों का वर्णन करती है। यह इस तरह शुरू होता है: 

"'येपेत के पुत्र: 

गोमेर, मागोग, मादै, यावान, तूबल, मेशक, और तीरास. '"

बाइबिल उनके बेटों कि सभी सूची देती है। फिर हाम के वंशज को बताती है। वे थे: 

"'कूश, मिस्र, फूत और कनान।'"

एक बार फिर, यह उनके बेटों कि सूची देती है। अंत में, राष्ट्रों कि तालिका,शेम के बारे में बताती है। उसके बेटे एलाम, अश्शूर, अर्पक्षद, लूद, और अराम थे। 

 

सैकड़ों वर्ष से, येपेत, हाम, और शेम के बच्चों से सारी पृथ्वी भर गयी थी। वे कई अलग अलग भाषाएँ बोलते थे और बहुत सी अलग संस्कृतियां थीं। वे सब दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में स्थानांतरित कर गए और स्वयं के प्रदेश भी थे।  

 

 

यह सब बाइबिल में पढ़ाना बहुत महत्वपूर्ण था। यह नूह के समय के लोगों और उसके परमेश्वर के बीच की कड़ी को दिखाता है। हर एक कबीले और हर राष्ट्र उस परमेश्वर को जानने लगे जिसने सारी सृष्टि को रचा। जो भी प्रजा उससे प्रेम नहीं करती थी और उसकी उपासना नहीं करती थी, उसे कभी ना कभी विद्रोह करके वहां से छोड़ कर चले जाना पड़ता था। हर एक का एक पूर्वज है जिसने जीवते परमेश्वर को जाना है। 

राष्ट्रों कि तालिका यह भी दिखाती है कि किस प्रकार हर देश परमेश्वर कि आशीषों का भाग रहा है। परमेश्वर के भलाई के कारण, वे फलवन्त हुए और उनके बच्चों के बच्चे हुए। उनके विद्रोह करने के बावजूद, वह उन्हें जीवन कि खुशियाँ देता रहा और उन पर अपना अनुग्रह दिखाता रहा। इस आशीर्वाद से यह बहुत स्पष्ट था कि मानवता के ऊपर परमेश्वर का नियंत्रण था। वह उनसे बहुत गहरा प्रेम करता था और उनके लिए इनकी भूमि और उनकी भाषा, उनकी आशीषें और यहां तक ​​कि उनके शाप भी पहले से तै कर दिए थे। 

 

बाइबिल में राष्ट्रों कि तालिका का होने एक और महत्वपूर्ण कारण था। इन विभिन्न देशों और लोगों के समूहों के बीच परमेश्वर एक बहुत ही खास राष्ट्र को डालने वाला था जो उनकी सेवा करेगा। वह एक ऐसे राष्ट्र को उत्पन्न करना चाहता था जो परमेश्वर के उच्च और पवित्र तरीकों से चले।

यह राष्ट्र इस्राएल का देश होगा। यह पुरोहितों का देश होगा जिनका जीवन और संस्कृति परमेश्वर के आदेशों पर स्थापित हो। परमेश्वर कि पवित्र उपस्थिति एक बहुत ही पवित्र और खास तरह से उनके साथ होगी। इन लोगों को अपने पूरे जीवन भर सीखने में और परमेश्वर के पीछे चलने में बिताना था। उनके जीवन का ऐसा परिवर्तन होना था जैसा कि इस शापित दुनिया ने कभी नहीं देखा है। वे दूसरे देशों के लिए एक नमूना होंगे और उन्हें दिखाएंगे कि कैसे अपने सृजनहार के साथ सम्बंधित रहना है। 

 

परमेश्वर अपने आप को उन्हें विशेष तरीके से प्रकट करेगा। मानवता दोबारा वाटिका में जाकर परमेश्वर के साथ नहीं चल सकता था। लेकिन इस्राएल के राष्ट्र को अपने सबसे पवित्र शहर में एक पवित्र मंदिर का निर्माण करना था, और यह पृथ्वी पर परमेश्वर के सिंहासन की तरह होगा। उसकी गहरी और पवित्र उपस्थिति वहां पर विशेषकर के होगी। परमेश्वर पवित्र शास्त्र के द्वारा अपने आप को प्रकट करेगा। वे कहानियों और भविष्यवाणी और कविताओं और पवित्र कानूनी कोड के माध्यम से उसके वचनों को लिखेंगे। राष्ट्र के लोग उसके वचन को पढ़कर उसके पास आएंगे। पथभ्रष्ट मानवता परमप्रधान परमेश्वर के विषय में पढ़ेंगे और इतिहास की योजनाओं को जानेंगे। अपने धर्म, और इतिहास के लिए अपनी योजनाओं के बारे में पढ़ सकते हैं (जब आप उत्पत्ति की किताब पढ़ते हैं, आप उस विशेष आशीष के बारे में पढ़ेंगे)

 

इस्राएल का राष्ट्र राष्ट्रों की तालिका के समय मौजूद नहीं था। लेकिन तालिका पाठक को उस दिन के लिए तैयार करती है जब परमेश्वर एक सेवकों का राष्ट्र बनाएगा। पाठक जब विभिन्न देशों के नामों को देखता है, तो उनमें हजारों, हजारों आत्माओं में समस्याएं आती हैं। परमेश्वर कैसे पृथ्वी पर दुष्ट कि मदद कर रहा था? कैसे वह भयानक अभिशाप को रोकने के लिए जा रहा था? उसने वादा किया था की वह एक और जल प्रलय नहीं भेजेगा। उसकी योजना क्या थी? उसका उत्तर इस्राएल देश है। तालिका में यह देश सेवकों के आशीषों का देश होगा। 

 

राष्ट्रों की तालिका इसीलिए लिखी गयी ताकि मानव यह जान सके की वह परमेश्वर के कामों के इतिहास जो जल प्रलय के समय में था, कहाँ खड़ा है। इस्राएल देश को यह सिखाने के लिए इसे लिखा गया की नूह के समय में उनकी विशेष जगह क्या थी। वे शेम के वंश के कहलाएंगे और उसकी आशीषें उन पर थीं। 

 

राष्ट्र कि तालिका पहले येपेत के बेटों के बारे में हमें बताता है। वे सात थे। चौदह जातियां या भाषा समूह येपेत की शादी से आये। इन अलग भाषा समूहों के गुट अनातोलिया, या आधुनिक तुर्की नामक भूमि में बसे लोग हैं। 

 

बाइबिल उनमें से दो बच्चों के बारे में बताती है: गोमेर और यावान। यावान का एक बेटा था जिसका नाम दोदानी था, और उसके वंशज समुद्र के लोग थे। वे नाव बनाते थे और दीप्ति भूमध्य सागर में नौचालन करते थे। वे समुद्र के पार नए क्षेत्रों में बस जाते थे जहाँ तक उनके जहाज़ उन्हें ले जाते थे। उसका बेटा एलिशा साइप्रस में जाकर बस गया। दोदानी शायद रोड्स नामक द्वीप में जाकर बस गया। 

 

परमेश्वर की कहानी पर अध्ययन।  

जब आप इस बारे में पढ़ते हैं कि किस प्रकार परमेश्वर ने विभिन्न जातियों का गठन किया, तो क्या आपको यह सोच कर आश्चर्य लगता है की वे सब एक मात्र सच्चे परमेश्वर से क्यूँ दूर हो गए? क्या यह बहुत दुख कि बात नहीं है? यह एक बड़ी त्रासदी है। उनके निर्णय ने उनको अपने निर्माता के प्रेम से बहुत दूर खींच कर ले गया! 

 

परमेश्वर के लिए अभी इतिहास समाप्त नहीं हुआ है। मनुष्य के पाप से जो अभिशाप के कारण जो विभाजन हुआ, उसे परमेश्वर चंगाई कि सामर्थ से और यीशु के जी उठने के द्वारा बहाल करेगा। एक दिन परमेश्वर सब कुछ नया कर देगा। वह अपने राज्य में सामंजस्य के साथ सदा के लिए राज करेगा क्यूंकि उसके पुत्र के मरने और जी उठने से उसके लोग परिवर्तित होंगे। 

 

मेरी दुनिया, मेरे परिवार, और स्वयं पर लागू करना।  

मानव इतिहास के आरम्भ से परमेश्वर का पृथ्वी के देशों और लोगों पर पूरा नियंत्रण रहा है। इसका मतलब यह है कि आप जहां भी रहते हैं और जिस भी परिवार में हैं, सब कुछ परमेश्वर ने पहले से नियुक्त किया था। परमेश्वर की आपके लिए कोई योजना है। वो चाहता है कि आप अपने देश के लिए एक दूत बनें। आप और आपका परिवार परमेश्वर कि किस प्रकार सेवा कर रहा है? अपने मन को शांत कीजिये और परमेश्वर से पूछिये की आप उसकी सेवा किस प्रकार कर सकते हैं। वह आपको हाँ में जवाब दे सकता है और आपको दिखा सकता है की आपको क्या करना है। आप उस पर नेतृत्व और मार्गदर्शन करने के लिए भरोसा कर सकते हैं! क्या यह अजीब नहीं है? 

 

जीवते परमेश्वर के प्रति हमारा प्रत्युत्तर।  

यीशु ने अपनी आत्मा हमारे लिए भेजी ताकि हम उसके साथ करीब से, निविदा और एक आज्ञाकारी संगती में चल सकें। यहाँ एक दाऊद राजा की प्रार्थना है जिसके द्वारा आप जान सकते हैं कि परमेश्वर की उपासना कैसे करनी है और उसकी इच्छा को जान सकते हैं। 

        

भजन संहिता 25:1-5,8-9 

हे यहोवा, मैं स्वयं को तुझे समर्पित करता हूँ।
मेरे परमेश्वर, मेरा विश्वस तुझ पर है।
मैं तुझसे निराश नहीं होऊँगा।
मेरे शत्रु मेरी हँसी नहीं उड़ा पायेंगे।
ऐसा व्यक्ति, जो तुझमें विश्वास रखता है, वह निराश नहीं होगा।
किन्तु विश्वासघाती निराश होंगे और,
वे कभी भी कुछ नहीं प्राप्त करेंगे।

हे यहोवा, मेरी सहायता कर कि मैं तेरी राहों को सीखूँ।

तू अपने मार्गों की मुझको शिक्षा दे।

अपनी सच्ची राह तू मुझको दिखा 

और उसका उपदेश मुझे दे।

तू मेरा परमेश्वर मेरा उद्धारकर्ता है।

मुझको हर दिन तेरा भरोसा है।

यहोवा सचमुच उत्तम है,

वह पापियों को जीवन का नेक राह सिखाता है।

वह दीनजनों को अपनी राहों की शिक्षा देता है।

बिना पक्षपात के वह उनको मार्ग दर्शाता है।